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नरेंद्र मोदी लाखों करोड़ों के जीवंत प्रेरणास्रोत-उपराष्ट्रपति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनिंदा भाषणों वाले दो पुस्तक खंडों का विमोचन किया

'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर भाषण में दृढ़ संकल्प और लोक कल्याण का संदेश'

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Tuesday 23 September 2025 01:46:43 PM

released selected volumes of speeches of prime minister narendra modi

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन ने दिल्ली में केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनिंदा भाषणों वाले दो खंडों का विमोचन किया, जिनका शीर्षक है-‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास।’ इनमें प्रधानमंत्री के दूसरे कार्यकाल के चौथे और पांचवें वर्ष को शामिल किया गया है। उपराष्ट्रपति का यह पहला सार्वजनिक समारोह था। सीपी राधाकृष्णन ने कहाकि ये दोनों खंड प्रधानमंत्री के देश केप्रति योगदान, उनके दृष्टिकोण और राष्ट्र केलिए उनके सपनों को समझने की कुंजी हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश और विदेश के लाखों करोड़ों लोगों का एक ऐसा जीवंत प्रेरणास्रोत बताया, जो लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने केलिए प्रेरित करता है, आम आदमी के प्रतिनिधि से एक सच्चे जननेता के रूपमें विकसित हुआ है, जिसके दृढ़ संकल्प ने दिखाया हैकि असंभव को कैसे संभव बनाया जा सकता है और कैसे नामुमकिन को मुमकिन करना है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि ये पुस्तकें नए भारत की शक्ति एवं आकांक्षाओं को समझने में मदद करेंगी और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण हेतु अमृतकाल में अपने कर्तव्यों केप्रति समर्पित रहने केलिए प्रेरित करेंगी। उपराष्ट्रपति ने नवरात्रि पर्व पर देश के नागरिकों को बधाई और शुभकामनाएं दीं।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भाषणों के चयन और सामग्री के सुंदर प्रस्तुतिकरण केलिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहाकि ये खंड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों की स्पष्टता, दूरदर्शी दृष्टिकोण और समावेशी शासन केप्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। उपराष्ट्रपति ने स्वामी विवेकानंद के कथन को उद्धृत कियाकि ‘उठो, जागो और तबतक मत रुको जबतक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।’ उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री का हर भाषण दृढ़ संकल्प और लोक कल्याण का ही संदेश देता है। उन्होंने कहाकि ये भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता हैकि सरकारी योजनाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचें। उपराष्ट्रपति ने एक भारत श्रेष्ठ भारत, काशी तमिल संगमम, जनजातीय गौरव दिवस और राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करने जैसी पहलों से भारत की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने में प्रधानमंत्री की भूमिका को रेखांकित किया। उपराष्ट्रपति ने देश में युवा सशक्तिकरण केलिए स्टार्टअप इंडिया, फिट इंडिया, खेलो इंडिया, स्किल इंडिया और रोज़गार मेला जैसी पहलों की प्रशंसा की और इन्हें 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का आधारभूत स्तंभ बताया।
सीपी राधाकृष्णन ने युवाओं में विश्वास पर आधारित पहल के रूपमें मेरा युवा भारत (माई भारत) पर भी प्रकाश डाला। जी-20 की भारत की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य के रूपमें ऐतिहासिक रूपसे शामिल किएजाने की सराहना की और प्रधानमंत्री के ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ दृष्टिकोण को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि ये भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 360-डिग्री संलग्नता को दर्शाते हैं, जिसमें वैश्विक एजेंडा को आकार देने से वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत और पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना जैसी परिवर्तनकारी पहलों को बढ़ावा देना शामिल है। उन्होंने कहाकि ये कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों को दर्शाते हैं और लोगों के जीवन में ठोस बदलाव लाते हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि प्रधानमंत्री ने जनधन योजना, आधार मोबाइल लिंकेज, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, लखपति दीदी, मुद्रा योजना और पीएम स्वनिधि पहलों के जरिए इस एक दशक में 25 करोड़ से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी के जाल से बाहर निकाला है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धर्म, कर्तव्यबोध और सेवाभाव पर आधारित भारत के सभ्यतागत मूल्यों से प्रेरणा लेते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमें याद दिलायाकि एक मजबूत राष्ट्र केवल शक्ति से नहीं, बल्कि चरित्र और एकता से बनता है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री केलिए कोईभी लक्ष्य कभी बहुत दूर या बहुत कठिन नहीं होता, क्योंकि वे निरंतर 1.40 अरब भारतीयों की शक्ति से ताकत प्राप्त करते रहते हैं। उन्होंने कहाकि जनता की सामूहिक क्षमता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अटूट विश्वास ने स्वच्छ भारत अभियान को जनभागीदारी के एक जनआंदोलन में बदल दिया और नागरिकों में स्वच्छता ही सेवा है की भावना का संचार किया। उन्होंने कहाकि इसी विश्वास ने प्रधानमंत्री को कोविड संकट के दौरान भारत को आत्मनिर्भरता के पथपर दृढ़ता से आगे बढ़ाने का साहस दिया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत गर्व से दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है और यह जल्दही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहाकि यह महज एक आर्थिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय अनुशासन, आत्मनिर्भरता और राष्ट्र प्रथम की भावना का परिणाम है, जो देश की विकास यात्रा का मार्गदर्शन करती है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह देखकर बहुत खुशी होती हैकि विकसित भारत का सपना आंखों में चमक रहा है और राष्ट्र प्रथम का सिद्धांत हर नागरिक के दिल में गूंज रहा है।
सीपी राधाकृष्णन ने कहाकि विरासत, इतिहास, भाषा और संस्कृति केप्रति नए सिरे से प्रेम देश के अमृतकाल का प्रतीक है। इस अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण, रेलवे तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, उपराष्ट्रपति के सचिव अमित खरे, सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सचिव संजय जाजू, भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई, सांसद निशिकांत दुबे एवं योगेश चंदोलिया, दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, गुरुगोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय, इंदिरा गांधी दिल्ली महिला तकनीकी विश्वविद्यालय, नेताजी सुभाष प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रख्यात पत्रकार भी उपस्थित थे।

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