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Tuesday 2 September 2025 12:51:40 PM
मैसूरु (कर्नाटक)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्पीच एंड हियरिंग के क्षेत्रमें शिक्षा, चिकित्सा और अनुसंधान केलिए कार्यरत मैसूरु में अखिल भारतीय वाणी और श्रवण संस्थान के हीरक जयंती समारोह में कहा हैकि अन्य समस्याओं की तरह बोलने और सुनने संबंधी समस्याओं के लक्षणों की प्रारंभिक अवस्था में पहचान और उनके निदान केलिए विशेषज्ञों की आवश्यकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि समाज को जागरुक होना चाहिए और बोलने एवं सुनने की समस्या से पीड़ित लोगों केप्रति सहयोग और सहानुभूति का भाव रखना चाहिए। उन्होंने कहाकि उन्हें खुशी हैकि एआईआईएसएच इन सभी क्षेत्रोंमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति को बताया गयाकि करीब दो दशक से संस्थान का नेतृत्व महिलाएं ही कर रही हैं, वर्तमान निदेशक डॉक्टर एम पुष्परावती इस परंपरा को और मजबूत कर रही हैं और यह संस्थान 'महिला नेतृत्व विकास' का एक उल्लेखनीय उदाहरण है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि वर्ष 1965 में स्थापित एआईआईएसएच भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वायत्त निकाय है, यह संचार विकारों के क्षेत्रमें मानव संसाधन विकास, नैदानिक सेवाओं, प्रशिक्षण, अनुसंधान, जन शिक्षा और विस्तार सेवाओं केलिए दक्षिण एशिया में एक प्रमुख संस्थान है। उन्होंने बतायाकि एआईआईएसएच की स्थापना संचार विकारों की देखभाल और पुनर्वास करने के उद्देश्य से की गई थी, यह संस्थान न केवल डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्टडॉक्टरल फेलोशिप पाठ्यक्रम प्रदान करता है, बल्कि वाणी और श्रवण विकारों की देखभाल और उपचार भी प्रदान करता है, साथही पुनर्वास से रोगियों और उनके परिवारों को सहायता भी प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि एआईआईएसएच को दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्रमें उत्कृष्टता केंद्र के रूपमें मान्यता प्राप्त है। राष्ट्रपति ने कहाकि एआईआईएसएच का यह परिसर मैसूर के महाराजा जय चामाराजेंद्र वडियर की दान की गई भूमि पर बना हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि एआईआईएसएच को भारत और विदेशों के संस्थानों केलिए एक आदर्श के रूपमें स्थापित होने केलिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहाकि एआईआईएसएच के स्थापित 'समावेशी थेरेपी पार्क' भारत और विदेशों में एक आदर्श के रूपमें कार्य कर रहा है, जिसे संचार विकारों से प्रभावित बच्चों केलिए डिज़ाइन किया गया है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि 'एआईआईएसएच आरोग्य वाणी' संचार विकारों और उनकी शीघ्र पहचान के बारेमें जागरुकता बढ़ाने केलिए डिज़ाइन की गई एक अनूठी पहल है। उन्होंने कहाकि देश का एक अग्रणी संस्थान होने के नाते एआईआईएसएच संचार विकारों से संबंधित राष्ट्रीय नीति निर्माण में भी सलाह दे सकता है। राष्ट्रपति ने कहाकि तकनीक आज हर क्षेत्रमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, नवीनतम तकनीकों का उपयोग वाणी और श्रवण संबंधी अक्षमताओं को दूर करने में बहुत मददगार साबित होगा, लेकिन उनको आम लोगों तक पहुंचाने केलिए देश में उनका विकास और निर्माण आवश्यक है। उन्होंने कहाकि उदाहरण केलिए कॉक्लियर इम्प्लांट जैसे उपकरणों को कम लागत पर उपलब्ध कराने केलिए हमें उनके निर्माण में आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने कहाकि एआईआईएसएच जैसे संस्थानों को इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए, इस क्षेत्रमें अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देकर एआईआईएसएच राष्ट्र निर्माण में अपने योगदान को और मजबूत कर सकता है, यह संस्थान देश के जानेमाने अनुसंधान संस्थानों केसाथ सहयोग कर सकता है। उन्होंने कहाकि एआईआईएसएच जैसे संस्थानों से अपेक्षा की जाती हैकि वे नवाचार और संवेदना केसाथ काम करें और ऐसी तकनीकें विकसित करें, जो वाणी और श्रवणबाधित लोगों को न केवल सामान्य जीवन जीने में सक्षम बनाएं, बल्कि वे समाज और अर्थव्यवस्था में भी अपना सर्वोत्तम योगदान दे सकें।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि भारत सरकार विभिन्न कल्याणकारी पहलों के जरिए दिव्यांगों केलिए एक बाधामुक्त वातावरण तैयार कर रही है, ताकि वे बिना किसी कठिनाई के अपने जीवन में प्रगति कर सकें। उन्होंने उल्लेख कियाकि 'सुगम्य भारत अभियान' के अंतर्गत दिव्यांगजनों को प्रगति और विकास के समान अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि सार्वजनिक स्थानों, सुविधाओं और सूचना के स्रोतों को दिव्यांग अनुकूल बनाकर हम न केवल उनको सुविधा प्रदान करेंगे, बल्कि उन्हें यहभी महसूस कराएंगेकि समाज उनकी भी चिंता करता है। उन्होंने कहाकि विश्व सांकेतिक भाषा दिवस 23 सितंबर को मनाया जाता है, इसका उद्देश्य सांकेतिक भाषा के बारेमें जागरुकता फैलाना है एवं इसका उपयोग हमें सांकेतिक भाषा को और अधिक समृद्ध बनाने केलिए संकल्प दिवस के रूपमें करना चाहिए। के राष्ट्रपति ने एआईआईएसएच संस्थान में उपचार करा रहे दिव्यांग बच्चों केसाथ साथ संस्थान में उपचार कराकर विभिन्न क्षेत्रोंमें सफल हुए दिव्यांगजनों से भी बातचीत की। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल, कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव और मैसूर के सांसद यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वाडियार भी उपस्थित थे।