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स्वामीनाथन की शताब्दी पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

प्रोफेसर स्वामीनाथन की कृषि उपलब्धियां अनुकरणीय-प्रधानमंत्री

एमएस स्वामीनाथन शताब्दी पर स्मारक डाक टिकट जारी किए

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Thursday 7 August 2025 05:13:30 PM

commemorative postage stamps released on ms swaminathan centenary

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश-विदेश तक खेती-किसानी को समृद्ध करने वाले भारतरत्न डॉ एमएस स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी पर आईसीएआर पूसा नई दिल्ली में ‘सदाबहार क्रांति, जैव-सुख का मार्ग’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रोफेसर एमएस स्वामीनाथन को याद करते हुए उन्हें एक दूरदर्शी व्यक्तित्‍व कहा, जिनका देश के कृषि क्षेत्र की उपलब्धियों में अनुकरणीय योगदान किसीभी युग से परे है। उन्होंने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन एक महान वैज्ञानिक थे, जिन्होंने विज्ञान को जनसेवा में बदल दिया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, उन्होंने एक ऐसी चेतना जागृत की, जो आनेवाली सदियों तक भारत की नीतियों और प्राथमिकताओं का मार्गदर्शन करती रहेगी। उन्होंने डॉ एमएस स्वामीनाथन केसाथ अपने कई वर्षों के जुड़ाव को साझा करते हुए गुजरात की शुरुआती परिस्थितियों का स्‍मरण किया, जहां सूखे और चक्रवातों के कारण कृषि को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता था। नरेंद्र मोदी ने याद कियाकि अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में उन्होंने मृदा स्वास्थ्य कार्ड पहल पर कार्य शुरू की थी, जिसमें प्रोफेसर स्वामीनाथन ने गहरी रुचि दिखाते हुए सुझाव दिए थे, जिनसे यह पहल सफल रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर एमएस स्वामीनाथन की जन्म शताब्दी पर स्मारक डाक टिकट भी जारी किए। प्रधानमंत्री ने लगभग बीस वर्ष पहले तमिलनाडु में प्रोफेसर स्वामीनाथन के रिसर्च फाउंडेशन सेंटर के दौरे का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि 2017 में उन्हें प्रोफेसर स्वामीनाथन की पुस्तक 'द क्वेस्ट फॉर ए वर्ल्ड विदाउट हंगर' का विमोचन करने का अवसर मिला। उन्होंने कहाकि 2018 में वाराणसी में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के उद्घाटन पर प्रोफेसर स्वामीनाथन का मार्गदर्शन अमूल्य था। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन केसाथ हुआ प्रत्‍येक वार्तालाप सीखने का एक अनुभव रहा। उन्होंने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन के विचार ‘विज्ञान केवल खोज के बारेमें नहीं है, बल्कि वितरण के बारेमें है’ का स्‍मरण करते हुए पुष्टि कीकि उन्होंने अपने कार्य के माध्यम से इसे सिद्ध किया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन ने न केवल शोध किया, बल्कि किसानों को कृषि पद्धतियों में बदलाव लाने केलिए प्रेरित किया। उन्होंने कहाकि आजभी प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन का दृष्टिकोण और विचार भारत के कृषि क्षेत्रमें महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और उन्हें गर्व हैकि उनकी सरकार के कार्यकाल में प्रोफ़ेसर स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि डॉ एमएस स्वामीनाथन ने भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के अभियान का नेतृत्व किया। उन्होंने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन की पहचान हरित क्रांति से भी कहीं अधिक है। उन्होंने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने रसायनों के बढ़ते उपयोग और एकल-फसल खेती के खतरों के बारेमें किसानों में निरंतर जागरुकता फैलाई। नरेंद्र मोदी ने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने अन्‍न की पैदावार बढ़ाने केलिए काम किया है और वे पर्यावरण व धरती माता केप्रति भी उतने ही चिंतित थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि दोनों उद्देश्यों में संतुलन बनाने और समाधान के रूपमें प्रोफेसर स्वामीनाथन ने सदाबहार क्रांति की अवधारणा प्रस्तुत की। उन्होंने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने ग्रामीण समुदायों और किसानों को सशक्त बनाने केलिए जैव ग्रामों का विचार प्रस्तावित किया था। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने सामुदायिक बीज बैंकों और अवसरों का सृजन करने वाली फसलों जैसे नवीन विचारों को बढ़ावा दिया। उन्होंने कृषि में सूखे की स्थिति में भी सहनशीलता और नमक सहनशीलता वाली फसलों पर प्रोफेसर स्वामीनाथन के विशेष ध्‍यान को रेखांकित करते हुए कहाकि डॉ एमएस स्वामीनाथन का मानना थाकि जलवायु परिवर्तन और पोषण संबंधी चुनौतियों का समाधान उन्हीं फसलों में निहित है, जिन्हें भुला दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रोफेसर स्वामीनाथन ने बाजरा या श्री अन्न पर उस समय काम किया, जब इन अनाजों की व्‍यापक स्‍तरपर उपेक्षा की जाती थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने याद दिलायाकि वर्षों पहले प्रोफेसर स्वामीनाथन ने मैंग्रोव के आनुवंशिक गुणों को चावल में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया था, जिससे फसलों को जलवायु केप्रति अधिक अनुकूल बनाने में सहायता मिली है। उन्होंने कहाकि आज जब जलवायु अनुकूलन एक वैश्विक प्राथमिकता बन गई है तो यह स्पष्ट हैकि प्रोफेसर स्वामीनाथन की सोच वास्तव में कितनी दूरदर्शी थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि जैव विविधता वैश्विक चर्चा का विषय है और सरकारें इसे संरक्षित करने केलिए विभिन्न कदम उठा रही हैं, लेकिन डॉ एमएस स्वामीनाथन ने जैव-सुख के विचार को प्रस्तुत करके एक कदम आगे बढ़ाया। उन्होंने कहाकि आजका यह आयोजन इसी विचार का उत्सव है। डॉ स्वामीनाथन के विचार जैव विविधता की शक्ति स्थानीय समुदायों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, का उद्धरण देते हुए उन्होंने कहाकि स्थानीय संसाधनों के उपयोग से लोगों केलिए आजीविका के नए अवसरों का सृजन किया जा सकता है। उन्होंने कहाकि अपने स्वभाव के अनुरूप डॉ स्वामीनाथन में विचारों को जमीनी स्तरपर क्रियांवित करने की अद्वितीय क्षमता थी, अपने अनुसंधान प्रतिष्ठान के माध्यम से उन्होंने यह सुनिश्चित करने केलिए कार्य कियाकि नई खोजों का लाभ किसानों तक पहुंचे, उनके प्रयासों से छोटे किसानों, मछुआरों और जनजातीय समुदायों को बहुत लाभ हुआ है।
प्रोफेसर स्वामीनाथन की विरासत को सम्मानित करने केलिए स्थापित एमएस स्वामीनाथन खाद्य एवं शांति सम्मान पर प्रधानमंत्री ने कहाकि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मान विकासशील देशों के उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाएगा, जिन्होंने खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रमें उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने कहाकि भोजन और शांति केबीच का संबंध न केवल दार्शनिक है, बल्कि अत्‍यधिक व्यावहारिक भी है। नरेंद्र मोदी ने भोजन की पवित्रता को रेखांकित करते हुए कहाकि भोजन स्वयं जीवन है और इसका कभीभी अनादर या उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने चेतावनी देते कहाकि भोजन का कोईभी संकट अनिवार्य रूपसे जीवन के संकट को जन्म देता है और जब लाखों लोगों का जीवन खतरे में पड़ता है तो वैश्विक अशांति अपरिहार्य हो जाती है। उन्‍होंने एमएस स्वामीनाथन खाद्य एवं शांति सम्मान के महत्व को रेखांकित किया और प्रथम सम्मान प्राप्तकर्ता नाइजीरिया के प्रोफेसर एडेनले को बधाई देते हुए उन्हें एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक बताया, जिनका कार्य इस सम्मान की भावना का उदाहरण है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत आज दूध, दालों और जूट के उत्पादन में अग्रणी है, चावल, गेहूं, कपास, फलों और सब्जियों के उत्पादन में दुनिया में दूसरे स्थान पर है और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश भी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत ने अबतक का अपना सर्वोच्च खाद्यान्न उत्पादन हासिल किया। उन्होंने कहाकि भारत तिलहन क्षेत्रमें रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है, सोयाबीन, सरसों और मूंगफली का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि किसानों का कल्याण देश की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने घोषणा कीकि भारत अपने किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा। उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने, कृषि खर्च कम करने और राजस्व के नए स्रोत बनाने केलिए सरकार के प्रयासों को दोहराया। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार ने सदैव किसानों की शक्ति को राष्ट्रीय प्रगति की आधारशिला माना है। उन्होंने कहाकि हालके वर्ष में बनाई गई नीतियां केवल सहायता केलिए नहीं, बल्कि किसानों में विश्वास जगाने केलिए हैं। उन्होंने कहाकि पीएम किसान सम्मान निधि ने प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता से छोटे किसानों को सशक्त बनाया है, जबकि पीएम फसल बीमा योजना ने किसानों को कृषि जोखिमों से सुरक्षा प्रदान की है और पीएम कृषि सिंचाई योजना से सिंचाई चुनौतियों का समाधान किया गया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि 10000 किसान उत्पादक संगठनों के निर्माण ने छोटे किसानों की सामूहिक शक्ति को मजबूत किया है। उन्होंने कहाकि सहकारी समितियों और स्वयं सहायता समूहों को मिलने वाली वित्तीय सहायता ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। उन्होंने कहाकि ई-नाम प्लेटफॉर्म से किसानों केलिए अपनी उपज बेचना आसान हो गया है, जबकि पीएम किसान संपदा योजना ने नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और भंडारण बुनियादी ढांचे के विकास को गति दी है। उन्होंने बतायाकि पीएम धनधान्‍य योजना का उद्देश्य उन 100 जिलों का उत्थान करना है, जहां कृषि पिछड़ गई है, इन जिलों में सुविधाएं और वित्तीय सहायता प्रदान करके सरकार खेती केप्रति किसानों में नया विश्वास जगा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 21वीं सदी का भारत विकसित राष्ट्र बनने केलिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और यह लक्ष्य समाज के हर वर्ग और हर पेशे के योगदान से हासिल किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि डॉ एमएस स्वामीनाथन से प्रेरणा लेते हुए भारत के वैज्ञानिकों केपास अब इतिहास रचने का एक और अवसर है, वैज्ञानिकों की पिछली पीढ़ी ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की और इस बात पर ज़ोर दियाकि वर्तमान ध्यान पोषण सुरक्षा पर केंद्रित होना चाहिए। जन स्वास्थ्य में सुधार केलिए जैव अनुकूल और पोषण समृद्ध फसलों को व्‍यापक स्‍तर पर बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कृषि में रसायन उपयोग कम करने को कहा। उन्होंने प्राकृतिक खेती को अधिक से अधिक बढ़ावा देने का आग्रह करते हुए कहाकि इस दिशामें और अधिक तत्परता एवं सक्रिय प्रयासों की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने जलवायु प्रतिरोधी फसल किस्मों की अधिक संख्या विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने सूखा सहिष्णु, ताप प्रतिरोधी और बाढ़ अनुकूल फसलों पर ध्यान केंद्रित करने का भी उल्‍लेख किया। नरेंद्र मोदी ने फसल चक्र और मृदा विशिष्ट उपयुक्तता पर अनुसंधान बढ़ाने का आह्वान करते हुए किफायती मृदा परीक्षण उपकरण और प्रभावी पोषक तत्व प्रबंधन तकनीक विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सौर ऊर्जा चालित सूक्ष्म सिंचाई के प्रयासों को तेज़ करने की आवश्यकता बतलाते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि ड्रिप प्रणालियों और सटीक सिंचाई को और अधिक व्यापक व प्रभावी बनाया जाना चाहिए। कृषि प्रणालियों में उपग्रह डेटा, एआई और मशीन लर्निंग को एकीकृत करने के विचार पर चर्चा करते हुए नरेंद्र मोदी ने पूछाकि क्या ऐसी प्रणाली विकसित की जा सकती है, जो फसल की पैदावार का पूर्वानुमान लगा सके, कीटों की निगरानी कर सके और बुवाई के तरीकों का मार्गदर्शन कर सके और क्या ऐसी वास्तविक समय पर निर्णय लेने वाली सहायता प्रणाली हर जिले में सुलभ बनाई जा सकती है? प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों से कृषि तकनीक स्टार्टअप्स का निरंतर मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि बड़ी संख्या में नवोन्मेषी युवा कृषि समाधान की दिशा में कार्य कर रहे हैं और अनुभवी पेशेवरों के मार्गदर्शन में इन युवाओं के विकसित उत्पाद अधिक प्रभावशाली होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के कृषक समुदाय केपास पारंपरिक ज्ञान का समृद्ध भंडार है, पारंपरिक भारतीय कृषि पद्धतियों को आधुनिक विज्ञान केसाथ जोड़कर एक समग्र ज्ञानकोष तैयार किया जा सकता है। फसल विविधीकरण को राष्ट्रीय प्राथमिकता बताते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि किसानों को विविधीकरण के लाभों केसाथ इसे न अपनाने के दुष्परिणामों से अवगत कराया जाना चाहिए और विशेषज्ञ इस प्रयास में अत्यंत प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई और जून महीने में ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के शुभारंभ पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि पहलीबार 700 से अधिक जिलों में वैज्ञानिकों की 2200 से अधिक टीमों ने इसमें भाग लिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन प्रयासों ने वैज्ञानिकों को लगभग 1.25 करोड़ किसानों से सीधे जोड़ा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि खेती लोगों की आजीविका है और डॉ एमएस स्वामीनाथन ने सिखाया हैकि कृषि केवल फसलों के बारेमें नहीं है, बल्कि जीवन के बारेमें भी है। उन्होंने कहाकि खेती से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा, प्रत्येक समुदाय की समृद्धि और प्रकृति की सुरक्षा, सरकार की कृषि नीति की शक्ति है। प्रधानमंत्री ने कहाकि छोटे किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने खेतों में काम करने वाली महिलाओं को सशक्त बनाने के महत्व पर बल देते हुए कहाकि राष्ट्र को इसी दृष्टिकोण केसाथ आगे बढ़ना चाहिए। सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नीति आयोग के सदस्य डॉ रमेश चंद, एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की अध्यक्ष सौम्या स्वामीनाथन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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