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Thursday 7 August 2025 12:55:43 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में कर्तव्य भवन का समारोहपूर्वक उद्घाटन किया और कहाकि क्रांति के अगस्त महीने ने 15 अगस्त से पहले एक और ऐतिहासिक उपलब्धि अर्जित कर ली है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि मैं अत्याधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की मिसाल ‘कर्तव्य भवन’ को राष्ट्र को समर्पित कर बहुतही गौरवांवित हूं, यह विकसित और आत्मनिर्भर भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने यह भवन कहाकि दिल्ली में फैले विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को एकसाथ लाकर दक्षता, नवाचार और सहयोग को बढ़ावा देने केलिए डिज़ाइन किया गया है, इसमें गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय और प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय होंगे। उन्होंने कहाकि कर्तव्य भवन जनसेवा केप्रति सरकार के अटूट संकल्प और निरंतर प्रयासों का प्रतीक है, यह ना केवल सरकारी नीतियों और योजनाओं को जन-जन तक तेजीसे पहुंचाने में मददगार बनने वाला है, बल्कि इससे देश के विकास कोभी और तेजगति मिलेगी। उन्होंने कहाकि इसे गढ़ने वाले इंजीनियरों और श्रमजीवियों की अथक मेहनत और संकल्प शक्ति का देश साक्षी बना है और उन्हें उनसे संवादकर अत्यंत प्रसन्नता हुई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कर्तव्य भवन के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण का पूरा ध्यान रखा गया है, उन्होंने इसके प्रांगण में एक पौधा लगाया। उन्होंने कहाकि भारत एकके बाद एक ‘आधुनिक भारत निर्माण’ की उपलब्धियों का गवाह बन रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि ये केवल नई इमारतें या नियमित बुनियादी ढांचा नहीं हैं, अमृतकाल में विकसित भारत को आकार देने वाली नीतियां इन्हीं संरचनाओं में तैयार की जाएंगी और आनेवाले दशक में राष्ट्र की दिशा इन संस्थानों से निर्धारित की जाएगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि गहन चिंतन केबाद भवन का नाम 'कर्तव्य भवन' रखा गया है, यह इंगित करते हुएकि कर्तव्य पथ और कर्तव्य भवन दोनों भारत के लोकतंत्र और उसके संविधान की मूल भावना को प्रतिध्वनित करते हैं। प्रधानमंत्री ने भगवद्गीता का उद्धरण देते हुए भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं का स्मरण कियाकि व्यक्ति को लाभ या हानि के विचारों से ऊपर उठना चाहिए और केवल कर्तव्य की भावना से कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहाकि भारतीय संस्कृति में 'कर्तव्य' शब्द केवल दायित्व तकही सीमित नहीं है, कर्तव्य वह इच्छा शक्ति है, जो हर जीवन में एक दीपक जलाता है, कर्तव्य करोड़ों नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की नींव है और राष्ट्र केप्रति समर्पण केसाथ किया गया प्रत्येक कार्य कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने उल्लेख कियाकि आजादी केबाद भारत की प्रशासनिक मशीनरी ब्रिटिश औपनिवेशिक युग में निर्मित इमारतों से संचालित होती थी, इन भवनों में खराब काम करने की परिस्थितियों को स्वीकार किया, जिनमें पर्याप्त जगह, प्रकाश व्यवस्था और वायु संचार की कमी थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि ऐतिहासिक नॉर्थ और साउथ ब्लॉक अब भारत की जीवित विरासत के हिस्से में बदल जाएंगे, इन प्रतिष्ठित इमारतों को 'युग युगीन भारत संग्रहालय' में परिवर्तित किया जाएगा और विश्वास व्यक्त कियाकि जैसेही लोग कर्तव्य भवन में प्रवेश करेंगे, वे अपने साथ इन स्थानों में सन्निहित प्रेरणा और विरासत लेकर जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि गृह मंत्रालय जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय अपर्याप्त बुनियादी ढांचे केसाथ एक इमारत से लगभग 100 वर्ष तक कैसे काम करता रहा है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालय वर्तमान में पूरी दिल्ली में 50 विभिन्न स्थानों से काम कर रहे हैं, इनमें से कई मंत्रालय किराए के भवनों से काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि अकेले किराए की लागत पर वार्षिक व्यय 1500 करोड़ रुपये की राशि चौंका देने वाली है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 21वीं सदी के भारत को 21वीं सदी की आधुनिक इमारतों की आवश्यकता है, जो प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और सुविधा के मामले में अनुकरणीय हों। उन्होंने कहाकि ऐसी इमारतों को कर्मचारियों केलिए एक आरामदायक वातावरण उपलब्ध किया जाना चाहिए, तेजीसे निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करनी चाहिए और सेवाओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि पहला कर्तव्य भवन पूरा हो चुका है, लेकिन कई अन्य कर्तव्य भवनों का निर्माण तेजी से प्रगति पर है। उन्होंने कहाकि एकबार जब इन कार्यालयों को नए परिसरों में स्थानांतरित कर दिया जाएगा तो कर्मचारियों को आवश्यक सुविधाओं तक पहुंच केसाथ बेहतर कार्य वातावरण से लाभ होगा, जो बदले में उनकी समग्र कार्य उत्पादकता को बढ़ाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार बिखरे हुए मंत्रालयों के कार्यालयों के किराए पर वर्तमान में खर्च किए जारहे 1500 करोड़ रुपये भी बचाएगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि भव्य कर्तव्य भवन और नए रक्षा परिसरों सहित प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाएं न केवल भारत की गति का प्रमाण हैं, बल्कि इसकी वैश्विक दृष्टि का प्रतिबिंब भी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन लाइफ और 'एक पृथ्वी, एक सूर्य, एक ग्रिड' पहल मानवता के भविष्य की आशा हैं। उन्होंने कहाकि उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को भी हरित भवनों के दृष्टिकोण केसाथ कर्तव्य भवन में एकीकृत किया गया है, जिसका भारतभर में विस्तार हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि देशका कोईभी हिस्सा आज विकास की धारा से अछूता नहीं है, दिल्ली में नया संसद भवन, देशभर में 30000 से अधिक पंचायत भवन, ग़रीबों केलिए पक्के घर, राष्ट्रीय समर स्मारक, पुलिस स्मारक, मेडिकल कॉलेज, भारत मंडपम, अमृतभारत रेलवे स्टेशन, नए हवाई अड्डे, विकसित भारत को दर्शाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते दशक को देश में सुशासन के दशक के रूपमें चिन्हित किया गया है। उन्होंने सरकार-नागरिक संबंधों को मजबूत करने, जीवन की सुगमता बढ़ाने, वंचितों को प्राथमिकता देने, महिलाओं को सशक्त बनाने और प्रशासनिक दक्षता में सुधार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहाकि इन 11 वर्ष में भारत ने शासन मॉडल विकसित किया है, जो पारदर्शी, संवेदनशील और नागरिककेंद्रित है। नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर जिक्र कियाकि वह जिसभी देश का दौरा करते हैं, वहां जैम ट्रिनिटी जनधन, आधार और मोबाइल पर विश्वस्तर पर व्यापक रूपसे चर्चा और सराहना की जाती है। प्रधानमंत्री कहाकि जेएएम ने भारत में सरकारी योजनाओं की डिलीवरी को पारदर्शी और लीकेजमुक्त बना दिया है, लोग अक्सर यह जानकर आश्चर्यचकित हो जाते हैंकि राशन कार्ड, गैस सब्सिडी, छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं में लगभग 10 करोड़ लाभार्थी ऐसे थे, जिनके अस्तित्व का सत्यापन नहीं किया जा सकता था और जिनमें से कई का जन्म भी नहीं हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह देखते हुएकि पिछली सरकारें इन फर्जी लाभार्थियों के नामपर धन हस्तांतरित कर रही थीं, जिसके परिणामस्वरूप धन को अवैध खातों में स्थानांतरित किया जा रहा था। नरेंद्र मोदी ने पुष्टि कीकि वर्तमान सरकार में 10 करोड़ फर्जी नामों को लाभार्थी सूचियों से हटा दिया गया है। उन्होंने नवीनतम आंकड़े साझा किए, जो दर्शाते हैंकि इस कार्रवाई ने राष्ट्र को 4.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक गलत हाथों में जाने से बचाया है और इस पर्याप्त धनराशि को अब विकास में लगाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने मिशन कर्मयोगी और आई-जीओटी डिजिटल प्लेटफॉर्म पहलों पर प्रकाश डाला, जो सरकारी कर्मचारियों को तकनीकी और पेशेवर प्रशिक्षण केसाथ सशक्त बना रहे हैं। उन्होंने कहाकि ईऑफिस, फाइल ट्रैकिंग और डिजिटल अनुमोदन जैसी प्रणालियां प्रशासनिक प्रक्रियाओं में क्रांति ला रही हैं, जिससे वे न केवल तेज होरही हैं, बल्कि पूरी तरह से पता लगाने योग्य और जवाबदेह भी हैं। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह किसीभी पद का हो, अपने कार्यकाल को वास्तव में यादगार बनाने का प्रयास करने केलिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहाकि जब कोई सेवा पूर्णकर यहां से जाता है तो उसे गर्व की भावना केसाथ जाना चाहिएकि उसने राष्ट्रसेवा में अपना सौ प्रतिशत दिया है। फाइलों और दस्तावेज़ीकरण केप्रति दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक फाइल, एक शिकायत या एक आवेदन नियमित लग सकता है, लेकिन किसी केलिए कागज का वह टुकड़ा उनकी गहरी आशा का प्रतिनिधित्व कर सकता है। उन्होंने कहाकि यदि एक लाख नागरिकों से संबंधित एक फाइल में एक दिन की भी देरी होती है तो इससे एक लाख मानव दिवस का नुकसान होता है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह कियाकि वे सुविधा या नियमित विचार से परे सेवा करने के अवसर को पहचानते हुए अपनी जिम्मेदारियों का पालन करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसेवकों का आह्वान कियाकि वे कर्तव्य की भावना केसाथ राष्ट्र निर्माण केप्रति गहराई से प्रतिबद्ध रहें। प्रधानमंत्री ने कहाकि हालांकि यह आलोचना का समय नहीं हो सकता है, लेकिन यह निश्चित रूपसे आत्मनिरीक्षण का समय अवश्य है। उन्होंने कहाकि भारत के साथही स्वतंत्रता प्राप्त करनेवाले कई राष्ट्र तेजीसे आगे बढ़े हैं, जबकि विभिन्न ऐतिहासिक चुनौतियों के कारण भारत की प्रगति धीमी रही। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अब यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी हैकि इन चुनौतियों को भविष्य की पीढ़ियों पर न थोपा जाए। प्रधानमंत्री ने कहाकि नए भवनों में बढ़ी हुई दक्षता केसाथ गरीबी को पूरी तरह से समाप्त करना और विकसित भारत के सपने को साकार करना है। नरेंद्र मोदी ने हितधारकों से भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में सामूहिक रूपसे काम करने का आह्वान किया, जिससे सभी को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों की सफलता की कहानियों को लिखने में योगदान करने केलिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने राष्ट्रीय उत्पादकता को बढ़ाने का आग्रह किया, यह सुनिश्चित करते हुएकि जब पर्यटन पर चर्चा की जाती है तो भारत एक वैश्विक गंतव्य बन जाता है, जब ब्रांडों का उल्लेख किया जाता है तो दुनिया भारतीय उद्यमों की ओर अपनी निगाहें घुमाती है और जब शिक्षा की मांग की जाती है तो दुनियाभर के विद्यार्थी भारत को चुनते हैं। उन्होंने कहाकि भारत की क्षमताओं को मजबूत करना एक साझा लक्ष्य और व्यक्तिगत मिशन बनना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत 'विकास और विरासत' के दृष्टिकोण केसाथ बढ़ रहा है। कर्तव्य भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री, सांसद, भारत सरकार के अधिकारी, मीडियाकर्मी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।