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श्रीलंका में अशोक स्तंभ की प्रतिकृति का अनावरण

वास्काडुवा श्रीसुभूति विहाराय में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष संरक्षित

'भारत-श्रीलंका मजबूत संबंधों में वास्काडुवा श्रीसुभूति विहाराय अहम'

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Wednesday 23 July 2025 01:28:14 PM

replica of ashoka pillar unveiled in sri lanka

कोलंबो। श्रीलंका के दक्षिणी प्रांत के कालुतारा जिले के वास्काडुवा शहर में प्रसिद्ध वास्काडुवा श्रीसुभूति महाविहाराय बौद्ध मंदिर है, जहां वास्काडुवा श्रीसुभूति विहाराय के मुख्य पदाधिकारी वास्काडुवे महिंदवांसा महानायक थेरो, श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोष झा, वास्काडुवा प्रादेशीय सभा के अध्यक्ष अरुणा प्रसाद चंद्रशेखर, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के उपमहासचिव डॉ दामेंडा पोरेज, आईबीसी के धम्म सचिव डॉ शर्मिला मिलरॉय, एएसबी समूह के अध्यक्ष कृष्णी पेडुरुराच्चिगे एवं कई और गणमान्यों की उपस्थिति में अशोक स्तंभ की प्रतिकृति का अनावरण किया गया। यह बौद्ध मंदिर कोलंबो से लगभग 42 किलोमीटर दक्षिण में है। अशोक स्तंभ की प्रतिकृति के निर्माण का पूरा प्रायोजन क्याब्जे लिंग रिनपोछे ने किया है, जो तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख आध्यात्मिक गुरु माने जाते हैं और 6वीं एवं 7वीं पीढ़ी के अवतार भी माने जाते हैं। छठवें क्याब्जे योंगज़िन लिंग रिनपोछे (1903-1983) 97वें गदेन त्रिपा और 14वें दलाई लामा के वरिष्ठ गुरु रहे। वर्तमान 7वें अवतार का जन्म 1985 में हुआ था, जो कर्नाटक के द्रेपुंग लोसेलिंग मठ विश्वविद्यालय में प्रमुख धार्मिक पद पर हैं और विश्वभर में शिक्षण और मार्गदर्शन के अनुकरणीय कार्य करते हैं।
वास्काडुवा श्रीसुभूति विहाराय में अशोक स्तंभ की आधारशिला 28 जनवरी 2024 को भारत के उच्चायुक्त संतोष झा और आईबीसी के महासचिव शार्त्से खेंसुर जंगचुप चोएडेन रिनपोछे ने रखी थी। वास्कादुवे महिंदावंश महानायक थेरो ने इस अवसर पर उल्लेख कियाकि सम्राट अशोक की श्रीलंका केप्रति महान सेवा के सम्मान में इस मंदिर में अशोक स्तंभ का निर्माण किया गया था। उन्होंने कहाकि सम्राट अशोक के अनुकरणीय प्रयासों के कारण श्रीलंकावासियों को बौद्धधर्म जैसा अद्भुत आध्यात्मिक मार्ग प्राप्त हुआ, उन्होंने अपने पुत्र (अरहंत महिंद थेरो) और पुत्री (अरहंत संघमित्रा थेरी) को बौद्धसंघ को समर्पित कर दिया, जिनकी बदौलत श्रीलंका में बौद्धधर्म की स्थापना हुई, लेकिन उनके इस योगदान को बहुत कम याद किया जाता है। वास्कादुवे महिंदावंश महानायक थेरो ने कहाकि इसीलिए हमने यह स्तंभ बनाकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का निर्णय लिया। भारत के उच्चायुक्त संतोष झा ने कहाकि इस पहल ने भारत और श्रीलंका केबीच सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक संबंधों को और भी ज्यादा मजबूत कर दिया है।
उच्चायुक्त संतोष झा ने कहाकि भारत सरकार ने सितंबर 2020 में दोनों देशों केबीच बौद्ध संबंधों को प्रोत्साहन देने केलिए 15 मिलियन अमेरिकी डॉलर की विशेष सहायता दी थी। उन्होंने बतायाकि इस अनुदान केतहत श्रीलंका के लगभग 10,000 बौद्ध मंदिरों और परिवेणाओं (मठ कॉलेजों) को मुफ्त सौरऊर्जा से लैस करने की परियोजना चलाई जा रही है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार ने हालही में पाली भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है, जिसे श्रीलंका के बौद्ध विद्वानों ने सराहा है। उन्होंने कहाकि श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग पाली भाषा के प्रचार-प्रसार में सक्रिय है और प्राचीन व्याकरण ग्रंथों जैसे ‘नाममाला’ और ‘बलवठारो’ का पुनः प्रकाशन भी कर रहा है। संतोष झा ने बतायाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया श्रीलंका यात्रा के दौरान उन्होंने अनुराधापुर पवित्रनगरी परियोजना केलिए सहायता की घोषणा की थी और गुजरात के देवनिमोरी से भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की श्रीलंका में प्रदर्शनी केलिए समर्थन दिया था। उच्चायुक्त ने कहाकि इससे पहले सारनाथ और कपिलवस्तु के पवित्र अवशेषों को श्रीलंका में भी प्रदर्शित किया जा चुका है, जहां बौद्ध श्रद्धालुओं और अनुयायियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
उच्चायुक्त संतोष झा ने बतायाकि हालही में भारत सरकार की आपत्ति के कारण हांगकांग में भगवान बुद्ध के पवित्र रत्न अवशेषों की नीलामी स्थगित कर दी गई थी, सरकार ने बिक्री को रोकने केलिए त्वरित और व्यापक कार्रवाई की, इसकी अवैधता पर ज़ोर दिया और पवित्र अवशेषों को भारत में उनके सही स्थान पर वापस भेजने का आह्वान किया, जहां उन्हें 1898 में पिपरहवा में खोजा गया था। उन्होंने कहाकि भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के स्वदेश वापस आने केबाद श्रीलंका सहित दुनियाभर के श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर मिलेगा। वास्काडुवा श्री सुभूति विहाराय को श्रीलंका में अशोक स्तंभ की प्रतिकृति स्थापित करने केलिए चुने जाने के संबंध में डॉ डमेंडा पोराज ने कहाकि यह मंदिर इस कार्य केलिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां भगवान बुद्ध के पवित्र और प्रामाणिक कपिलवस्तु के अवशेष सुरक्षित हैं। उन्होंने कहाकि वास्काडुवा श्री सुभूति विहाराय में भगवान बुद्ध के पवित्र और प्रमाणित अवशेष रखे गए हैं। उन्होंने जिक्र कियाकि महानायक वास्काडुवे महिंदवांसा थेरो भारत द्वारा श्रीलंका को हजारों वर्ष से दिए गए सहयोग केलिए सदैव कृतज्ञ हैं।
डॉ डमेंडा पोराज ने कहाकि वे अकसर भारत केप्रति इस गहरी कृतज्ञता को स्मरण करते हैं और दोनों देशों के संबंधों को सहेजते हैं। डॉ डमेंडा पोराज ने कहाकि जैसे अनुराधापुर के पवित्र स्थल भारत और श्रीलंका केबीच ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करते हैं, वैसेही वास्काडुवा श्री सुभूति महाविहाराय भी उनको सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस मंदिर में वे तथागत भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष सुरक्षित हैं, जिन्हें भारत ने श्रीलंका को उपहार स्वरूप प्रदान किया था। अशोक स्तंभ की प्रतिकृति के अनावरण भारत की सम्राट अशोक केप्रति कृतज्ञता माना जा रहा है। उल्लेखनीय हैकि भारत में सारनाथ, कपिलवस्तु, श्रावस्ती सहित अनेक स्थानों पर सम्राट अशोक और भगवान बुद्ध की चिरस्मृतियां जीवंत रखने केलिए सरकार और बौद्ध मठों की ओर से अनेक शिक्षा और सामाजिक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

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