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'लोकतंत्र में संसदीय संप्रभुता अनुल्लंघनीय है'

'राजनीतिक रणनीति के हथियार के रूप में इसे इस्‍तेमाल न करें'

केरल विधानसभा के रजत जयंती समारोह में बोले उपराष्ट्रपति

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 23 May 2023 01:50:22 PM

vice president in silver jubilee celebrations of the kerala legislative assembly

तिरुवनंतपुरम। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि लोकतंत्र में संसदीय संप्रभुता अनुल्लंघनीय है, लोकतंत्र का सार वैध मंच संसद और विधानसभाओं के माध्यम से अभिव्यक्त लोगों के कानून की व्याप्ति में निहित है। उन्होंने कहाकि लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान और अशांति को राजनीतिक रणनीति के हथियार के रूपमें इस्‍तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और विधायकों तथा पीठासीन अधिकारियों से तत्काल इस दुर्भावना को दूर करने की अपील की। उपराष्ट्रपति ने तिरुवनंतपुरम में केरल विधानसभा के भवन नियमसभा के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहाकि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को अनिवार्य रूपसे शुद्धता, शिष्टता और मर्यादा के उच्च मानकों से अपने आचरण का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। जगदीप धनखड़ ने विधायकों से संविधान सभा से प्रेरणा ग्रहण करने की अपील की, जिसने कई जटिल मुद्दों को बिना किसी व्यवधान के निपटाया और रेखांकित किया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि विधायिका का प्रभावकारी कामकाज लोकतांत्रिक मूल्यों के फलने-फूलने एवं संरक्षित करने तथा कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने की सबसे सुरक्षित गारंटी है। उन्होंने दूसरे की विचारधारा केप्रति असहिष्णुता की चिंताजनक प्रवृत्ति को खत्म करने की भी अपील की। उपराष्ट्रपति ने कहाकि लोकतंत्र में सभी मुद्दों का मूल्यांकन पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण केसाथ नहीं किया जा सकता, सभीसे राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण से ऊपर उठाने की अपील की। उन्होंने यह प्रश्न भी उठायाकि वह हाजिरजवाबी, हास्य और कटाक्ष जो पहले संसद और विधानमंडलों की विख्यात हस्तियों केबीच आदान-प्रदान की विशिष्टता रही, अब सार्वजनिक बहस से क्यों लुप्त हो रही है, विधायकों से इसे पुनर्जीवित करने की अपील की। उपराष्ट्रपति ने कहाकि संविधान सदन के परिसर के भीतर बोलने की स्वतंत्रता का विशेषाधिकार प्रदान करता है, बहरहाल उन्होंने सावधान कियाकि इस स्वतंत्रता का उपयोग एक जीवंत लोकतांत्रिक परंपरा को बनाए रखने केलिए एक स्वस्थ बहस केलिए किया जाना चाहिए, नकि विघटनकारी उद्देश्यों केलिए।
जगदीप धनखड़ ने रेखांकित कियाकि संसद और विधानमंडल असत्यापित सूचनाओं के तेज और निरंतर पतनशील अभिव्यक्तियों का मंच नहीं है। केरल के लोगों और उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके विधायी भवन की रजत जयंती पर बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित कियाकि ऐसे भवन ईंट और गारे से निर्मित्त भवन से बहुत परे हैं। उन्होंने कहाकि केरल विधानसभा भवन लोगों की इच्छा, लोकतंत्र की भावना और संविधान के सार का प्रतिनिधित्व करता है। यह बताते हुएकि केरल अपने अग्रगामी दृष्टिकोण और सामाजिक न्याय की प्रतिबद्धता केलिए जाना जाता है उपराष्ट्रपति ने अन्य विधानमंडलों में ध्यान देने योग्य कई प्रगतिशील विधानों को अधिनियमित करने की प्रशंसा की। उन्होंने विधायकों से कहाकि वर्तमान विधायकों के रूपमें उनको एक प्रकाशमान धरोहर विरासत में मिली है, इसे और अधिक उज्ज्वल बनाना उनका कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति ने आशा व्‍यक्‍त कीकि केरल का गुणवत्तापूर्ण मानव संसाधन अपनी प्रगतिशील कार्य संस्कृति केसाथ मिलकर शासन के नए रास्तों की पटकथा लिखने में सहायता करेगा।
उपराष्ट्रपति ने केरल के प्रवासी निवासियों की भी सराहना की, जिन्होंने अपने प्रेषित धन (रेमिटेंस) के माध्यम से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में असीम योगदान दिया है। केरल राज्य को प्राचीन प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध संस्कृति की भूमि बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि वह ‘ईश्वर के अपने देश' में आकर प्रसन्न हैं। उन्होंने राज्य की प्रतिष्ठित हस्तियों का अभिवादन किया और उनके योगदानों की सराहना की। केरल में आगमन पर पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ केसाथ उपराष्ट्रपति ने विख्यात श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का दौरा किया तथा सभीके कल्याण और प्रसन्नता केलिए प्रार्थना की। रजत जयंती समारोह में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, केरल विधानसभा के अध्यक्ष एएन शमसीर, केरल विधानसभा के उपाध्यक्ष चित्तयम गोपाकुमार, केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वीडी सतीशन और केरल सरकार के मंत्री के राधाकृष्णन भी उपस्थित थे।

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