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'बाकी दुनिया से बेहतर स्थिति में है भारत'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का संसद भवन में संयुक्त अभिभाषण

नरेंद्र मोदी सरकार की नीति रणनीति व उपलब्धियां गिनाईं

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Tuesday 31 January 2023 03:45:48 PM

joint address by president draupadi murmu in parliament house

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज नरेंद्र मोदी सरकार के बजट सत्र से पहले संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अभिभाषण में कहा हैकि भारत में एक स्थिर निडर निर्णायक और बड़े सपनों केलिए काम करनेवाली सरकार है, मेरी सरकार ने देशहित को सदैव सर्वोपरि रखा, नीति-रणनीति में संपूर्ण परिवर्तन की इच्छाशक्ति दिखाई है। उन्होंने कहाकि सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद पर कठोर प्रहार तक, एलओसी से एलएसी तक हर दुस्साहस के कड़े जवाब तक, धारा 370 को हटाने से लेकर तीन तलाक तक मेरी सरकार की पहचान एक निर्णायक सरकार की है। राष्ट्रपति ने कहाकि स्थिर और निर्णायक सरकार होने का लाभ हमें 100 साल की सबसे बड़ी आपदा और उसके बाद बनी परिस्थितियों से निपटने में मिल रहा है, दुनिया में जहांभी राजनीतिक अस्थिरता है, वे देश आज भीषण संकटों से घिरे हैं, लेकिन मेरी सरकार ने राष्ट्रहित में जो भी निर्णय किए, उससे भारत बाकी दुनिया से बहुत बेहतर स्थिति में है। राष्ट्रपति ने नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए कहाकि भारत में ईमानदार का सम्मान करने वाली, गरीबों को स्थाई समाधान और उनके स्थाई सशक्तिकरण केलिए काम करने वाली, अभूतपूर्व स्पीड और स्केल पर काम करने वाली, इनोवेशन और टेक्नोलॉजी के जरिए जनकल्याण को सर्वोपरि रखने वाली, महिलाओं के सामने से हर बाधा को दूर करने वाली, देश में प्रगति केसाथ ही प्रकृति का भी संरक्षण करने वाली, विरासत के संरक्षण केसाथ आधुनिकता को बढ़ावा देने वाली और अपनी वैश्विक भूमिका को लेकर आत्मविश्वास से आगे बढ़ने वाली सरकार है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि मेरी सरकार को देश के लोगों ने जब पहलीबार सेवा का अवसर दिया, तब सबका साथ, सबका विकास के मंत्र से हमने शुरुआत की थी, समय केसाथ इसमें सबका विश्वास और सबका प्रयास भी जुड़ गया, यही मंत्र आज विकसित भारत के निर्माण की प्रेरणा बन चुका है, विकास के इस कर्तव्य पथ पर चलते हुए मेरी सरकार को कुछही महीनों में नौ वर्ष पूरे हो जाएंगे। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार के लगभग नौ वर्ष में लोगों ने अनेक सकारात्मक परिवर्तन पहलीबार देखे हैं, सबसे बड़ा परिवर्तन यह हुआ हैकि आज हर भारतीय का आत्मविश्वास शीर्ष पर है और दुनिया का भारत को देखने का नज़रिया बदला है। राष्ट्रपति ने कहाकि जो भारत कभी अपनी अधिकांश समस्याओं के समाधान केलिए दूसरों पर निर्भर था, वही आज दुनिया की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है, जिन मूल सुविधाओं केलिए देश की एक बड़ी आबादी ने दशकों तक इंतज़ार किया, वे इन वर्षों में उसे मिली हैं, जिस आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर की हम कभी कामना करते थे, वह इन वर्षों में देश में बनना शुरू हुआ है, आज भारत में एक ऐसा डिजिटल नेटवर्क तैयार हुआ है, जिससे विकसित देश भी प्रेरणा ले रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि बड़े-बड़े घोटालों सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की जिन समस्याओं से देश मुक्ति चाहता था, वह मुक्ति अब देश को मिल रही है, पॉलिसी पैरालिसिस की चर्चा से बाहर आकर आज देश की पहचान तेज विकास और दूरगामी दृष्टि सेलिए गए फैसलों केलिए हो रही है, इसलिए हम दुनिया की 10वें नंबर की अर्थव्यवस्था से पांचवें नंबर पर पहुंच गए हैं और यही वो नींव है, जो आनेवाले 25 साल में विकसित भारत के निर्माण के आत्मविश्वास को बुलंद करती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि कुछही महीने पहले देश ने अपनी आज़ादी के 75 वर्ष पूरे करके आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है, अमृतकाल में हजारों वर्षों के गौरवशाली अतीत का गर्व जुड़ा है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की प्रेरणाएं जुड़ी हैं और भारत के स्वर्णिम भविष्य के संकल्प जुड़े हैं, अमृतकाल का यह 25 वर्ष का कालखंड स्वतंत्रता की स्वर्णिम शताब्दी और विकसित भारत के निर्माण का कालखंड है, ये 25 वर्ष हम सबके लिए और देश के प्रत्येक नागरिक केलिए कर्तव्यों की पराकाष्ठा करके दिखाने के हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि यह हमारे सामने युग निर्माण का अवसर है और हमें इस अवसर केलिए शत-प्रतिशत सामर्थ्य केसाथ हर क्षण कार्य करना है, हमें 2047 तक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है, जो अतीत के गौरव से जुड़ा हो, जिसमें आधुनिकता का हर स्वर्णिम अध्याय हो, हमें ऐसा भारत बनाना है, जो आत्मनिर्भर हो और जो अपने मानवीय दायित्वों को पूरा करने केलिए भी समर्थ हो, ऐसा भारत जिसमें गरीबी न हो, जिसका मध्यम वर्ग भी वैभव से युक्त हो, ऐसा भारत जिसकी युवाशक्ति और नारीशक्ति, समाज और राष्ट्र को दिशा देने केलिए सबसे आगे खड़ी हो, जिसके युवा समय से दो कदम आगे चलते हों, ऐसा भारत जिसकी विविधता और अधिक उज्ज्वल हो, जिसकी एकता और अधिक अटल हो। राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ष 2047 में देश जब इस सच्चाई को जीवंत करेगा तो निश्चित रूपसे उस भव्य निर्माण की नींव का अवलोकन और आकलन भी करेगा, तब आज़ादी के अमृतकाल की इस प्रथम बेला को एक अलग आस्था केसाथ देखा जाएगा, इसलिए आज अमृतकाल का यह समय यह कालखंड बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार का स्पष्ट मत हैकि भ्रष्टाचार लोकतंत्र और सामाजिक न्याय का सबसे बड़ा दुश्मन है, इसलिए बीते वर्षों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध निरंतर लड़ाई चल रही है, हमने सुनिश्चित किया हैकि व्यवस्था में ईमानदार का सम्मान होगा, भ्रष्टाचारियों केलिए समाज में किसीभी प्रकार की सहानुभूति न हो, इसके लिए सामाजिक चेतनाभी देश में बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि बीते वर्षों में भ्रष्टाचारमुक्त इकोसिस्टम बनाने की दिशामें बेनामी संपत्ति अधिनियम को नोटिफाई किया गया है, आर्थिक अपराध कर फरार हुए अपराधियों की संपत्ति जब्त करने केलिए भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम पारित किया गया है, सरकारी कामों में पक्षपात और भ्रष्टाचार के चलन को खत्म करने केलिए प्रभावी सिस्टम बनाया गया है, आज सरकारी कामों में टेंडर और खरीद केलिए गवर्नमेंट-ए-मार्केटप्लेस जैसी व्यवस्था है, जिसमें अबतक तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक का लेन-देन हुआ है। राष्ट्रपति ने कहाकि राष्ट्र निर्माण में ईमानदार योगदान देनेवालों को आज विशेष सम्मान दिया जारहा है, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में कई जटिलताओं को खत्म करके देशवासियों का जीवन आसान बनाया गया है, फेसलेस जांच को बढ़ावा देने की वजह से व्यवस्था में पारदर्शिता आई है और उसे जवाबदेह भी बनाया गया है। उन्होंने कहाकि पहले टैक्स रिफंड केलिए लंबा इंतज़ार करना पड़ता था आज आईटीआर भरने के कुछही दिन के भीतर रिफंड मिल जाता है, जीएसटी से पारदर्शिता केसाथ-साथ करदाताओं की गरिमा भी सुनिश्चित हो रही है।
राष्ट्रपति ने कहाकि जनधन-आधार-मोबाइल से फर्जी लाभार्थियों को हटाने से लेकर वन नेशन वन राशन कार्ड तक एक बहुत बड़ा स्थाई सुधार हमने किया है, बीते वर्षों में डीबीटी एवं डिजिटल इंडिया के रूपमें एक स्थाई और पारदर्शी व्यवस्था देश ने तैयार की है, आज 300 से ज्यादा योजनाओं का पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते तक पहुंच रहा है, अबतक पूरी पारदर्शिता से 27 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम करोड़ों लोगों तक पहुंचाई गई है। राष्ट्रपति ने कहाकि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती हैकि ऐसी योजनाओं और ऐसी व्यवस्थाओं केकारण ही कोरोनाकाल में भारत करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से नीचे जाने से बचा पाया है। उन्होंने कहाकि ग़रीबी हटाओ, अब केवल नारा नहीं रह गया है, मेरी सरकार ग़रीब की चिंताओं का स्थाई समाधान करते हुए उसे सशक्त बनाने का काम कर रही है। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार हर योजना में शत-प्रतिशत परिपूर्णता केसाथ ही अंत्योदय केप्रति भी पूरी निष्ठा से काम कर रही है, हमारी कोशिश हैकि योजनाओं का लाभ सही और सभी लाभार्थियों को मिले, कोईभी सरकार की योजना के लाभ से वंचित न रहे। उन्होंने कहाकि हमने देखा हैकि कोरोनाकाल में दुनियाभर में किस तरह ग़रीब केलिए गुज़ारा मुश्किल हो गया था, लेकिन भारत उन देशों में से एक है, जिसने ग़रीब का जीवन बचाने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और कोशिश कीकि देशमें कोई ग़रीब भूखा नहीं सोए। राष्ट्रपति ने कहाकि मुझे खुशी हैकि मेरी सरकार ने पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को नई परिस्थितियों के अनुसार आगेभी चलाने का निर्णय लिया है, यह एक संवेदनशील और ग़रीब हितैषी सरकार की पहचान है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि मेरी सरकार ने जितनी भी कल्याणकारी योजनाएं शुरु की हैं, उनके केंद्र में महिलाओं का जीवन आसान बनाना, उनको रोज़गार-स्वरोज़गार के नए अवसर देना और उनका सशक्तिकरण रहा है, महिला उत्थान में जहां पुरानी धारणाओं और पुरानी मान्यताओं को तोड़ना भी पड़ा, उससे भी सरकार पीछे नहीं हटी है। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार ने यहभी सुनिश्चित किया हैकि किसीभी काम, किसीभी कार्यक्षेत्र में महिलाओं केलिए कोई बंदिश न हो, इसलिए माइनिंग से लेकर सेना में अग्रिम मोर्चों तक हर सेक्टर में महिलाओं की भर्ती को खोल दिया गया है, सैनिक स्कूलों से लेकर मिलिट्री ट्रेनिंग स्कूलों तकमें अब हमारी बेटियां पढ़ाई और ट्रेनिंग कर रही हैं, ये मेरी सरकार हीहै, जिसने मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया है। उन्होंने कहाकि पीएम आवास योजना के तहत मिलने वाले घरों की रजिस्ट्री भी महिलाओं के नाम पर होने से महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है, मुद्रा योजना की लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी महिला उद्यमी ही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारी विरासत हमें जड़ों से जोड़ती है और हमारा विकास आसमान को छूने का हौसला देता है, इसलिए मेरी सरकार ने विरासत को मजबूती देने और विकास को प्राथमिकता देने की राह चुनी है। उन्होंने कहाकि आज एक तरफ देश में अयोध्या धाम का निर्माण हो रहा है तो दूसरी तरफ आधुनिक संसद भवन भी बन रहा है, एक तरफ हमने केदारनाथ धाम, काशी विश्वनाथ धाम और महाकाल महालोक का निर्माण किया तो हर जिले में हमारी सरकार मेडिकल कॉलेज भी बनवा रही है, एक तरफ हम अपने तीर्थों और ऐतिहासिक धरोहरों का विकास कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ भारत दुनिया की बड़ी स्पेस पावर बन रहा है, भारत ने पहला प्राइवेट सैटेलाइट भी लॉंच किया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि एक तरफ हम आदि शंकराचार्य, भगवान बसवेश्वर, तिरुवल्लुवर, श्रीगुरु नानक देव जैसे संतों के दिखाए रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत हाईटेक नॉलेज का हब भी बन रहा है, एक तरफ हम काशी-तमिल संगमम् केजरिए एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत कर रहे हैं तो वहीं वन नेशन, वन राशन कार्ड जैसी आधुनिक व्यवस्था भी बना रहे हैं, डिजिटल इंडिया और 5जी टेक्नॉलॉजी में भारत के सामर्थ्य का लोहा दुनिया मान रही है। उन्होंने कहाकि आज भारत जहां योग और आयुर्वेद जैसी अपनी पुरातन विधाओं को दुनिया तक पहुंचा रहा है, वहीं दूसरी तरफ फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की नई पहचान भी सशक्त कर रहा है, आज भारत जहां प्राकृतिक खेती, मिलेट्स की अपनी परंपरागत फसलों को प्रोत्साहित कर रहा है, वहीं नैनो यूरिया जैसी आधुनिक टेक्नॉलॉजी का भी विकास किया है, खेती केलिए एक तरफ जहां ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर को हम बेहतर बना रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ड्रोन टेक्नॉलॉजी से, सोलर पावर से किसान को ताकत दे रहे हैं, शहरों में जहां स्मार्ट सुविधाओं के विकास पर बल दिया जा रहा है, वहीं स्वामित्व योजना से पहली बार गांव के घरों की ड्रोन से मैपिंग की जा रही है। राष्ट्रपति ने कहाकि आज़ादी के अमृत महोत्सव पर जहां आज हर जिले में 75 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं तो सैकड़ों आधुनिक वंदे भारत ट्रेनें भी लॉंच हो रही हैं, एक ओर हमारे व्यापार की परंपरागत ताकत रहे नदी जलमार्गों और बंदरगाहों को आधुनिक बनाया जारहा है तो मल्टीमोडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक पार्क का नेटवर्क भी तैयार हो रहा है। उन्होंने कहाकि गुलामी के हर निशान, मानसिकता से मुक्ति दिलाने केलिए भी मेरी सरकार निरंतर प्रयासरत है, जो कभी राजपथ था, वह अब कर्तव्यपथ बन चुका है, कर्तव्यपथ पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा हर भारतीय को गौरवांवित कर रही है तो अंडमान निकोबार मेभी नेताजी और आज़ाद हिंद फौज के शौर्य को हमने सम्मान दिया है।
राष्ट्रपति ने कहाकि अभी कुछ ही दिन पहले मेरी सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में नेताजी सुभाषचंद्र बोस आइलैंड पर नेताजी को समर्पित भव्य स्मारक और म्यूज़ियम का शिलान्यास किया है, भारतीय सेना के परमवीर चक्र विजेताओं केनाम पर अंडमान निकोबार के 21 द्वीपों का नामकरण भी किया गया है। उन्होंने कहाकि एक तरफ नेशनल वॉर मेमोरियल आज राष्ट्रीय शौर्य का प्रतीक बन गया है तो वहीं हमारी नौसेना कोभी अब छत्रपति वीर शिवाजी महाराज का दिया प्रतीक चिन्ह मिला है, एक तरफ जहां भगवान बिरसा मुंडा सहित तमाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े संग्रहालय बन रहे हैं, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के पंचतीर्थ बनाए गए हैं, दूसरी तरफ हर प्रधानमंत्री के योगदान को दर्शाने वाले प्रधानमंत्री संग्रहालय का निर्माण भी किया गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि देश ने प्रथम वीर बाल दिवस कोभी गर्व और श्रद्धा से मनाया है, इतिहास की पीड़ाओं और उनके साथ जुड़ी शिक्षाओं को जागृत रखने केलिए देश में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की शुरुआत भी मेरी सरकार ने की है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेड इन इंडिया अभियान और आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता का लाभ देश को मिल रहा है, भारत में मैन्युफेक्चरिंग की अपनी कैपेसिटी बढ़ रही है और दुनियाभर सेभी मैन्युफेक्चरिंग कंपनियां भारत आ रही हैं। उन्होंने कहाकि आज हम भारत में ही सेमीकंडक्टर चिप से लेकर हवाई जहाज के निर्माण तक केलिए प्रयास शुरु कर चुके हैं, ऐसे ही प्रयासों का परिणाम हैकि भारत में बने सामान का निर्यात लगातार बढ़ रहा है, कुछ वर्ष पहले तक हम बड़ी संख्या में मोबाइल फोन आयात करते थे, आज भारत दुनिया में मोबाइल फोन का एक बड़ा निर्यातक बन चुका है, देश में खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत कमी आई है, जबकि निर्यात 60 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ा है।
राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार की पहल के परिणामस्वरूप हमारा रक्षा निर्यात छह गुना हो गया है, मुझे गर्व हैकि हमारी सेना में आईएनएस विक्रांत के रूपमें पहला स्वदेशी एयरक्राफ़्ट कैरियर भी शामिल हुआ है, हम खादी और ग्रामोद्योग जैसे अपने पारंपरिक सेक्टर मेभी प्रशंसनीय काम कर रहे हैं, आजादी के अमृत महोत्सव केदौरान देश के खादी और ग्रामीण उद्योग का टर्नओवर एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार ने नवाचार और उद्यमिता पर निरंतर अभूतपूर्व बल दिया है, इससे दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले हमारे देश की ताकत का सदुपयोग हो रहा है, आज हमारे युवा अपने इनोवेशन की ताकत दुनिया को दिखा रहे हैं, सात वर्ष पहले जहां भारत में कुछ सौ रजिस्टर्ड स्टार्ट अप्स ही थे, वहीं आज यह संख्या लगभग 90 हजार पहुंच रही है। उन्होंने कहाकि आज हमारी सेनाओं काभी युवाशक्ति में समृद्ध होना, युद्धशक्ति में निपुण होना, टेक्नोलॉजी की पावर से लैस रहना बहुत अहम है, इन सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए अग्निवीर योजना शुरू की गई है, इससे देश की युवाशक्ति को सेनाओं के माध्यम से राष्ट्र की सेवा का अधिकतम अवसर मिलेगा। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार युवाओं की शक्ति को खेलों के जरिए भी देश के सम्मान से जोड़ रही है, हमारे खिलाड़ियों ने कामनवेल्थ गेम्स से लेकर ओलंपिक और पैरा गेम्स में अभूतपूर्व प्रदर्शन कर यह साबित किया हैकि उनकी प्रतिभा किसी से कम नहीं है, देश के कोने-कोने में ऐसी प्रतिभाओं को खोजने, उनका टेलेंट निखारने केलिए खेलो इंडिया गेम्स, खेलो इंडिया सेंटर्स से लेकर टॉप्स स्कीम चलाई जा रही है। उन्होंने कहाकि हमारी सरकार दिव्यांग कल्याण को लेकर भी पूरी तरह संवेदनशील है, देश में ‘एक साइन लैंग्वेज’ और सुगम्य भारत अभियान ने दिव्यांग युवाओं को बहुत मदद दी है। राष्ट्रपति ने कहाकि मेरी सरकार देश के विकास केलिए जिस स्पीड और स्केल पर काम कर रही है, वह अभूतपूर्व और अतुलनीय है।
राष्ट्रपति ने कहाकि आज दुनिया अनेक चुनौतियों से गुज़र रही है, दशकों पहले बनी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की प्रासंगिकता और प्रभाव परभी प्रश्न उठ रहे हैं, इन परिस्थितियों में भारत ऐसा देश बनकर उभरा है, जो आज की विभाजित दुनिया को किसी न किसी रूपमें जोड़ रहा है, भारत आज उन देशोंमें है, जो ग्लोबल सप्लाई चेन पर विश्वास को फिरसे सशक्त कर रहे हैं, इसलिए आज दुनिया भारत की तरफ उम्मीद की नज़रों से देख रही है। राष्ट्रपति ने कहाकि इस वर्ष भारत जी20 जैसे प्रभावी समूह का नेतृत्व कर रहा है, एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के मंत्र केसाथ भारत की पूरी कोशिश हैकि जी20 के सदस्य देशों केसाथ मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का सामूहिक समाधान तलाशा जाए। उन्होंने कहाकि मेरी सरकार इसको सिर्फ एक डिप्लोमैटिक प्रोग्राम तक सीमित नहीं रखना चाहती, बल्कि यह पूरे देश के प्रयास से भारत के सामर्थ्य और संस्कृति को प्रदर्शित करने का अवसर है, इसलिए देशभर के दर्जनों शहरों में सालभर जी20 की बैठकें आयोजित की जा रही हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि यह भारत के वैश्विक रिश्तों का बेहतरीन दौर है, हमने दुनिया के विभिन्न देशों केसाथ अपने सहयोग और मित्रता को सशक्त किया है, एक तरफ हम इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता कर रहे हैं तो दूसरी तरफ क्वाड का मेंबर होने के नाते भारत-प्रशांत में शांति, स्थिरता और समृद्धि केलिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि हमने अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए अपनी भूमिका का विस्तार किया है, अफगानिस्तान में भूकंप हो या फिर श्रीलंका का संकट हम सबसे पहले मानवीय सहायता लेकर पहुंचे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत को लेकर आज जो सद्भाव है, उसका लाभ हमें अफगानिस्तान और यूक्रेन में पैदा हुए संकट के दौरान भी मिला, संकट में फंसे अपने नागरिकों को हम सुरक्षित लेकर आए हैं, इस दौरान भारत ने कई अन्य देशों के नागरिकों की मदद करके अपना मानवीय स्वरूप फिर दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि भारत ने आतंकवाद को लेकर जो कड़ा रुख अपनाया है, उसको भी दुनिया समझ रही है, इसलिए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की आवाज़ को हर मंच पर गंभीरता से सुना जा रहा है। उन्होंने जिक्र कियाकि पिछले वर्ष अक्टूबर में भारत में पहलीबार यूएनएससी काउंटर-टेररिज्म कमेटी की एक विशेष बैठक हुई थी, जिसमें भारत ने भी आतंकवाद के विरुद्ध अपनी भूमिका को स्पष्ट किया। उन्होंने कहाकि साइबर सिक्योरिटी से जुड़ी चिंताओं कोभी मेरी सरकार गंभीरता से पूरे विश्व के सामने रख रही है, मेरी सरकार का साफ मानना हैकि स्थाई शांति तभी संभव है, जब हम राजनीतिक और रणनीतिक रूपसे सशक्त होंगे, इसलिए अपनी सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण पर हम निरंतर बल दे रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि लोकतंत्र की जननी के रूपमें भारत की अनंत यात्रा अनंत गौरवों से भरी हुई है, हमने लोकतंत्र को एक मानवीय संस्कार के रूपमें विकसित और समृद्ध किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि लोकतंत्र के केंद्र इस संसद में हमारा प्रयास होना चाहिएकि हम मुश्किल लगने वाले लक्ष्य तय करें और उन्हें हासिल करके दिखाएं, जो कल होना है, उसे आज पूरा करने की कोशिश करें, जिसे दूसरा कोई आनेवाले दिनों में करने केबारे में सोच रहा है, उसे हम भारतवासी पहले करके दिखा दें। राष्ट्रपति ने कहाकि आइए अपने लोकतंत्र को समृद्ध करते हुए हमसब एकसाथ कदम से कदम मिलाकर चलें, हमारे संकल्प स्वरों में एकता का प्रवाह हो और हमारे अंत:करण एकदूसरे से जुड़े हुए हों और हम राष्ट्र निर्माण के इस महायज्ञ में अपने कर्तव्य पथ पर चलते हुए संविधान की शपथ को पूरा करें।

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