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अमृत महोत्सव में हैदराबाद की मुक्ति का जश्न!

केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी हैदराबाद में फोटो प्रदर्शनी

राष्ट्रपति ने देखी 'हैदराबाद लिबरेशन मूवमेंट' पर फोटो प्रदर्शनी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 27 December 2022 05:47:06 PM

president views photo exhibition on 'hyderabad liberation movement'

हैदराबाद। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी हैदराबाद के समृद्ध इतिहास और महान मिशन को मान्यता देते हुए विनायक राव विद्यालंकार का अपने पिता न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर के सम्मान में 1940 में स्थापित यह संस्थान 'विद्याऽमृतमश्नुते' अपने आदर्श वाक्य पर खरा उतरा है, जिसका अर्थ है-ज्ञान अमर ज्ञान प्रदान करता है, यह न केवल पारंपरिक ज्ञान प्रदान करने की प्रतिबद्धता है, बल्कि छात्रों को मजबूत चरित्र वाले अच्छे नागरिकों में ढालने की भी प्रतिबद्धता है। राष्ट्रपति ने कहाकि केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी का सक्रियता और सामाजिक जिम्मेदारी का समृद्ध इतिहास है, उन्हें बताया गयाकि इसका मैदान 15 अगस्त 1947 को एक ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह का स्थल था, जब हैदराबाद पर निज़ाम का शासन था, इसकी प्रबंधन समिति में नारायण राव पवार, वंदेमातरम रामचंद्र राव और कंडे राव कुलकर्णी जैसे प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी शामिल हैं। राष्ट्रपति ने आजादी के अमृत महोत्सव केतहत स्थानीय स्वाधीनता सेनानियों के योगदान को प्रदर्शित करनेवाली 'हैदराबाद लिबरेशन मूवमेंट' फोटो प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उन्हें खुशी हैकि हैदराबाद की मुक्ति की 75वीं वर्षगांठ का समारोह 'आजादी के अमृत महोत्सव' के हिस्से के रूपमें मनाया जा रहा है, यह इस क्षेत्र के लोगों और पूरे देश केलिए बहुत महत्व रखता है। उन्होंने कहाकि यह सरदार वल्लभभाई पटेल के हस्तक्षेप के माध्यम से थाकि निज़ाम को आत्मसमर्पण करने केलिए मजबूर किया गया और हैदराबाद को भारतीय संघ में एकीकृत किया गया। उन्होंने कहाकि भारत के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने इस अवसर पर रामजी गोंड, तुर्रेबाज खान, कोमाराम भीम, सुरवरम प्रताप रेड्डी और शोयाबुल्ला खान सहित हैदराबाद की मुक्ति केलिए लड़ने वाले सभी बहादुर नेताओं को श्रद्धांजलि दी और कहाकि उनकी वीरता और बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा एवं उनका सम्मान किया जाएगा। राष्ट्रपति ने छात्रों एवं संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए कहाकि शिक्षा ऐसा आधार है, जिसपर एक राष्ट्र का निर्माण होता है, शिक्षा किसीभी व्यक्ति में समाहित समस्त क्षमताओं को बाहर लेकर आनेकी कुंजी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस तथ्य पर प्रसन्नता व्यक्त कीकि केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी का विस्तार हुआ है और इसकी गतिविधियां कई गुना बढ़ चुकी हैं, इसकी शुरुआत 1940 में एक छोटे से स्कूल केसाथ हुई थी और अब यह नौ अलग-अलग कॉलेजों केसाथ एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र के रूपमें उभरा है, जिसमें 11,000 से अधिक छात्र नामांकित हैं। उन्होंने कहाकि इस तरह की सफलता में बढ़ोतरी न्यायमूर्ति केशव राव कोराटकर के आदर्शों को श्रद्धांजलि है, जिनकी स्मृति में इसकी स्थापना की गई थी। राष्ट्रपति ने कहाकि वे केशव मेमोरियल एजुकेशनल सोसाइटी की मुफ्त क्लिनिक प्रदान करने की प्रतिबद्धता, विकास केलिए गांव को गोद लेने और उन सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के प्रयासों से प्रभावित हैं, जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है। उन्होंने कहाकि मराठी, हिंदी और तेलुगु में शिक्षा पर समाज का ध्यान शिक्षा के समावेशी दृष्टिकोण और समुदाय की जरूरतों को पूरा करने की दिशामें एक कदम है, मैं इस महत्वपूर्ण कार्य केलिए समाज के वर्तमान प्रबंधन को बधाई देती हूं। राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हैकि कुल छात्रों में लगभग 40 प्रतिशत लड़कियां हैं, हमें विशेष रूपसे उच्चशिक्षा संस्थानों में पढ़ने और उत्कृष्टता प्राप्त करने केलिए हमारी लड़कियों की अधिक आवश्यकता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए कहाकि यदि आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं, लेकिन यदि आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं, वे प्रतिभा और क्षमता का एक अविश्वसनीय स्रोत हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जब हम आजादी के अमृत महोत्सव का जश्न मना रहे हैं तो हमारे लिए यह याद रखना भी बहुत महत्वपूर्ण हैकि हमारी स्वतंत्रता केवल अतीत के दमनकारी शासकों से मुक्ति सेही संबंधित नहीं है, यह सुविचारित कदमों के माध्यम से उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने केबारे में भी है। उन्होंने कहाकि अब हम भविष्य के लिए आगे बढ़ रहे हैं तो यह सुनिश्चित करना भारत के युवाओं पर ही निर्भर करता हैकि हम अपने पूर्वजों की रखी गई नींव पर राष्ट्र का निर्माण करें और अपने देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। राष्ट्रपति ने छात्रों से कहाकि प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, कानून, वाणिज्य, मानविकी और सामाजिक विज्ञान सहित विविध विषयों के छात्रों के रूपमें आप भारत की शैक्षणिक और बौद्धिक क्षमता की पूरी श्रृंखला का प्रतिनिधित्व करते हैं, मुझे विश्वास हैकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यांवयन से महत्वपूर्ण सोच और रचनात्मकता को बढ़ावा देने केलिए शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा प्रणाली का निर्माण होगा और यह बदलाव न केवल आपको व्यक्तिगत रूपसे लाभांवित करेगा, बल्कि राष्ट्र की समग्र प्रगति और विकास मेभी योगदान देगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि इसका अर्थ है-कड़ी मेहनत करना और हम जो भी कार्य करते हैं, उसमें उत्कृष्टता केलिए प्रयास करना, इसका संबंध जिम्मेदार और प्रतिबद्ध नागरिक होने से है, जो भारतीय समाज की बेहतरी केलिए योगदान देने को तैयार रहते हैं, इसका अर्थ यह भी हैकि हमें अपने संविधान के मूल्यों एवं आदर्शों को बनाए रखना है और अधिक समावेशी एवं न्यायसंगत समाज बनाने की दिशा में कार्य करना है, इसका अर्थ है-जलवायु परिवर्तन से लड़ना और आनेवाली पीढ़ियों केलिए हमारी पृथ्वी को संरक्षित करना। राष्ट्रपति ने पढ़ाई के महत्व पर बल देते हुए कहाकि पढ़ने की आदत आत्मविकास के सबसे प्रभावी साधनों में से एक है, यह एक ऐसा कौशल है, जो जीवनभर छात्रों की सहायता करेगा। उन्होंने कहाकि यह इंटरनेट और सोशल मीडिया का युग है, जिस समयकाल में ध्यान देने की अवधि कम होती जा रही है और पात्रों में संचार सीमित है। राष्ट्रपति ने कहाकि 1964 में एक पुस्तकालय का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने कहा थाकि सिनेमा या तस्वीर में जाना या नाटक देखना या दोस्तों केसाथ झगड़ा करना आसान है, लेकिन चुपचाप बैठकर कुछ पढ़ना किताब पहले से आखिरी पन्ने तक अनुशासन में एक अभ्यास है। उन्होंने छात्रों से समझ में सुधार करने और अपने दृष्टिकोण को व्यापक बनाने केलिए पढ़ाई को अधिक महत्व देने का आग्रह किया।

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