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'पर्यावरण केप्रति संवेदनशील व उत्तरदायी बनें'

'वनों को अवैध गतिविधियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभाएं'

राष्ट्रपति का भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीनों को संबोधन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 21 December 2022 04:31:57 PM

president's address to the probationers of the indian forest service

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से आज भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीनों ने राष्ट्रपति भवन में भेंट की। राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा में चयन केलिए परिवीक्षाधीनों को बधाई दी और कहाकि चुनौतियों और अवसरों से भरा एक लंबा करियर आपका इंतजार कर रहा है, आप हमारी समृद्ध एवं विविध वन सम्पदा के संरक्षक हैं, वनवासी समुदायों की विरासत और संस्कृति के रक्षक भी हैं, सतत प्रबंधन के माध्यम से देशकी पारिस्थितिक स्थिरता को बनाए रखने में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका है। राष्ट्रपति ने कहाकि जैसाकि हम सभी जानते हैंकि भारत दुनिया के दस सबसे अधिक वन समृद्ध देशों में से एक है, वन हमारे पूर्वजों के पूजनीय रहे हैं, यह हम अपने प्राचीन शास्त्रों में भी देख सकते हैं। उन्होंने कहाकि वन पृथ्वी पर सभी जीवधारियों केलिए आश्रयस्थल हैं, वन आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने एवं कार्बन के बड़े अवशोषक के रूपमें कार्य करने के अलावा उनकी भूमिका वन्यजीवों का आवास बनने और आजीविका स्रोत होने से भिन्न होती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि वन विश्व की कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर हैं और लघु वनोपज हमारे देशमें 27 करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका का समर्थन करते हैं, वनों का उच्च औषधीय महत्व भी है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत वन में रहनेवाले समुदायों के अधिकारों पर विशेष ध्यान दे रहा है, जनजातीय समुदायों सहित वनवासियों केसाथ सहजीवी संबंध को अब व्यापक रूपसे मान्यता प्राप्त है और यह हमारे विकास विकल्पों में शामिल है। उन्होंने कहाकि भारतीय वन सेवा के अधिकारियों काउत्तरदायित्व हैकि वे इन समुदायों को जैव विविधता के संरक्षण और संरक्षण के प्रति उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारेमें जागरुक करें। राष्ट्रपति ने कहाकि इन दिनों हम भारत और विश्व के विभिन्न भागों में वनों में आग लगने की कई घटनाओं के बारेमें सुनते हैं, हमारे सामने न केवल वनों के संरक्षण, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने कीभी बड़ी चुनौती है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि आज हमारे पास शहरी वानिकी, वन जोखिम शमन, डेटा संचालित वन प्रबंधन और जलवायु स्मार्ट वन अर्थव्यवस्थाओं की नई प्रौद्योगिकियां और अवधारणाएं हैं। राष्ट्रपति ने भारतीय वन सेवा के अधिकारियों से कहाकि वे भारत के वन संसाधनों के सतत प्रबंधन केलिए नवाचार करें और नए तरीके खोजें। उन्होंने कहाकि उन्हें हमारे वनों को ऐसी अवैध गतिविधियों से बचाने में प्रभावी भूमिका निभानी चाहिए, जिनका नकारात्मक आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव पड़ता है। राष्ट्रपति ने कहाकि देश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक विकास केलिए वन आवश्यक हैं, हमें अपने वनों को जीवंत एवं स्वस्थ रखना चाहिए। उन्होंने कहाकि विकास आवश्यक है, इसके साथ स्थायित्व भी आवश्यक है, प्रकृति ने हमें भरपूर उपहार दिए हैं तथा यह हममें से प्रत्येक का कर्तव्य हैकि हम पर्यावरण के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी बनें। उन्होंने कहाकि हमें अपनी आनेवाली पीढ़ियों को पुनर्जीवित प्राकृतिक संसाधनों और स्थायी पारिस्थितिक तंत्र केसाथ एक सुंदर देश का उपहार देना होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि एक और बेहद दिलचस्प पहलू हैकि वन विश्व के महानतम कवियों के प्रेरणास्रोत रहे हैं, अतः वन भी साहित्यिक योगदान देते हैं, वे कंक्रीट के जंगलों के शोर से गहरे जंगल की प्राकृतिक सुंदरता और पत्तियों की सरसराहट, पक्षी-गीतों और झरने के बहते पानी की सुखदायक आवाज़ से राहत प्रदान करते हैं, हमारे महान संतों को भी घने जंगलों के गहन सन्नाटे में आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति ने वन सेवा के अधिकारियों से कहाकि आप बहुत भाग्यशाली हैंकि आपको हमारी वन संपदा और उनपर निर्भर मानव एवं वन्यजीव प्रजातियों की देखभाल करने का अवसर मिला है। राष्ट्रपति ने यह जानकर खुशी व्यक्त कीकि अब अधिक से अधिक महिलाएं वन सेवा में शामिल हो रही हैं, 'ग्रीन क्वीन्स' जैसाकि उन्हें कहा जाता है ने खुदको साबित किया है और वे देशभर की युवा महिलाओं को वन अधिकारी बनने केलिए प्रेरणा प्रदान करती हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे वन अधिकारी प्रकृति के संरक्षक के रूपमें बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन बदलते परिवेश और विकास परिदृश्य केसाथ आपकी भूमिका एवं आपसे अपेक्षाएं बढ़ी हैं और मुझे विश्वास हैकि आप इनपर खरे उतरेंगे। 

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