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आईएएस के सामने 2047 के भारत की चुनौती!

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से 2020 बैच के सिविल सेवकों की मुलाकात

'आईएएस एक श्रेष्ठ भारत के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दें'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 25 August 2022 03:57:02 PM

ias of 2020 batch meets president draupadi murmu

नई दिल्ली। भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में सहायक सचिवों के रूपमें प्रतिनियुक्त 2020 बैच के 175 आईएएस अधिकारियों के एक समूह ने आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने अधिकारियों को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने कहाकि वे भाग्यशाली हैंकि वे आजादी के अमृतकाल में चयनित आईएएस अधिकारियों के पहले जत्थे का हिस्सा हैं, इसलिए उन्हें 2047 तक सबसे सफल बैचों का पथ प्रदर्शक भी बनना होगा, यह उनसभी केलिए एक ऐतिहासिक अवसर है। राष्ट्रपति ने नवोदित आईएएस अधिकारियों के समूह से मिलकर प्रसन्नता जताई और कहाकि मैं शुरूआत को सिविल सेवाओं केलिए साझा नींव कार्यक्रम मानती हूं, जो एक प्रशंसनीय कदम है। उन्होंने कहाकि सिविल सेवकों को प्रशासन में व्यापक प्रदर्शन और क्रॉस केसाथ अपना करियर शुरू करने में सक्षम बनाता है, कार्यात्मक बातचीत से हासिल की गई सीख और विकसित की गई बॉन्डिंग उन्हें पूरे करियर में लाभांवित करने वाली है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि 2015 बैच से आईएएस केसभी बैच को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में तीन महीने केलिए सहायक सचिव के रूपमें तैनात किया जाता है, सरकार का यह उनको राष्ट्रीय कार्यक्रमों के बारेमें उनका ज्ञान, पोस्टिंग पर जाने और जमीनी स्तरपर ऐसे कार्यक्रमों को लागू करने में बेहतर योगदान देनेमें उनकी मदद करेगा, केंद्रीय मंत्रालयों के कामकाज केबारे में उनका अनुभव उनके कामकाज को राष्ट्रीय उद्देश्यों केसाथ सक्षम बनाएगा, उनको स्थानीय प्रणालियों और योजनाओं को कुशलतापूर्वक चलाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ने विश्वास जतायाकि वे इस अवसर का लाभ उठाएंगे और श्रेष्ठ भारत को आकार देनेमें अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि सिविल सेवकों की भारत को ज्ञान, आपूर्ति श्रृंखला, नवाचार, प्रौद्योगिकी विकास और विभिन्न क्षेत्रों के वैश्विक केंद्र के रूपमें उभारने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है, साथही उन्हें भारत को सामाजिक रूपसे समावेशी और पर्यावरणीय रूपसे सतत विकास के क्षेत्रों में नेतृत्व की स्थिति को भी मजबूत करना होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईएएस अधिकारियों से कहाकि वे एक ऐतिहासिक समय पर सिविल सेवाओं में शामिल हुए हैं, एक स्वतंत्र देश के रूपमें हमने 75 साल पूरे कर लिए हैं और हम भारत को अगले 25 वर्ष में फिरसे कल्पना से भी परे एक विकसित देश बनाने की ओर देख रहे हैं। उन्होंने कहाकि 2047 तक आप महत्वपूर्ण निर्णय निर्माताओं में से होंगे, इसलिए जोश और गर्व केसाथ काम करके यह सुनिश्चित करें कि 2047 का भारत कहीं अधिक समृद्ध, मजबूत और खुशहाल हो। राष्ट्रपति ने कहाकि नया भारत औरभी बहुत कुछ चाहता है-विकास और विकास के सभी प्रमुख मानकों पर वैश्विक समुदाय में एक उच्च स्थान। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि उन्होंने केंद्र सरकार में टीम वर्क देखा है, साइलो टूट रहे हैं, ऐसे सिविल सेवकों के उदाहरण हैं, जो बिना किसी अनुचित प्रचार के सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से काम करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सिविल सेवाओं का गहन विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों ने कहा हैकि सिविल सेवकों को विशेष रूपसे जनसेवा केप्रति समर्पण, कमजोर वर्गों केप्रति सहानुभूति और करुणा, अपने देशकी अखंडता और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने, निष्पक्षता और निष्पक्षता केप्रति निर्देशित किया जाना चाहिए।
द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि जोश और गर्व केसाथ काम करके उन्हें 2047 के भारत को आकार देने केलिए आधुनिक और सेवा उन्मुख मानसिकता केसाथ काम करना होगा। उन्होंने कहाकि मिशन कर्मयोगी हमारे सिविल सेवकों को उनके दृष्टिकोण में अधिक आधुनिक, गतिशील और संवेदनशील बनाने की एक प्रमुख पहल है। राष्ट्रपति ने कहाकि लोक सेवकों को जनसेवा केप्रति समर्पण, सत्यनिष्ठा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने और निष्पक्षता और वस्तुनिष्ठता के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए। उन्होंने लोक सेवकों से उम्मीद कीकि वे पंचायती राज संस्थाओं, प्रशासन, अनुसूचित क्षेत्रों और जनजातियों के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों को लेकर खासतौर से सजग और सक्रिय रहेंगे और इसके अलावा छठी अनुसूची में उल्लिखित पूर्वोत्तर के जनजातीय इलाकों में प्रशासन के प्रावधानों के प्रतिभी जागरुक रहेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि वसुधैव कुटुम्बकम महान भारतीय लोकाचार का हिस्सा है, जिसका तात्पर्य हैकि संपूर्ण विश्व एक बड़ा परिवार है। उन्होंने कहाकि अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित सिविल सेवकों के लोकाचार का अभिन्न अंग होना चाहिए-भारतमेव कुटुम्बकम पूरा भारत मेरा परिवार है।
राष्ट्रपति ने कहाकि आधुनिक भारत के कई पहलुओं के निर्माता के रूपमें राष्ट्र सरदार वल्लभभाई पटेल का आभारी है, उन पहलुओं मेसे एक ब्रिटिश साम्राज्य के स्टील फ्रेम को उचित रूपसे संशोधित करने और इसे एक ऐसी सेवामें बदलने का उनका दृढ़ विश्वास था, जो पूरी तरह से भारतीय दृष्टिकोण और काम करने वाला होगा। उन्होंने कहाकि सरदार पटेल की अपेक्षा के अनुरूप वे अपने उप-मंडलों में सबसे कम विकसित वर्गों और लोगों की सेवा केलिए एक संकल्प ले सकते हैं, उन्हें मानव विकास सूचकांकों के मामले में अपने क्षेत्र को 'नंबर एक' बनाने का जुनून और वंचितों के जीवन को बदलने में गर्व महसूस करना चाहिए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिविल सेवकों को सलाह दीकि वे जो कुछ भी करते हैं, उसका आम लोग, मीडिया और हितधारक बारीकी से निरीक्षण और विश्लेषण करते हैं, अगले कुछ वर्ष में आम लोग उनके प्रदर्शन, योगदान, जीवनशैली और अन्य पहलुओं केबारे में अपनी राय बनाएंगे, वह छवि उनके शेष करियर और जीवन केलिए उनकी पेशेवर और सामाजिक पूंजी होगी।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि बुनियादी ढांचे में जबरदस्त वृद्धि केसाथ देश के दूरदराज हिस्सों तक पहुंचना आसान हो गया है। उन्होंने कहाकि सिविल सेवकों से अपेक्षा की जाती हैकि वे अपने क्षेत्र के अंतिम व्यक्ति या सबसे वंचित व्यक्ति तक पहुंचें और उनके जीवनस्तर में सुधार करें। उन्होंने कहाकि सिविल सेवक उन लोगों केलिए अवसर खोल सकते हैं, जिन्हें कल्याणकारी योजनाओं या विकास कार्यक्रमों की जानकारी नहीं है। उन्होंने उन्हें याद दिलायाकि किसीभी कल्याणकारी पहल को वास्तव में तभी सफल माना जा सकता है, जब उसका लाभ समाज के सबसे निचले तबके के गरीबों, दलितों और ऐसे अन्य लोगों तक पहुंचे। उन्होंने कहाकि सिविल सेवकों को ऐसे वंचित लोगों तक पहुंचने का प्रयास करना चाहिए, वंचित लोगों को मदद केलिए उनतक पहुंचने में परेशानी नहीं होनी चाहिए।

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