स्वतंत्र आवाज़
word map

अग्रदूत ने हमेशा राष्ट्रीय हित सर्वोपरि रखा-मोदी

भारत में भाषा पत्रकारिता के विकास में असम की महत्वपूर्ण भूमिका

समाचार पत्र अग्रदूत समूह के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 6 July 2022 06:42:06 PM

pm at the inauguration of the golden jubilee celebrations of the agradoot group of newspapers

गुवाहाटी/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए समाचार पत्र अग्रदूत समूह के स्वर्ण जयंती समारोह का उद्घाटन किया। गौरतलब हैकि अग्रदूत की शुरुआत असमिया भाषा में एक द्विसाप्ताहिक के रूपमें हुई थी, इसकी स्थापना असम के वरिष्ठ पत्रकार कनक सेन डेका ने की थी। वर्ष 1995 में दैनिक अग्रदूत का एक नियमित दैनिक समाचार पत्र के रूपमें प्रकाशन शुरू हुआ और यह असम की एक विश्वसनीय एवं प्रभावशाली आवाज़ के तौरपर उभरा है। समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस अवसर केलिए असम भाषा में पूर्वोत्तर की मजबूत आवाज़ और पत्रकारिता के माध्यम से एकता और सद्भाव के मूल्यों को जीवित रखने केलिए दैनिक अग्रदूत को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी कीकि कनक सेन डेका के मार्गदर्शन में अग्रदूत ने हमेशा राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखा है, आपातकाल के दौरान भी जब लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला हुआ, तबभी अग्रदूत दैनिक और डेकाजी ने पत्रकारिता मूल्यों से समझौता नहीं किया, उन्होंने मूल्य आधारित पत्रकारिता की एक नई पीढ़ी का निर्माण किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहाकि पिछले कुछ दिन से असम बाढ़ के रूपमें बड़ी चुनौतियों और कठिनाइयों का सामना कर रहा है, असम के कई जिलों में सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहाकि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनकी टीम राहत एवं बचाव केलिए दिन-रात बहुत मेहनत कर रही है। प्रधानमंत्री ने अग्रदूत के पाठकों, असम के लोगों को आश्वासन दियाकि केंद्र और राज्य सरकारें उनकी कठिनाइयों को कम करने केलिए मिलकर काम कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने भारतीय परंपरा, संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम और विकास यात्रा में भारतीय भाषा पत्रकारिता के उत्कृष्ट योगदान को रेखांकित किया और कहाकि असम ने भारत में भाषा पत्रकारिता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि राज्य पत्रकारिता की दृष्टि से बहुत जीवंत स्थान रहा है। उन्होंने कहाकि पत्रकारिता 150 साल पहले असमिया भाषा में शुरू हुई और समय केसाथ मजबूत होती गई।
प्रधानमंत्री ने याद किया कि बीते 50 वर्ष में दैनिक अगरकर की यात्रा असम में हुए बदलाव की कहानी कहती है, इस बदलाव को साकार करने में जनांदोलनों ने अहम भूमिका निभाई है, जनांदोलनों ने असम की सांस्कृतिक विरासत और असमिया गौरव की रक्षा की और अब असम जनभागीदारी के सहारे विकास की नई कहानी लिख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब बातचीत होती है तो समाधान भी होता है, संवाद के माध्यम सेही संभावनाओं का विस्तार होता है, इसलिए भारतीय लोकतंत्र में ज्ञान के प्रवाह केसाथ-साथ सूचना का प्रवाह भी निरंतर बह रहा है और अग्रदूत उस परंपरा का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने कुछ लोगों केबीच बौद्धिक स्थान को सीमित करने पर सवाल उठाया, जो एक विशेष भाषा जानते हैं। उन्होंने कहाकि यह सवाल न केवल भावना का है, बल्कि वैज्ञानिक तर्क का भी है, इसे तीन औद्योगिक क्रांतियों पर शोध में पिछड़ने के एक कारण के रूपमें देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि गुलामी की लंबी अवधि के दौरान भारतीय भाषाओं के विस्तार को रोक दिया गया था और आधुनिक ज्ञान विज्ञान में अनुसंधान कुछ भाषाओं तक सीमित था, भारत के एक बड़े हिस्से की उन भाषाओं तक, उस ज्ञान तक पहुंच नहीं थी। उन्होंने कहाकि बुद्धि की विशेषज्ञता का दायरा सिकुड़ता जा रहा है, इसके कारण आविष्कार और नवाचार का पूल भी सीमित हो गया है। उन्होंने कहाकि चौथी औद्योगिक क्रांति में भारत केलिए दुनिया का नेतृत्व करने का एक बड़ा अवसर है, यह अवसर हमारी डेटा शक्ति और डिजिटल समावेशन के कारण है। प्रधानमंत्री ने कहाकि कोई भी भारतीय केवल भाषा के कारण सर्वोत्तम जानकारी, सर्वोत्तम ज्ञान, सर्वोत्तम कौशल और सर्वोत्तम अवसर से वंचित न रहे, यह हमारा प्रयास है, इसलिए हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं में अध्ययन को प्रोत्साहित किया।
नरेंद्र मोदी ने मातृभाषा में ज्ञान के विषय पर कहाकि हमारा प्रयास हैकि दुनिया की सर्वोत्तम सामग्री भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो, इसके लिए हम राष्ट्रभाषा अनुवाद मिशन पर काम कर रहे हैं, प्रयास यह हैकि इंटरनेट, जो ज्ञान और सूचनाओं का एक विशाल भंडार है, प्रत्येक भारतीय द्वारा अपनी भाषा में उपयोग किया जा सके। उन्होंने हाल ही में लॉंच किए गए यूनिफाइड लैंग्वेज इंटरफेस भाषिणी प्लेटफॉर्म के बारेमें भी बात की। असम और पूर्वोत्तर की जैव विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि असम में संगीत की समृद्ध विरासत है और इसे बड़े पैमाने पर दुनिया तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि क्षेत्र की भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी के संबंध में 8 वर्ष के प्रयास असम की आदिवासी परंपरा, पर्यटन और संस्कृति केलिए बेहद फायदेमंद होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि स्वच्छ भारत मिशन जैसे अभियानों में हमारे मीडिया की निभाई गई सकारात्मक भूमिका की आजभी पूरे देश और दुनिया में सराहना की जाती है। उन्होंने कहाकि इसी तरह आप अमृत महोत्सव में देश के प्रस्तावों में भागीदार बन सकते हैं। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकाला कि अच्छी तरह से सूचित, बेहतर जानकारी वाला समाज हम सभीका लक्ष्य होना चाहिए, आइए हमसब मिलकर काम करें। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी उपस्थित थे। वे समाचार पत्र अग्रदूत समूह की स्वर्ण जयंती समारोह समिति के मुख्य संरक्षक हैं।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]