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इसीलिए मोदी को माँ गंगा ने बुलाया था...!

तलवार के बल पर सभ्यता नष्ट करने की कोशिश की गई थी-मोदी

बाबा काशी विश्वनाथ कॉरीडोर करोड़ों-करोड़ आस्थावानों को समर्पित

Monday 13 December 2021 03:01:59 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

modi was called by mother ganga

वाराणसी। वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से पहलीबार नामांकन कराने के बाद काशीनगरी को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा थाकि मैं खुद नहीं आया हूं, मुझे माँ गंगा ने बुलाया है। नरेंद्र मोदी का इतना कहना थाकि काशीवासियों ने करतलध्वनि से उनको विजय का आशीर्वाद दिया। नरेंद्र मोदी के बनारस से चुनाव लड़ने के फैसले से चिढ़े उनके अनेक विरोधियों ने उनके इस कहने कीकि मुझे माँ गंगा ने बुलाया है, लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान कटाक्ष और मुहावरे बनाकर बहुत खिल्ली उड़ाई थी, लेकिन प्रबुद्ध काशी नगरी ने माँ गंगा का यह संदेश समझ लिया था और नरेंद्र मोदी को प्रचंड जीत दिलाई। नरेंद्र मोदी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और माँ गंगा के आदेश पर चलना शुरू कर दिया, जिसकी आज ऐतिहासिक और चमत्कारिक परिणिति बाबा विश्वनाथ दरबार के भव्य कारिडोर और काशी के कायाकल्प के रूपमें सारी सनातन दुनिया के सामने हुई है। नरेंद्र मोदी ने उस समय जो कहा था कि मुझे माँ गंगा ने बुलाया है, वह वास्तविकता सिद्ध हुई है। सदियों बाद काशी अपने दिव्य स्वरूप को प्राप्त हुई है, जिसके कारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज जब हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ संपूर्ण कलाओं से दमकता हुआ बाबा विश्वनाथ दरबार का दिव्य कारिडोर काशी और विश्व को समर्पित किया तो लोगों के मुख से यह भी निकल रहा थाकि सदियों से प्रतीक्षित इस महान उद्देश्य के लिए ही माँ गंगा ने नरेंद्र मोदी को काशी बुलाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में शुरू हुआ बाबा विश्वनाथ दरबार कॉरीडोर का निर्माण उनके दूसरे कार्यकाल में काशी नगरी के कायाकल्य के साथ पूरा हुआ है। एक सांसद के रूपमें उनके काशी नगरी से वादे की बात करें तो नरेंद्र मोदी ने यह वादा भी नकेवल पूर्ण कर दिखाया है, अपितु इस हेतु उनका नाम इतिहास के गिने-चुने महानतम लोगों के बीच दर्ज हो गया है। इस्लामिक आततायी औरंगज़ेब के हाथों ध्वंस बाबा विश्वनाथ मंदिर के अंतिम स्वरूप का निर्माण कराने वाली, सनातन धर्म की पताका लहराने वाली इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर केबाद अब नरेंद्र मोदी का ही नाम लिया जाएगा। मंदिर पर स्वर्ण कवर महाराजा रणजीत सिंह ने चढ़वाया था उसके बाद से बाबा विश्वनाथ दरबार का दर्शन-अर्चन पूर्व सरकारों की भारी उपेक्षा के कारण बहुत दूभर था, जिसकी कायाकल्प करने का स्वप्न बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य रूपसे साकार किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर कहाकि वे काशीवासियों से तीन संकल्प चाहते हैं-स्वच्छता, सृजन और आत्मनिर्भर भारत। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को संजो रहा है और आज जिनके हाथ में डमरू है, उनकी सरकार है। प्रधानमंत्री ने कहाकि औरंगज़ेब ने अत्याचार करके भारतीय संस्कृति को कुचला, उसके अत्याचार का इतिहास गवाह है, उसने काशी को नष्ट करने की कोशिश की, जिसका छत्रपति शिवाजी ने डटकर मुकाबला किया। उन्होंने कहाकि औरंगज़ेब ने बाबा विश्वनाथ मंदिर का जो ध्वंस किया था, उसकी महाराष्ट्र में जन्मी इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने प्राण प्रतिष्ठा दिलाई। उन्होंने कहाकि आज महादेव के आर्शीवाद से ही सबकुछ हो रहा है, उनकी इच्छा के बिना कुछ भी संभव नहीं होता है, विश्वनाथ धाम में अकल्पनीय शक्ति है। उन्होंने कहा कि जबभी काशी ने करवट ली है, देश का भाग्य बदला है। उन्होंने कहाकि भारत सभी एकसौ तीस करोड़ भारतवासियों के प्रयासों से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी पहुंचते ही सबसे पहले पूजा-अर्चना के साथ काशी के आध्यात्मिक कोतवाल कालभैरव का आशीर्वाद ग्रहण किया। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पहले भगवा वस्त्र में माँ गंगा में डुबकी लगाई और उनका विधिविधान से अर्चन करते हुए भगवान सूर्यदेव को अर्द्धय दिया। प्रधानमंत्री उसके बाद बाबा विश्वनाथ धाम की ओर बढे़ और चरणबद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में बाबा की पूजा की। उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम के पुनर्निमाण में शामिल श्रमजीवियों पर फूल बरसाए, उनके साथ फोटो खिंचवाया और फिर विश्वनाथ कॉरीडोर का उद्घाटन करते हुए कॉरीडोर में उपस्थित काशीवासियों, धर्माचार्यों, साधकों, ऋषि-मुनियों संतों और आमंत्रित अतिथियों को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ अपने उद्गार प्रकट किए। नरेंद्र मोदी गंगा में डुबकी लगाते हुए, माँ गंगा एवं काशीवासियों से किया अपना वादा पूरा करते हुए अपने आध्यात्मिक चरम पर दिखाई दिए। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह हम सभी के लिए विशेष दिन है, काशी विश्वनाथ धाम के नव्य-भव्य स्वरूप के लोकार्पण से आज काशीवासियों की हजारों वर्ष की प्रतीक्षा समाप्त हुई है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि माँ गंगा की गोद में उनके स्नेह ने कृतार्थ कर दिया और ऐसा लगा जैसे माँ गंगा की कलकल करती लहरें विश्वनाथ धाम के लिए आशीर्वाद दे रही हैं। उन्होंने कालभैरव का जिक्र करते हुए कहाकि काशी में कुछ भी खास हो, कुछ भी नया हो, उसके लिए उनसे पूछना आवश्यक है। उन्होंने काशी की महिमा का वर्णन करते हुए कहाकि काशी वो है, जहां जागृति ही जीवन है, काशी वो है, जहां मृत्यु भी मंगल है, काशी वो है, जहां सत्य ही संस्कार है, काशी वो है, जहां प्रेम ही परंपरा है, काशी तो काशी है, काशी तो अविनाशी है, काशी में एक ही सरकार है, जिनके हाथों में डमरू है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हों, उस काशी को भला कौन रोक सकता है? उन्होंने कहाकि आज विश्वनाथ धाम अकल्पनीय, अनंत ऊर्जा से भरा हुआ है, उसका वैभव विस्तार ले रहा है, इसकी विशेषता आसमान छू रही है। उन्होंने कहाकि हमारे पुराणों में कहा गया हैकि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है, भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद एक अलौकिक ऊर्जा देता है और यहां आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि काशी में बाबा विश्वनाथ दरबार के आसपास जो अनेक प्राचीन मंदिर थे, लुप्त हो गए थे, उन्हें भी पुन: स्थापित किया जा चुका है, माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति कनाडा से वापस लाकर यहां स्थापित की ही जा चुकी है। उन्होंने कहाकि आतातायियों ने इस नगरी पर कई आक्रमण किए और इसे ध्वस्त करने के अनेक प्रयास किए, मगर इस देश की मिट्टी बाकी दुनिया से कुछ अलग है, इसलिए कभी यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं, अगर कोई सालार मसूद इधर बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का अहसास करा देते हैं। उन्होंने कहाकि अंग्रेजों के दौर में भी अंग्रेज हेस्टिंग का काशी के लोगों ने क्या हश्र किया था, ये तो काशी के लोग स्वयं जानते ही हैं। उन्होंने कहाकि काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति चार जैन तीर्थंकरों की धरती है, राजा हरिश्चंद्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रमानंद के ज्ञान, चैतन्य महाप्रभु, समर्थगुरु रामदास, स्वामी विवेकानंद, मदनमोहन मालवीय तक बनारस वो नगर है, जहांसे जगद्गुरू शंकराचार्य को डोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने का संकल्प लिया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि यह वो जगह है, जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस जैसी अलौकिक रचना की, यहीं की धरती से सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ, समाज सुधार के लिए कबीर दास जैसे मनीषी यहां प्रकट हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि समाज को जोड़ने की जरूरत थी तो महान संत रैदास की भक्ति की शक्ति का केंद्र भी ये काशी बनी। उन्होंने कहाकि कितने ही ऋषियों, आचार्यों का संबंध काशी की पवित्र धरती से रहा है। उन्होंने कहाकि गुलामी के लंबे कालखंड ने हम भारतीयों का आत्मविश्वास ऐसा तोड़ा कि हम अपने ही सृजन पर विश्वास खो बैठे, आज काशी से मैं हर देशवासी का आह्वान करता हूंकि पूरे आत्मविश्वास से सृजन करिए, महादेव की कृपा से हर भारतवासी के प्रयास से हम आत्मनिर्भर भारत का सपना सच होता देखेंगे। उन्होंने कहाकि पहले बाबा विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र केवल तीन हजार वर्ग फीट में था, जो अब करीब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है, अब मंदिर और मंदिर परिसर में 50 से 75 हजार श्रद्धालु आ सकते हैं, यानि पहले माँ गंगा का दर्शन-स्नान और वहां से सीधे विश्वनाथ धाम के दर्शन।
प्रधानमंत्री ने कहाकि छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़ने से यह धरती धन्य हो गई। रानीलक्ष्मी बाई से लेकर चंद्रशेखर आज़ाद तक, कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि-जन्मभूमि काशी रही है। उन्होंने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचंद, पंडित रविशंकर और बिस्मिल्लाह खान जैसी प्रतिभाएं यहां हुई हैं। उन्होंने कहाकि मैं आज अपने हर उस श्रमिक भाई-बहन का भी आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिसका पसीना इस भव्य परिसर के निर्माण में बहा है, कोरोना के विपरीत काल में भी उन्होंने यहां पर काम रुकने नहीं दिया। उन्होंने कहाकि मुझे अभी अपने इन श्रमिक साथियों से मिलने का सौभाग्य मिला है, हमारे कारीगर, हमारे सिविल इंजीनयरिंग से जुड़े लोग, प्रशासन के लोग, वो परिवार जिनके यहां घर थे, सभी का मैं अभिनंदन करता हूं। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन सबके साथ यूपी सरकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने काशी विश्वनाथ धाम परियोजना को पूरा करने केलिए दिन-रात एक कर दिया। उन्होंने कहाकि ये पूरा नया परिसर भव्य भवन भर नहीं है, ये भारत की सनातन संस्कृति, आध्यात्मिक आत्मा, प्राचीनता, परंपराओं, ऊर्जा और गतिशीलता का प्रतीक है। 

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