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आईआईटी भारत के परिवर्तन का साधन-मोदी

'भारत के स्टार्टअप में दुनिया को दिखता है अपना भविष्य'

आईआईटी बॉम्बे का 56वां भव्य वार्षिक दीक्षांत समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 11 August 2018 06:06:05 PM

pm narendra modi

मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे के 56वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया और कहा कि हम आज सही रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं और तकनीक के जरिए राष्ट्र निर्माण को नई दिशा मिल रही है। उन्होंने कहा कि आईआईटी भारत के परिवर्तन का साधन है और पिछले 6 दशक की निरंतर कोशिशों का ही परिणाम है कि आईआईटी बॉम्बे ने स्वतंत्र भारत के चुनिंदा संस्थानों में अपनी जगह बनाई है। उन्होंने कहा कि 110 वर्ष पहले देश की आज़ादी के लिए आज के ही दिन खुदीराम बोस ने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व त्याग कर दिया था, मैं उस वीर क्रांतिकारी को नमन करता हूं और देश की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के लिए जिन्होंने प्राण दे दिए, अपना सबकुछ समर्पित किया वो अमर हैं, वो प्रेरणा के मूर्ति बन गए हैं, लेकिन हमही वो लोग हैं, जिन्हें आज़ादी के लिए मरने का सौभाग्य नहीं मिला, किंतु हमारा यह सौभाग्य है कि हम आज़ाद भारत के लिए जी सकते हैं, हम देश की आज़ादी को राष्ट्र नवनिर्माण के लिए जीकरके जिंदगी का एक नया लुत्फ़ उठा सकते हैं। राज्यपाल सी विद्यासागर राव और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस आदि मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि युवाओं के चेहरे पर आत्मविश्वास और उत्साह देखकर मैं कह सकता हूं कि हम सही रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी बॉम्बे भारत के उन संस्थानों में है, जिनकी परिकल्पना टेक्नॉलॉजी के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण को नई दिशा देने के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि सौ मेधावी छात्रों से शुरु हुआ सफर आज 10 हज़ार तक पहुंच चुका है, इसने खुद को दुनिया के टॉप संस्थानों में स्थापित भी किया है, यह संस्थान अपनी हीरक जयंती मना रहा है, पर उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं वे सभी हीरे जो मेरे सामने बठे हैं, जिन्हें आज दीक्षा प्राप्त हो रही है और जो यहां से दीक्षा पाकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर डिग्री पाने वाले देश-विदेश के विद्यार्थियों और उनके परिवारों को हृदयपूर्वक बधाई दी, उनका अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि आज यहां डॉक्टर रोमेश वाधवानी को डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि दी गई है, डॉक्टर वाधवानी को मेरी तरफ से भी बहुत-बहुत बधाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि डॉ रोमेश वाधवानी ने टेक्नॉलॉजी को जनसामान्य की आवश्यकताओं से जोड़ने के लिए उम्रभर काम किया है, वाधवानी फाउंडेशन के जरिए इन्होंने देश में युवाओं के लिए रोज़गार निर्माण, कौशल, अभिनव और उद्यम का माहौल तैयार करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि एक संस्थान के बतौर ये सभी के लिए गर्व का विषय है कि यहां से निकले अनेक छात्र-छात्राएं आज देश के विकास में सक्रिय योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आईआईटी बॉम्बे को अब एक हज़ार करोड़ रुपए की आर्थिक मदद मिलने वाली है, जो आने वाले समय में यहां इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में काम आएगा। उन्होंने कहा कि आईआईटी बॉम्बे देश के उन संस्थानों में से है, जो न्यू इंडिया की नई तकनीक के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले दो दशक में दुनिया का विकास कितना और कैसा होगा, ये नवोन्मेष और नई टेक्नॉलॉजी तय करेगी, ऐसे में इस संस्थान का रोल बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि चाहे 5जी ब्रॉडबैंड टेक्नॉलॉजी हो, कृत्रिम बुद्धिमत्ता हो, ब्लॉक चेन प्रौद्योगिकी हो, बिग डेटा विश्लेषण हो या फिर मशीन लर्निंग ये वो तकनीक हैं, जो आने वाले समय में स्मार्ट विनिर्माण और स्मार्ट शहरों के विजन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होने वाली हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईआईटी बॉम्बे की नई बिल्डिंग का उद्घाटन भी किया, जिसमें ऊर्जा विज्ञान, इंजीनियरिंग विभाग, पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग के केंद्र काम करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि ये देखते हुए कि ऊर्जा और पर्यावरण देश और दुनिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं, मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में यहां इन दोनों क्षेत्रों में रिसर्च के लिए बेहतर माहौल बनेगा। उन्होंने कहा कि इस बिल्डिंग में एक सौर लैब भी स्थापित की जा रही है, जिससे छात्रों को सौर ऊर्जा से जुड़ी रिसर्च में सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा के अलावा जैव ईंधन भी आने वाले समय में स्वच्छ ऊर्जा का एक बहुत बड़ा स्रोत सिद्ध होने वाला है, मैंने कल दिल्ली में विश्व जैव ईंधन दिवस पर कहा भी था कि इससे जुड़ी टेक्नॉलॉजी को लेकर इंजीनियरिंग के छोटे से लेकर बड़े संस्थान में पढ़ाई और अनुसंधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईटी को देश और दुनिया भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के रूपमें जानती है, लेकिन आज हमारे लिए इनकी परिभाषा थोड़ी बदल गई है, ये सिर्फ प्रौद्योगिकी की पढ़ाई से जुड़े स्थानभर नहीं रह गए हैं, बल्कि आईआईटी भारत के परिवर्तन का साधन बन गए हैं। उन्होंने कहा कि हम जब परिवर्तन की बात करते हैं तो स्टार्टअप का एक बहुत बड़ा स्रोत हमारी आईआईटी क्रांति है, आज दुनिया आईआईटी को यूनिकॉर्न स्टार्टअप की नर्सरी के रूपमें मान रही है, यानी वो स्टार्टअप अभी भारत में शुरू हो रहे हैं, जिनका भविष्य में मूल्य एक अरब डॉलर से अधिक की होने की संभावना जताई जाती है, ये एक प्रकार से तकनीक के दर्पण हैं, जिसमें दुनिया को अपना भविष्य नज़र आता है।
इंजीनियरों की गुणवत्ता सुनिश्चित करें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज दुनियाभर में जितने भी बिलियन डॉलर स्टार्टअप हैं, उनमें दर्जनों ऐसे हैं, जिनको आईआईटी से निकले लोगों ने स्थापित किया है, आज अपने सामने मैं भविष्य के ऐसे अनेक यूनिकॉर्न संस्थापक देख रहा हूं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि हमने भारत और अटल इनोवेशन मिशन जैसे अभियान शुरु किए हैं, जिनके परिणाम अब मिलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि आज भारत स्टार्टअप के क्षेत्र में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र है, दस हज़ार से अधिक स्टार्टअप का देश में पालन-पोषण किया जा रहा है और फंडिंग की भी एक व्यापक व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज अभिनव सूचकांक की रैंकिंग में हम निरंतर ऊपर चढ़ रहे हैं, इसका अर्थ ये है कि शिक्षा से पर्यावरण तक का जो हमारा समग्र दृष्टिकोण है, उसका परिणाम आज दुनिया के सामने आ रहा है। उन्होंने कहा कि देश में साइंटिफिक टेंपर विकसित करने और रिसर्च का माहौल बनाने के लिए हायर एजुकेशन में इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि इन चार वर्ष में हमने 7 नए आईआईटी, 7 नए आईआईएम, 2 आईआईएसईआर और 11 आईआईआईटी स्वीकृत किए हैं। उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए शिक्षा में बुनियादी ढांचे और प्रणालियों के पुनरुद्धार कार्यक्रम शुरु किए गए हैं और इसके तहत आने वाले चार वर्ष में एक लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि नए संस्थान नया इंफ्रास्ट्रक्चर आवश्यक हैं, लेकिन उससे भी जरूरी वहां से तैयार होने वाली कुशल शक्ति है, जिस पर सरकार ध्यान दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश हरवर्ष लगभग 7 लाख इंजीनियर कैंपस में तैयार करता है, लेकिन कुछ लोग सिर्फ डिग्री लेकर ही निकलते हैं, उनमें स्किल क्षमता उतनी विकसित नहीं हो पाती। उन्होंने कहा कि मैं शिक्षकों, बुद्धिजीवियों से आग्रह करता हूं कि वे इस बारे में सोचें कि कैसे क्वालिटी को सुधारा जाए, इसपर सुझाव लेकर आएं। उन्होंने कहा कि मात्रा ही नहीं, बल्कि गुणवत्ता भी उच्चस्तर की हो, ये सुनिश्चित करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है, इसके लिए सरकार प्रयास भी कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री अनुसंधान फेलो योजना चला रही है, जिसके तहत हरवर्ष देशभर के एक हज़ार मेधावी इंजीनियरिंग छात्रों को रिसर्च के लिए संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं, इतना ही नहीं इस योजना में चयनित छात्रों को पीएचडी के लिए, आईआईटी और आईआईएससी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में ही दाखिला मिलने की व्यवस्था होती है, ये साहचर्य देश में रहते हुए ही रिसर्च के लिए बेहतरीन सुविधाएं देने का अवसर उपलब्ध करा रहा है और आईआईटी बॉम्बे के छात्र-छात्राओं को भी इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यहां जितने लोग भी बैठे हैं, वो या तो शिक्षक हैं या फिर भविष्य के लीडर हैं, आप आने वाले समय में देश के लिए या किसी संस्थान के लिए पॉलिसी मेकिंग के काम में जुड़ने वाले हैं, आप जैसे टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन से नए स्टार्ट अप के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, क्या करना है, कैसे करना है, इसके लिए आपका एक निश्चित विजन भी होगा।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि पुराने तौर तरीकों को छोड़ना अकसर आसान नहीं होता, समाज और सरकारी व्यवस्थाओं के साथ भी यह समस्या होती है, जो सिस्टम चल रहा था, उसमें बदलाव के लिए तैयार करना मुश्किल काम होता है, लेकिन जब सोच और कर्म के केंद्र में समर्पण, प्रेरणा और आकांक्षा होती है तो सारी बाधाओं को पार पाने में सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि आज सरकार देश के करोड़ों युवाओं की आकांक्षाओं को सामने रखकर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ आकांक्षाएं होना ही काफी नहीं है, लक्ष्य भी अहम होता है, मुझे उम्मीद है कि आप देश की आवश्यकताओं, देशवासियों की जरूरतों का अवश्य ध्यान रखेंगे और ऐसी अनेक समस्याएं हैं, जिनका समाधान आप सभी ढूंढ सकते हैं। उन्होंने कहा कि ये इस संस्थान का डायमंड जुबली वर्ष भी है, इस अवसर पर आपको मैं एक संकल्प से जोड़ना चाहता हूं कि क्या आईआईटी बॉम्बे उत्कृष्टता के शहर आधारित केंद्र बन सकता है? उन्होंने कहा कि सरकार ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट को कानून बनाकर अधिक स्वायत्तता दी है, ताकिआईआईएम से पढ़कर निकले विद्यार्थी इन संस्थानों में और ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि याद रखिए कि ये सिर्फ एक पड़ाव भर है, असली चुनौती आपका बाहर इंतज़ार कर रही है, आपने आज तक जो हासिल किया और आगे जो करने जा रहे हैं, उससे आपकी अपनी आपके परिवार की और सवा सौ करोड़ देशवासियों की उम्मीदें जुड़ी हैं, आप जो करने वाले हैं, उससे देश की नई पीढ़ी का भविष्य भी बनेगा और न्यू इंडिया भी मजबूत होगा।

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