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राज्यों में संपूर्ण सरकारी स्कूली शिक्षा प्रणाली

बच्चों की शिक्षा के लिए नीति आयोग का अभिनव प्रयोग

एसएटीएच-ई का दूरदर्शी रोडमैप जारी किया गया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 20 March 2018 12:34:18 PM

policy commission

नई दिल्ली। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत ने झारखंड, मध्य प्रदेश तथा ओडिशा की भागीदारी के साथ शिक्षा में मानव पूंजी में परिवर्तन लाने को सतत कार्रवाई के लिए एसएटीएच-ई नीति आयोग की परियोजना का दूरदर्शी रोडमैप जारी किया है। अमिताभ कांत ने परियोजना का महत्व बताया और कहा कि एसएटीएच-ई का अर्थ शिक्षा प्रणाली का साथी है, जिसके केंद्र में विद्यार्थी और शिक्षक हैं। उन्होंने कहा कि उद्देश्य है कि प्रत्येक बच्चे के लिए संपूर्ण सरकारी स्कूली शिक्षा प्रणाली को उत्तरदायी, आकांक्षी और परिवर्तनकारी बनाया जाए। रोडमैप जारी किए जाने से पहले राज्यों के प्रधान शिक्षा सचिवों और राज्य परियोजना निदेशकों ने फील्ड स्तर के अधिकारियों के साथ कार्यशाला का आयोजन किया। राज्यों ने अपने-अपने प्रणालीबद्ध और नवाचारी श्रेष्ठ व्यवहारों को प्रस्तुत किया, ताकि एक-दूसरे के अनुभवों को समझा जा सके। इस परियोजना की समीक्षा, डाटा संग्रहण तथा कार्यांवयन के लिए बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप तथा पीरामल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन लीडरशिप को नॉलेज पार्टनर के रूप में चुना गया है।
मध्य प्रदेश सरकार की प्रधान सचिव दीप्‍ति गौड़ मुखर्जी ने पारदर्शी ऑनलाइन प्रणाली से स्कूलों में आवश्यकता से अधिक शिक्षकों का स्थानांतरण करके रिक्तियां भरने के लिए राज्य में चलाई जा रही विवेक संगत शिक्षक योजना की विशेषताओं की जानकारी दी। ओडिशा सरकार के प्रधान सचिव पीके महापात्र ने आईएलएमएस यानी एकीकृत कानूनी कार्रवाई प्रबंधन प्रणाली के विकास की जानकारी दी, यह प्रणाली एकीकृत ऑनलाइन सॉफ्टवेयर है, जो शिक्षा से संबंधित विभिन्न अदालतों और ट्राइब्यूनलों में लंबित मामलों का कारगर प्रबंधन करती है। झारखंड सरकार के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने गुणवत्ता में सुधार के लिए स्कूल के आकार को बड़ा करने, शिक्षक आवश्यकताओं को पूरा करने और संसाधनों के कारगर आवंटन की आवश्यकता पर चर्चा की। रोडमैप में व्यक्त ये कार्यक्रम और अन्य पहलों को अगले 24 महीने में और मजबूत बनाया जाएगा, उन्हें आसान बनाया जाएगा और नॉलेज पार्टनरों-बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, पीरामल फाउंडेशन और एजुकेशन लीडरशिप की सलाह से एसएटीएच-ई में लागू किया जाएगा।
नीति आयोग के त्रिपक्षीय समझौते में चुनौती पद्धति से चयनित तीन राज्य तथा निजी क्षेत्र के नॉलेज पार्टनर्स हैं और यह समझौता नीति आयोग के स्पर्धी और सहकारी संघवाद के मूल को दर्शाता है। इस प्रक्रिया ने यह सुनिश्चित किया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय की योजनाएं तथा एसएटीएच-ई के अंतर्गत आने वाली योजनाएं संबंधित राज्य की योजनाओं के साथ सामंजस्य की स्थिति में हैं। नीति आयोग ने मई 2017 में सभी राज्यों को पत्र लिखकर राज्यों के स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में सुधार करने के लिए सहायता की पेशकश की थी। सोलह राज्यों ने इसके पक्ष में उत्तर दिया। मानव संसाधन मंत्रालय के साथ प्रजेंटेशन और परामर्श के बाद कार्यक्रम के लिए तीन राज्य-झारखंड, मध्य प्रदेश और ओडिशा चुने गए। इस तरह मानव पूंजी-शिक्षा में परिवर्तन करने के लिए एसएटीएच-ई का जन्म हुआ। एसएटीएच-ई पहल राज्यों के साथ औपचारिक समझौतों पर आधारित है और इसका धनपोषण नीति आयोग और सहभागी राज्यों के बीच लागत साझा करने की व्यवस्था के जरिए किया जाएगा।
एसएटीएच-ई परियोजना की कल्पना एक कार्यक्रम के रूप में की गई है, जिसका उद्देश्य इन तीन राज्यों में प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल शिक्षा में परिवर्तन करना है। एसएटीएच-ई रोडमैप में एक समयबद्ध, लक्ष्य प्रेरित अभ्यास का जिक्र है, जो अकादमिक वर्ष 2020 के अंत तक अपना तार्किक स्वरूप ले लेगा। इस अवधि में यदि राज्यों में इसे अनुकूल महसूस किया जाता है तो फिर अन्य दीर्घकालिक कार्यों की आधारशिला रखी जाएगी। हस्तक्षेप को सीमित करते हुए संपूर्ण प्रक्रिया राज्यों तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ परामर्श के अनुसार पूरी की जाएगी। इस कार्य में नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में राष्ट्रीय संचालन ग्रुप यानी एनएसजी तथा राज्यों के मुख्य सचिव सहायक होंगे और इसकी प्रगति की निरंतर निगरानी की जाएगी। इसमें गलती सुधारने के उपाय लागू किए जाएंगे और कार्यांवयन से संबंधित विषयों के लिए प्लेटफॉर्म प्रस्तुत किया जाएगा।
एसएटीएच-ई का उद्देश्य इस तरह शिक्षा और मुख्यधारा की उत्कृष्टता के लिए रोल मॉडल राज्य बनाना है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता और परिणाम में परिवर्तन किया जा सके। प्रौद्योगिकी को आवश्यकता आधारित डाटा प्रेरित मूल्यांकन से जोड़ने और इसे नवाचार, इनक्यूबेशन, बाह्य, तीसरा पक्ष धनपोषण तथा सार्वजनिक निजी परोपकार साझेदारी यानी पीपीपीपी का रूप देने से शिक्षा क्षेत्र में परिवर्तन लाने के कार्य में राज्य चालक की भूमिका में होंगे। परियोजना को शासित करने वाली संस्था राष्ट्रीय संचालन समूह यानी एनएसजी की पहली बैठक नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में हुई। इसमें झारखंड के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, नीति आयोग के मानव संसाधन सलाहकार आलोक कुमार, राज्यों के प्रधान शिक्षा सचिव, एसपीडी के राज्य परियोजना निदेशकनॉलेज पार्टनर्स और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले प्रतिनिधि मौजूद थे।

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