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'शिक्षक उन्हें ही बनाएं जो बुद्धिमान हों'

मजबूत शिक्षा प्रणाली आज की जरूरत-राष्ट्रपति

'नैतिक शिक्षा है प्रबुद्ध भारत का सुदृढ़ आधार'

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Monday 5 September 2016 02:57:43 AM

dr. sarvapalli radhakrishnan

नई दिल्ली/ लखनऊ। भारत में आज शिक्षक दिवस है। भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति हुए, भारतीय संस्कृति के तेजवान संवाहक, प्रख्यात शिक्षाविद्, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिंदू विचारक, ऐसे ही अनेक विशिष्ट गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन पांच सितंबर हर साल शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज देश और देश के सभी शिक्षण संस्थानों में विविध कार्यक्रमों के साथ शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दक्षिण भारत में तिरुत्तनि में हुआ था, जो चेन्नई के उत्तर-पूर्व में है। राजनीति में आने से पूर्व उन्होंने अपने जीवन के चालीस वर्ष एक आदर्श शिक्षक के रूप में व्यतीत किए। जब उनका जन्मदिन मनाने की बात आई तो फिर उन्होंने अपना जन्मदिन अपने नाम से नहीं, अपितु संपूर्ण शिक्षक समाज को समर्पित शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसके परिणामस्वरूप सारे देश में उनका जन्मदिन 5 सितंबर को प्रति वर्ष शिक्षक दिवस के नाम से ही मनाया जाता है।
डॉ राधाकृष्णन समस्त विश्व को एक शिक्षालय मानते थे, उनकी मान्यता थी कि शिक्षा से ही मानव मस्तिष्क का सदुपयोग किया जाना संभव है, इसीलिए विश्व को एक इकाई समझकर ही शिक्षा का प्रबंधन किया जाना चाहिए। ब्रिटेन के एडिनबरा विश्वविद्यालय में भाषण देते हुए उन्होंने कहा था कि मानव की जाति एक होनी चाहिए, मानव इतिहास का संपूर्ण लक्ष्य मानवजाति की मुक्ति है, यह तभी संभव है, जब सभी देशों की नीतियों का आधार विश्वशांति की स्थापना का प्रयत्न करना हो। वे अपनी बुद्धिमतापूर्ण व्याख्याओं, अभिव्यक्तियों और हंसाने एवं गुदगुदाने वाली आनंददायी कहानियों से छात्रों को मंत्रमुग्ध कर दिया करते थे। वे छात्रों को प्रेरित करते थे कि वे उच्च नैतिक मूल्यों को अपने आचरण में उतारें। वे जिस विषय को पढ़ाते थे, पढ़ाने के पहले स्वयं उसका अच्छा अध्ययन करते थे। दर्शन जैसे गम्भीर विषय को भी वे अपनी शैली की नवीनता से सरल और रोचक बना देते थे।
शिक्षक दिवस पर शिक्षा की गुणात्मकता और गुरु-शिष्य संबंधों की पवित्रता का पुण्य स्मरण एक नई चेतना पैदा करता है। डॉ राधाकृष्णन सन्‌ 1962 में भारत के राष्ट्रपति बने थे और शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने जो योगदान दिया वह निश्चय ही अमूल्य और अविस्मरणीय माना जाता है। वे कहा करते थे कि यद्यपि जानकारी का अपना महत्व है और आधुनिक युग में तकनीक की जानकारी महत्वपूर्ण भी है, तथापि व्यक्ति के बौद्धिक झुकाव और उसकी लोकतांत्रिक भावना का भी बड़ा महत्व है, ये बातें व्यक्ति को एक उत्तरदायी नागरिक बनाती हैं। वे कहते थे कि शिक्षा का लक्ष्य है ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति, यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो व्यक्ति को ज्ञान और कौशल दोनों प्रदान करती है तथा इनका जीवन में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करती है। वे कहा करते थे कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होता और शिक्षा को एक मिशन नहीं मानता, तब तक अच्छी शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती, शिक्षक उन्हीं लोगों को बनाया जाना चाहिए, जो सबसे अधिक बुद्धिमान हों। शिक्षक को मात्र अच्छी तरह अध्यापन करके ही संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए, अपितु उसे अपने छात्रों का स्नेह और आदर भी अर्जित करना चाहिए। सम्मान शिक्षक होने भर से नहीं मिलता, उसे अर्जित करना पड़ता है।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन शिक्षक दिवस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के शिक्षकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा है कि शिक्षक दिवस एक ऐसा अवसर है, जब हम अपने राष्ट्र के शिक्षकों की समर्पित सेवाओं का सम्मान करते हैं, जो हमारे बच्चों की बौद्धिक एवं नैतिक बुनियाद का निर्माण करने तथा उसे मजबूत बनाने के कार्य में तल्लीन हैं। उन्होंने कहा कि एक मजबूत शिक्षा प्रणाली ही प्रबुद्ध भारत का सुदृढ़ आधार है। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि समर्पित शिक्षक एक अच्छी शिक्षा प्रणाली के मूलभूत अंग होते हैं, एक समर्पित शिक्षक छात्रों के एकल लक्ष्यों को समाज एवं राष्ट्र के लक्ष्यों के साथ जोड़ता है। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों में त्याग, सहनशीलता, बहुवाद, बेहतर समझ एवं करूणा के सभ्यतागत मूल्यों को समाविष्ट करें। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को अध्यापन एवं अध्ययन के प्रति आधुनिक एवं कारगर दृष्टिकोण का सृजन करने के लिए प्रौद्योगिकी एवं नई पद्धतियों को भी आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्र के लोगों की तरफ से हमारे युवाओं को शिक्षित करने के महान ध्येय के प्रति शिक्षकों के जीवनभर के समर्पण एवं प्रतिबद्धता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षक दिवस पर अपने संदेश में शिक्षकों की निष्‍ठा और वचनबद्धता का अभिनंदन किया। प्रधानमंत्री ने भारत के राष्‍ट्रपति रहे डॉ एस राधाकृष्‍णन को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिनका जन्‍मदिवस देशभर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा-शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं! भारत सभी अध्‍यापकों की निष्‍ठा और वचनबद्धता का अभिनंदन करता है, जिनकी भूमिका राष्‍ट्र के निर्माण में सर्वोपरि है। उन्होंने कहा कि शिक्षाविद् राष्‍ट्रनायक और सम्‍माननीय अध्‍यापक डॉ एस राधाकृष्‍णन को श्रद्धाजंलि, जिन्‍होंने अनेक छात्रों का भविष्‍य निखारा और भारत की सेवा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर छात्र-छात्राओं से कहा कि उनके जीवन पर उनके अध्‍यापकों ने किस प्रकार से छाप छोड़ी है, अपने विचारों को साझा करें और शिक्षकों के बारे में अन्‍य अनेक लोगों के विचारों को भी पढ़ें। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, उत्तराखंड के राज्यपाल डॉ कृष्‍णकांत पाल, उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री रहे और वर्तमान में समाजकल्याण मंत्री रामगोविंद चौधरी, शिक्षामंत्री अहमद हसन, उच्च शिक्षामंत्री शारदा प्रताप शुक्ल, उप्र विधानसभा अध्यक्ष माताप्रसाद पांडेय ने शिक्षक दिवस पर शिक्षकों को बधाई दी है और छात्रों को प्रेरित किया है कि वे शिक्षा और शिक्षक के प्रति अपने नैतिक धर्म का पालन करें।

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