तस्करी से कछुओं की अनेक प्रजातियां हुईं लुप्त
विश्व कछुआ दिवस पर बप्पा में संगोष्ठीस्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 24 May 2016 07:12:30 AM
लखनऊ। बप्पा श्रीनारायण स्नातकोत्तर महाविद्यालय चारबाग लखनऊ के प्राणिविज्ञान विभाग में विश्व कछुआ दिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें प्राणिवैज्ञानिक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुधीश चंद्र ने कछुओं की उपयोगिता एवं उनके विलुप्त होने के कारणों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि प्रजातियों के हिसाब से कछुओं को तीन श्रेणी में बांट सकते हैं- थलचर, शाकाहारी जलचर एवं मांसाहारी जलचर। कछुए जलीय परितंत्र को स्वच्छ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, यह अधिकांशत: मछली, झींगा, घोंघा, मेंढक जल के सड़े गले जीवों एवं वनस्पतियों को खाते हैं और जलीय परितंत्र को स्वच्छ रखने में सहायक होते है।
डॉ सुधीश चंद्र ने बताया कि कछुए जल में कमजोर व बीमार मछलियों एवं जानवरों को खाते हैं तथा खाद्य श्रृंखला में महत्वपूर्ण परभक्षी की भूमिका निभाते हैं। प्राणिविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ संजीव शुक्ल ने मानवीय क्रियाकलापों जैसे कछुओं की तस्करी, जल प्रदूषण, नदी पर बांध और वैराज को मुख्यत: कछुओं की कमी का कारण बताया। इस परिचर्चा में महाविद्यालय के प्राणिविज्ञान विभाग के एमएससी प्रथम व द्वितीय वर्ष की छात्र-छात्राओं सहित शिक्षक डॉ बीना पी स्वामी, डॉ अमृता सिंह, डॉ शशिकांत शुक्ल, डॉ तबरेज अहमद, डॉ संदीप बाजपेयी, अंकिता श्रीवास्तव, विवेक दीक्षित और विवेक द्विवेदी आदि शिक्षक उपस्थित थे।