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उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव?

श्री अरविंदो सोसाइटी से लिया जा रहा सहयोग है क्या?

शिक्षा को अद्यतन बनाना समय की जरूरत-सीएम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 24 December 2015 02:41:51 PM

chief minister akhilesh yadav

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में आखिर क्या बदलाव होने जा रहा है? जी हां! उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश के विकास के लिए शिक्षा प्रणाली को अद्यतन बनाया जाना समय की जरूरत है, जिससे प्रदेश की छात्र-छात्राएं जरूरत के हिसाब से शिक्षा प्राप्त करने के अलावा स्वयं में नेतृत्व क्षमता का विकास कर सकें, इसके लिए प्रदेश में पहली बार कोई राज्य सरकार अपने शिक्षा अधिकारियों को आधुनिक प्रबंधन की जानकारी दे रही है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही बिना किसी अतिरिक्त वित्तीय निवेश के वर्तमान संसाधनों का समुचित सदुपयोग करते हुए विद्यार्थियों, अध्यापकों एवं अधिकारियों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश शासन के प्रवक्ता के नाम से मीडिया को भेजे गए एक ईमेल में बताया गया है कि इसके लिए श्री अरविन्दो सोसाइटी की मदद ली जा रही है। सोसाइटी की ओर से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा विभाग के 150 अधिकारियों को ‘लीडरशिप बाई कांशस्नेस’ कार्यक्रम के तहत रामगढ़ में सघन प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें विभागीय अधिकारियों के अलावा मुख्यमंत्री के सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा एवं प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जीतेंद्र कुमार भी भाग ले रहे हैं।
'शासन के प्रवक्ता' ने इसे एक राज्य स्तरीय पहल बताते हुए ईमेल में कहा है कि शिक्षा विभाग में जीरो इंवेस्टमेंट इनोवेशंस इन एज्युकेशन इनिशिएटिव्स व्यवस्था (जेडआईआईआईईआई) लागू करके पूरी शिक्षा प्रणाली को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत नवाचार को बढ़ावा देकर शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक स्टेक होल्डर में जागरूकता पैदा की जाएगी, साथ ही जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों में आधुनिक प्रबंधन, तकनीक एवं नेतृत्व क्षमता विकसित करने की कोशिश की जाएगी, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक एवं व्यावहारिक बदलाव लाए जा सकें। ईमेल में आगे कहा गया है कि श्री अरविन्दो सोसाइटी द्वारा जेडआईआईआईईआई के माध्यम से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में निचले स्तर तक नवपरिवर्तन लाने के लिए किया गया है, ताकि मौजूदा व्यवस्था में बिना किसी अतिरिक्त निवेश के आमूल-चूल परिवर्तन लाया जा सके। बताया गया है कि प्रथम चरण में यह प्रयास सरकारी तथा सहायता प्राप्त स्कूलों में किया जाएगा, इसके माध्यम से लगभग 4 लाख शिक्षकों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा और उनके अनुभवों का नियमित डॉक्यूमेंटेशन भी किया जाएगा।
'शासन के प्रवक्ता' ने बताया है कि शिक्षकों को प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों की ओर से प्रस्तुत किए गए उत्कृष्ट नवाचार संबंधित विचारों एवं सुझावों को उन्हीं से उनके ही विद्यालयों में लागू करवाकर उसके व्यावहारिक पहलुओं का जायजा लिया जाएगा। नवाचार पर काम करने वाले शिक्षकों को आर्थिक पुरस्कार के साथ-साथ उनको प्रशस्ति पत्र भी दिया जाएगा, ताकि वे प्रोत्साहित होकर अपने नवाचार पर आगे कार्य कर सकें। प्रवक्ता के अनुसार जेडआईआईआईईआई के अंतर्गत क्लासरूम डिलीवरी के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता, नैतिक मूल्यों, प्रशासनिक प्रक्रियाओं, अवस्थापना सुविधाओं, अभिभावकों का सहयोग तथा नेतृत्व और तकनीक को भी शामिल किया जाएगा, साथ ही इस प्रशिक्षण के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में विशिष्ट विकास के इम्पैक्ट एरियाज पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार पहले ही श्री अरविन्दो सोसाइटी के साथ मिलकर शिक्षा से संबंधित योजनाओं पर काम शुरू कर चुकी है। सरकारी प्रवक्ता का दावा है कि उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत अरविंदो सोसाइटी इस वर्ष अप्रैल से अब तक 50 जिलों के 13,000 शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को पाठ्यक्रम पर आधारित मोटीवेशनल वर्कशॉप में प्रशिक्षण दे चुकी है, जिसके काफी सकारात्मक परिणाम रहे हैं और शिक्षण वातावरण में सुधार आया है।
उल्लेखनीय है कि हाल ही में पुड्डुचेरी की स्वैच्छिक संस्था श्री अरविन्दो सोसाइटी के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर राज्य की निचले स्तर ‌की शिक्षा से लेकर माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों को भी प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव दिया था। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम इसी क्रम में आयोजित किया जा रहा है। बताया जा रहा है किनवाचार को बढ़ावा देकर शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक स्टेक होल्डर में जागरूकता पैदा की जाएगी, जिसमें पहले शिक्षा विभाग के 150 अधिकारियों को सघन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस संबंध में कुछ सवाल और संशय भी सामने आ रहे हैं। सरकार के पास प्रशिक्षण का हब मौजूद होने के बावजूद इस कार्य में किसी स्वैच्छिक संस्था श्री अरविन्दो सोसाइटी की सहायता लेने की आवश्यकता क्यों पड़ी है और क्या इसके पीछे उत्तर प्रदेश राज्य की सपा सरकार की नीतियों के अनुकूल पाठ्यक्रम में भी बदलाव की कोशिश की जा रही है? इस मामले में ज्यादा जानकारी देने के लिए सरकार के प्रवक्ता का पता नहीं मिल है, जिससे सवाल खड़े हो रहे हैं कि सपा सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्‍था में बदलाव के नाम पर शिक्षा प्रबंधन या पाठ्यक्रम में क्या करने जा रही है?

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