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टैक्नोक्रैट पर सारा दारोमदार-राष्ट्रपति

इंजीनियरिंग सैन्‍य महाविद्यालय में दीक्षांत समारोह

सूचना प्रौद्योगिकी से सेना हुई और ज्यादा शक्तिशाली

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Monday 21 December 2015 02:46:40 AM

pranab mukherjee in convocation ceremony, military college of engineering in secunderabad

नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सिकंदराबाद में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग सैन्‍य महाविद्यालय के 96वें डिग्री इंजीनियरिंग एवं 24वें टेक्निकल एंट्री स्‍कीम पाठ्यक्रम के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। छात्रों को संबोधित करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा है कि प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी विकास की जिम्‍मेदारी युवा टेक्‍नोक्रैट की है, जिसे सैन्‍य अन्‍वेषण की गति में तेजी और उपयोग में लाया जा सके। उन्‍होंने कहा कि अपने प्रतिद्वंदियों पर तुलनात्‍मक वर्चस्‍व हासिल करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्‍नतियों को उपयोग में लाने के रक्षाबल के संचालन के तरीकों में संशोधन करने और उन्‍हें स्‍पष्‍ट बनाने की उनसे राष्‍ट्र उम्‍मीद करेगा। राष्‍ट्रपति ने कहा कि युवा टेक्‍नोक्रैट के रूप में उन्‍हें यह अवश्‍य याद रखना चाहिए कि भारतीय सेना कई गैर सैन्‍य अन्‍वेषणों का पथ प्रदर्शक रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि सैन्‍य प्रौद्योगिकी ने सिविल सोसाएटी को बेशुमार लाभ पहुंचाया है और इससे हुए अनपेक्षित लाभों ने राष्‍ट्रनिर्माण में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि युद्धों का इतिहास सैन्‍य संघर्षों के परिणाम पर प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका का स्‍पष्‍ट उदाहरण है और संभावित विरोधियों पर सैन्‍य क्षमता का दबदबा बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी को उन्‍नत बनाते रहने के लिए सतत प्रयासों की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि सशस्‍त्र बल और प्रौद्योगिकी राष्‍ट्र की प्रतिरक्षा क्षमता के विकास और संवर्धन में रणनीतिक साझीदार रहे हैं। राष्‍ट्रपति इलेक्ट्रॉनिक्स के मिलिट्री कॉलेज और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय सिकंदराबाद के 88वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे। विश्वविद्यालय के 96वें डिग्री इंजीनियरिंग और 24वीं टेक्निकल एंट्री स्कीम पाठ्यक्रम के अधिकारियों के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर और राष्‍ट्रपति से मिला यह दुर्लभ सम्मान था। राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि मैं आपसे अपने लिए एक उपयुक्‍त लक्ष्य निर्धारित करने का आग्रह करता हूं और ऐसा करने के बाद आप इसे साकार करने के लिए अपनी तकनीकी क्षमता एवं कड़ी मेहनत का उपयोग करें। एमसीईएमई की स्थापना के बाद से एमसीईएमई की यात्रा करने वाले प्रणब मुखर्जी तीसरे राष्ट्रपति हैं, उनसे पहले डॉ राजेंद्र प्रसाद और डॉ एस राधाकृष्णन ने क्रमश: वर्ष 1955 और 1964 में कॉलेज का दौरा किया था। बहरहाल यह पहली बार है, जब राष्ट्रपति दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि हुए। दीक्षांत समारोह में भाग लेने वालों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन, लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हैरिज, जीओसी-इन-सी, एआरटीआरएसी, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह, कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी और गणमान्य नागरिक शामिल थे।
प्रणब मुखर्जी को सेना के लिए स्नातक होने वाले अधिकारियों की डिजाइन की गई परियोजनाओं के बारे में जानकारी दी गई और उन्होंने स्नातक अधिकारियों की परियोजनाओं की सराहना की। उन्होंने उनके समर्पण और अकादमिक उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी। इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय सिकंदराबाद के आईएसओ 9001 प्रमाणित संस्‍थान मिलिट्री कॉलेज को भारतीय सेना के प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान के रूप में विकसित किया गया है, इसे 1946 में स्थापित किया गया था। एमसीईएमई मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार, माइक्रोवेव प्रौद्योगिकी, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग, आईटी और कंप्यूटर विज्ञान जैसे विभिन्न विषयों में ईएमई वाहिनी के मानव संसाधन प्रशिक्षण के लिए बुनियादी स्तर से एमटेक स्तर से लेकर पाठ्यक्रम तक आयोजित करता है। इनमें डिप्लोमा और बीटेक कार्यक्रमों बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, अत्याधुनिक संचार उपकरण, एयर डिफेंस हथियार प्रणालियों, राडार, मिसाइल प्रणाली, हेलीकाप्टरों और मानवरहित यान से लेकर विविध सैन्य उपकरण शामिल हैं। प्रशिक्षण की विविधता और जटिलता इसे देश में एक अनूठा संस्थान बनाती है। एमसीईएमई अपने एमटेक, बीटेक और इंजीनियरिंग डिप्लोमा कार्यक्रमों के लिए जेएनटीयू और जेएनयू से संबद्ध है।
राष्‍ट्रपति ने अधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि यह दीक्षांत समारोह उनके शैक्षणिक विकास में एक उल्‍लेखनीय मील का पत्‍थर है, डिग्रियां एवं पुरस्‍कार उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम हैं, यह सभी शिक्षकों, सलाहकारों, संकाय सदस्‍यों एवं माता-पिता के लिए गर्व का क्षण है। उन्‍होंने कहा कि उच्‍चतर शिक्षा की तलाश, जो एमसीईएमई के पोर्टल के साथ शुरू हुई, भारतीय सेना में हमेशा उनके पेशेवर जीवन में बनी रहेगी। उन्‍होंने कहा कि अध्‍ययन एक अंतहीन प्रक्रिया है और मातृ संस्‍था है। उन्‍होंने कहा कि प्रदान की गई ठोस बुनियाद उनको विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए क्षितिजों की तलाश करने की शक्ति देगी। उन्‍होंने कहा कि स्‍नातक एक बहुत चुनौतीपूर्ण यात्रा की शुरूआत है, आप ऐसे युग में रहते हैं, जहां प्रौद्योगिकी के परिवर्तनकाल की गति इतनी तेज है कि जिस वक्त मैं बोल रहा हूं उस वक्‍त भी नई अवधारणाएं बनाई जा रही होंगी, स्‍थापित प्रतिमानों की पुनर्व्‍याख्‍या की जा रही होगी और अनुसंधानकर्ता नई संभावनाओं की तलाश कर रहे होंगे। उन्‍होंने कहा कि पथ प्रदर्शक अनुसंधान में बदलाव प्राणपोषक और विस्‍मयकारक है, आपकी चुनौतियां नवीनतम रक्षा प्रौद्योगिकियों को उपयोग में लाने तथा यह सुनिश्चित करने की होगी कि भारतीय सेना इनसे लाभ प्राप्‍त करे।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि युद्धों का इतिहास सैन्‍य संघर्षों के परिणाम पर प्रौद्योगिकी की निर्णायक भूमिका का स्‍पष्‍ट उदाहरण है, संभावित विरोधियों पर सैन्‍य क्षमता का दबदबा बनाए रखने के लिए प्रौद्योगिकी को उन्‍नत बनाते रहने के लिए सतत प्रयासों की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि सशस्‍त्र बल और प्रौद्योगिकी राष्‍ट्र की प्रतिरक्षा क्षमता के विकास और संवर्धन में रणनीतिक साझीदार रहे हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि यह बड़ी प्रसन्‍नता की बात है कि इस महाविद्यालय के प्रशिक्षण का खाका सुरक्षा वातावरण एवं प्रौद्योगिकी उन्‍नतियों दोनों के साथ कदम मिलाकर चल रहा है। उन्‍होंने कहा कि गाइडेड वीपन सिस्‍टम्‍स एंड एसोसिएटेड टेक्नोलॉजी संकाय राष्‍ट्र की रक्षा के उनके संकल्पित लक्ष्‍य के साथ प्रौद्योगिकी को जोड़ने की रक्षा बलों की दूरदर्शिता का एक उदाहरण है। उन्‍होंने कहा कि ज्ञान जो कि परम शक्ति है, वर्तमान सदी में विश्‍व में मुद्रा की तरह उभर रहा है, ज्ञान और उत्‍साह रचनात्मक विचारों एवं अन्‍वेषणों की तरफ प्रेरित करता है, जो मौजूदा पद्धतियों एवं प्रणालियों को प्रभावित करेगा एवं उन्‍हें बेहतर बनाएगा। राष्‍ट्रपति ने कहा कि चुनौतियों को स्‍वीकार करने और उनपर विजय पाने की लालसा राष्‍ट्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय दोनों लक्ष्यों को अर्जित करने की शक्ति देगी। उन्‍होंने कहा कि युवा टेक्‍नोक्रैट के रूप में उन्हें यह अवश्‍य याद रखना चाहिए कि भारतीय सेना कई गैर सैन्‍य अन्‍वेषणों का पथ प्रदर्शक रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि यह भी बहुत प्रसन्‍नता की बात है कि स्‍नातक के दोनों ही पाठ्यक्रमों में अत्‍याधुनिक प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, जिनमें बायोमेट्रिक्‍स से लेकर सौर बिजली तक शामिल है। उन्‍होंने कहा कि परियोजनाओं की व्‍यापक किस्‍मों का उपयोग सिविल सोसाएटी तथा सैन्‍य क्षेत्रों दोनों में ही किया जाएगा। सैन्‍य प्रौद्योगिकी ने सिविल सोसायटी को बेशुमार लाभ पहुंचाया है और इससे हुए अनपेक्षित लाभों ने राष्‍ट्रनिर्माण में उल्‍लेखनीय योगदान दिया है। उन्‍होंने कहा कि मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई थी कि इस वर्ष सेना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना की आठ परियोजनाओं को उत्‍कृष्‍टता के लिए पुरस्‍कार दिया था, जिनमें से 4 एमसीईएमई के थे। उन्‍होंने भरोसा जताते हुए कहा कि आप इस धरोहर को बरकरार रखेंगे और प्रौद्योगिकी के साथ आपका संबंध लगातार बना रहेगा।

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