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शिक्षा ज्ञान और जीवन चरित्र है-राष्ट्रपति

ओडीशा में रामेश्‍वर हाई स्‍कूल की स्‍वर्ण जयंती

'विद्यालय स्‍तर से ही शिक्षा को सुदृढ़ बनाएं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 8 August 2015 03:39:26 AM

pranab mukherjee

भुवनेश्वर। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ओडीशा के खुर्दा जिले में रामेश्‍वर स्थित रामेश्‍वर हाई स्‍कूल के स्‍वर्ण जयंती समारोह का शुभारंभ किया। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उन्‍हें रामेश्‍वर हाई स्‍कूल के स्‍वर्ण जयंती समारोह में शामिल होने पर खुशी है, मगर उन्हें डॉक्‍टर जानकी बल्‍लभ पटनायक की अनुपस्थिति खल रही है। उन्‍होंने कहा कि जानकी बाबू ने राजनीतिक गतिविधियों के अलावा अपने संपूर्ण जीवन में शैक्षणिक गतिविधियां जारी रखीं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र के अलावा डॉक्‍टर जानकी बल्‍लभ पटनायक से उनकी मित्रता साहित्‍य, कला और दर्शन जैसे क्षेत्रों में भी रही।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि जानकी बाबू स्‍वयं रामेश्‍वर के गांव में इन विद्यालयों के ही एक विद्यार्थी थे। उन्होंने कहा कि उन्‍हें बताया गया कि अल्‍पसंख्‍यक छात्राओं सहित इस क्षेत्र की लड़कियों को रामेश्‍वर हाई स्‍कूल के कारण ही शिक्षा प्राप्‍त हो सकी। उन्होंने कहा कि इस विद्यालय के हरे-भरे वातावरण ने उन्‍हें प्राचीन भारत के ‘तपोवन’ की याद दिला दी है, जहां गुरुजन प्रकृति के सानिध्‍य में शिक्षा प्रदान किया करते थे। विद्यालय का स्‍वर्ण जयंती समारोह जानकी बाबू और विद्यालय के स्‍वरूप को बदलने में उनके योगदान को एक श्रद्धांजलि भी है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि शिक्षा सिर्फ संग्रह नहीं है, बल्कि जानकारी के इस संग्रह को ज्ञान में बदलने का एक माध्‍यम है। उन्‍होंने स्‍वामी विवेकानंद का उद्धरण देते हुए कहा कि शिक्षा जानकारी का एक संग्रह नहीं है, जिसे हम मस्तिष्‍क में रखते हैं, हमें इससे जीवन निर्माण, मनुष्‍य निर्माण, चरित्र निर्माण और विचारों का समावेशन भी करना चाहिए, यदि आप इन पांच विचारों का समावेशन कर चुके हैं और इन्‍हें अपना जीवन और चरित्र बना चुके हैं तो आपके पास उस व्‍यक्ति से ज्‍यादा शिक्षा होगी, जिसने हृदय से एक पूरे पुस्‍तकालय को पढ़ा है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत के जनसांख्यिकीय विभाजन को भरने के लिए युवा जनसंख्‍या को पर्याप्‍त रूप से दक्ष होना होगा, ताकि युवा सही रोज़गार प्राप्‍त करने और राष्‍ट्र के विकास में योगदान देने के लिए तैयार हों। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हालांकि हमारे यहां नामचीन शिक्षा संस्‍थान हैं, लेकिन यह गंभीर चिंता का विषय है कि इनमें से कोई भी विश्‍व के 200 प्रमुख संस्‍थानों की सूची में नहीं हैं, इस कमी को दूर किए जाने की जरूरत है, यदि हम विद्यालय स्‍तर से ही शिक्षा को सुदृढ़ बनाते हैं तो हम इस अंतर को पाट सकते हैं।

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