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राम जन्मस्‍थान पर ही मंदिर चाहिए-विहिप

हरिद्वार में विहिप के मार्गदर्शक मंडल की उद्घोषणा

'प्रभु श्रीराम भारत की अस्मिता के प्रतीक हैं'

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Wednesday 27 May 2015 06:50:26 AM

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हरिद्वार। विश्व ‌हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने मां गंगा के पावन तट पर इस शाश्वत सत्य की उद्घोषणा की है कि प्रभु श्रीराम ने जिसे धारण किया, वही आदर्श धर्म है, जिसे उन्होंने संस्कार प्रदान किया, वही हिंदू संस्कृति है और जिसको वे आचरण में लाए, वही हिंदुओं का सदाचार है, इसीलिए तो कहा गया है कि 'रामो विग्रहवान धर्म:' अर्थात श्रीराम धर्म के साक्षात विग्रह हैं। श्रीराम भारत की अस्मिता के प्रतीक हैं, मर्यादा के महानायक एवं हिंदू संस्कृति के मूर्तिमान स्वरूप हैं, श्रीराम के गुण अनंत हैं, वे गंभीरता में समुद्र, धैर्य में हिमालय, त्याग में कुबेर व क्रोध में कालाग्नि और क्षमा में पृथ्वी के समान हैं। मार्गदर्शक मंडल ने आगे कहा कि वे ईश्वर हैं फिर भी उन्हें इसका अभिमान नहीं है, वे साधारण मनुष्य के समान आचरण करते हुए भी अधर्म से बचते हैं और धर्म की मर्यादा में स्थिर रहते हैं, इसलिए सबकी दृष्टि में वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, इसी का परिणाम है कि वह जन-जन के अत:करण में आराध्य के रूप में विराजमान है।
विश्व ‌हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने आगे कहा है कि श्रीराम से हम सबका रिश्ता जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत तक का है, ऐसे प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर उनकी गरिमा के अनुरूप भव्य मंदिर का निर्माण हम सबका पुनीत कर्त्तव्य है। मार्गदर्शक मंडल का कहना है कि सनातन सत्य है कि काशी भगवान शंकर, मथुरा श्रीकृष्ण और अयोध्या प्रभु श्रीराम की अवतरण स्थली है, इन स्थानों पर राम, कृष्ण और शिव की गरिमा के अनुरूप भव्य मंदिरों का निर्माण आजादी के 68 वर्ष के बाद भी नहीं हो पाना हमारे लिए वेदना दायक है। मार्गदर्शक मंडल ने कहा कि इतिहास का यह भी एक कटु सत्य है कि इस्लामिक आक्रांताओं ने देश के विभिन्न हिस्सों में 3000 से भी अधिक मठ-मंदिरों को ध्वस्त कर दिया है, स्वाधीनता के पश्चात सरदार वल्लभ भाई पटेल सरीखे देश के नेताओं ने राजनीतिक दृढ़ इच्छा शक्ति और राष्ट्रीय स्वाभिमान का परिचय देते हुए सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का निर्णय भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल से करवाया था, जिसको महात्मा गांधी का आशीर्वाद प्राप्त था और सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद स्वयं उपस्थित हुए थे और उन्होंने अपने संदेश में कहा था कि आज हम सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ-साथ अपने खोए हुए राष्ट्रीय गौरव की भी पुर्नप्रतिष्ठा कर रहे हैं, इस अवसर पर सम्मिलित होकर मैं गौरवांवित अनुभव कर रहा हूं।
मार्गदर्शक मंडल ने कहा कि सन् 1947 के पश्चात ही दिल्ली के इंडिया गेट से जार्ज पंचम की मूर्ति हटाई गई, दिल्ली, अयोध्या सहित सारे भारत से विक्टोरिया की मूर्तियां हटाई गईं, दिल्ली में विलिंग्टन हॉस्पिटल का नाम डॉ राममनोहर लोहिया हॉस्पिटल और इर्विन हॉस्पिटल का नाम जयप्रकाश नारायण हॉस्पिटल, मिंटो ब्रिज का नाम शिवाजी ब्रिज रखा गया, इस प्रकार शहरों के नाम परिवर्तन के पीछे परतंत्रता से मुक्ति पाने की भावना ही निहित है, अत: सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रारंभ की गई इस परंपरा को आगे बढ़ाने से ही देश का सम्मान संसार में बढ़ेगा। केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल ने अपने संकल्प को दृढ़तापूर्वक पुन: दोहराया कि अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा के भीतर का संपूर्ण क्षेत्र प्रभु श्रीराम की क्रीड़ा-लीला और संस्कार भूमि है, प्रतिवर्ष हजारों रामभक्त उसकी परिक्रमा करते हैं, इस संपूर्ण क्षेत्र में सैकड़ों तीर्थस्थान हैं, इसलिए यह क्षेत्र सबके लिए वंदनीय व पूजनीय है, श्रीराम जन्मभूमि के बदले इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कोई इस्लामिक पूजा स्थान एवं सांस्कृतिक केंद्र नहीं बनेगा और बाबर के नाम से तो भारत में कहीं भी नहीं बनना चाहिए, जहां रामलला विराजमान हैं, वही स्थान श्रीराम जन्मभूमि है।
विहिप मार्गदर्शक मंडल ने कहा कि हमारी इस आस्था, विश्वास और श्रद्धा की पुष्टि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सितंबर 2010 के अपने निर्णय में की है, इसलिए सम्पूर्ण अधिग्रहीत क्षेत्र में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर का ही निर्माण होगा। मार्गदर्शक मंडल ने कहा कि उच्च न्यायालय में यह भी निर्णित हो चुका है कि आज जहां रामलला विराजमान हैं, वहां 1528 ईस्वीं के पहले एक विशाल मंदिर था, जिसे बाबर ने तोड़ा था, भारत सरकार को 1994 में सर्वोच्च न्यायालय को दिए गए अपने वचन का पालन करना चाहिए, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए 2.75 लाख गांव में शिलापूजन के कार्यक्रमों में 6.5 करोड़ लोगों ने भाग लेकर 'श्रीराम जन्मभूमि न्यास' के प्रस्तुत प्रारुप को स्वीकृति प्रदान की हुई है, अयोध्या कार्यशाला में इस प्रारुप के अनुरूप लगभग 60 प्रतिशत पत्थर नक्काशी करके रखा हुआ है, अत: उसी निर्धारित प्रारुप के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि न्यास के और प्रारंभ से लेकर आज तक जुड़े संतों के नेतृत्व में ही श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण होगा। केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल निर्णय किया है कि संतों का एक प्रतिनिधिमंडल भारत सरकार से संपर्क स्थापित कर मंदिर निर्माण में उपस्थित बाधाओं को दूर करने हेतु वार्ता करेगा।

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