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चीन के साथ व्‍यापार में घाटा

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Wednesday 11 December 2013 05:19:39 AM

नई दिल्‍ली। वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के राज्‍य मंत्री डॉ ईएम सुदर्शन नाच्‍चीयप्‍पन ने आज राज्‍यसभा में कहा कि चीन के साथ व्‍यापार घाटे को कम करने के लिए विभिन्‍न प्रयास किये जा रहे हैं। इसमें निर्मित वस्‍तुओं पर अधिक ध्‍यान केंद्रित करने के साथ-साथ अधिक वस्‍तुओं के द्वारा विविधिकरण के प्रयास किये जा रहे हैं। चीन के विभिन्‍न बाजारों में बाजार तक पहुंच संभव बनाने के लिए गैर शुल्‍कीय बाधाओं को दूर करने संबंधी प्रयास जारी हैं। इसके साथ ही मंत्री स्‍तर पर व्‍यापार संबंधी विभिन्‍न मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों, व्‍यापार, विज्ञान और तकनीक पर संयुक्‍त समूह बनाये गए हैं।
नाच्‍चीयप्‍पन ने कहा कि चीन में होने वाले बड़े व्‍यापार मेलों में भारतीय उत्‍पादों को प्रदर्शित करने और चीन की कंपनियों के साथ अधिक कार्य करने के लिए भारतीय निर्यातकों को प्रोत्‍साहित किया जाता है, व्‍यापार मेलों में भारतीय निर्यातकों की भागीदारी से चीन के आयातकों को भारतीय उत्‍पादों के बारे में अधिक जानकारी मिलती है, इसके साथ ही चीन को निर्यात बढ़ाने के लिए विभिन्‍न योजनाओं जैसे बाजार पहुंच शुरूआत (एमएआई) बाजार विकास सहायता के तहत व्‍यापार से व्‍यापार संबंधों को बढ़ाने संबंधी प्रोत्‍साहन भी दिया जाता है।
उन्‍होंने बताया कि वर्ष 2012-13 के दौरान चीन को 13,579.51 अमरीकी मिलियन डॉलर का निर्यात और 52,248.33 मिलियन डॉलर का आयात किया गया। इस अवधि के दौरान चीन के साथ व्‍यापार घाटा 38,668.81 अमरीकी मिलियन डॉलर रहा। वर्तमान वर्ष 2013-14 में अप्रैल से अक्‍टूबर की अवधि में चीन को 7,225.59 अमरीकी मिलियन डॉलर का निर्यात और 30,511.17 अमरीकी मिलियन डॉलर का आयात किया गया। पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में इस वर्ष व्‍यापार घाटे में 2.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

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