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टाइम्‍स ऑफ इंडिया की जयंती पर स्‍मृति डाक टिकट

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Friday 15 November 2013 03:00:51 AM

pranab mukherjee releasing the commemorative stamp of times of india

नई‌ दिल्‍ली। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने टाइम्‍स ऑफ इंडिया की 175वीं जयंती पर राष्‍ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में स्‍मृति डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर टाइम्‍स समूह के मैनेजिंग डायरेक्‍टर के बयान के संदर्भ में राष्‍ट्रपति ने कहा कि इसके पीछे कोई राजनीतिक गुरु नहीं है और इसके पीछे कोई छिपा हुआ एजेंडा भी नहीं है, बल्कि यह इस महान संस्‍थान का एक अपना उद्देश्‍य है।
राष्‍ट्रपति ने याद किया कि किस प्रकार टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने भारत के इतिहास के हर मोड़ को दस्‍तावेज़ के रूप में संग्रहित किया है। इसने महारानी विक्‍टोरिया के भारत की सम्राज्ञी के रूप में राज्‍याभिषेक के समाचार को भी हम तक पहुंचाया और इसने यह कहते हुए 1885 में भारतीय राष्‍ट्रीय कांग्रेस के गठन का समाचार दिया कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की भूमि पर इ‍तनी महत्‍वपूर्ण और व्‍यापक जनसभा पहले कभी नहीं हुई।
भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव के 1931 के साहसपूर्ण संघर्ष के समाचार भी विस्‍तार से प्रकाशित किये गये। टाइम्‍स ऑफ इंडिया में यह भी समाचार दिया गया था कि किस प्रकार भगत‍ सिंह ने कभी भी क्षमादान के लिए अपील नहीं की। भगत सिंह ने जज के सामने केवल एक ही अपील की थी कि उन्‍हें फांसी देने की जगह गोली मारी जाए।
राष्‍ट्रपति ने इस ओर ध्‍यान दिलाया कि भारतीय संविधान को स्‍वरूप देने वाले राजनैतिक सुधारों के हर कदम की टाइम्‍स ऑफ इंडिया में खबर दी जाती रही। भारत के संविधान के बनने व स्‍वीकार किये जाने के समय भी यह सक्रिय था। इसने टेलीग्राम सेवा शुरू होने और आखिरी टेलीग्राम भेजे जाने को भी कवर किया।
राष्‍ट्रपति ने 175वीं जयंती व डाक टिकट के विषय के रूप में कार्टूनिस्‍ट आरके लक्ष्‍मण के कॉमन मैन को चुनने के लिए टाइम्‍स ऑफ इंडिया और डाक विभाग को बधाई देते हुए अपना संबोधन समाप्‍त किया। उन्‍होंने इस अवसर पर इस समाचार पत्र को स्‍वरूप देने वाले और भविष्‍य के लिए इसका मार्ग प्रशस्‍त करने वाले सभी संपादकों और पत्रकारों को भी याद किया। इस अवसर पर संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्‍बल भी उपस्थित थे।

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