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बिंदुखत्ता को भी राजस्व गांव बनाओ!

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Friday 25 October 2013 09:01:28 AM

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लालकुआं-उत्तराखंड। बिंदुखत्ता को आज तक जो भी प्राप्त हुआ है, वह उसे लड़ते-लड़ते ही मिला है और आगे भी संघर्ष के बूते ही राजस्व गांव और पंचायत चुनाव हासिल होंगे। भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजेंद्र प्रथोली ने लालकुआं तहसील पर धरना-प्रदर्शन को संबोधित करते हुए यह बात कही। बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने और उत्तराखंड के पंचायत चुनाव के साथ-साथ बिंदुखत्ता में भी पंचायत चुनाव के सवाल पर भाकपा (माले) के नेतृत्व में बिंदुखत्ता के ग्रामीण विष्णु धर्मकांटा पर एकत्र हुए, वहां से जुलूस के रूप में नारेबाजी के साथ तहसील पहुंचे, जहां जुलूस धरने में तब्दील हो गया।
राजेंद्र प्रथोली ने कहा कि स्थानीय विधायक और उत्तराखंड सरकार में श्रम मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का वायदा कर भारी मतों से विधानसभा पहुंचे पर वहां जाकर बिंदुखत्ता के सवाल पर प्रस्ताव लाना तो दूर रहा, अब तो वे जनता के बीच बिंदुखत्ता के राजस्व गांव के प्रश्न को उलझा रहे हैं और इसके जरिए अपनी नाकामी और जनविरोधी चरित्र को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कांग्रेस-भाजपा के जनप्रतिनिधियों के कारण ही बिंदुखत्ता राजस्व गांव का सवाल पीछे चला गया है और इनके खिलाफ निर्मम संघर्ष चलाकर ही हम ये लड़ाई जीत सकते हैं।
भाकपा (माले) की केंद्रीय कमेटी सदस्य कॉमरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड के जनप्रतिनिधि और नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है। इनको जनता के दुख-दर्द की कोई चिंता नहीं रह गई है, इसके बजाय मनमानापन और जनविरोधी चरित्र इनकी विशेषता बन गई है। उन्होंने कहा कि बिंदुखत्ता की जनता से लेकर धारचूला के पीड़ितों तक अपने हक की लड़ाई लड़ने वालों की उत्तराखंड की नौकरशाही और यहां की सरकार कोई सुध नहीं लेना चाहती, बल्कि आंदोलन कर आपदा पीड़ितों की लड़ाई लड़ने वालों को जेल भेज कर अपना जनविरोधी चरित्र उजागर कर रही है।
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि और नौकरशाह जनता के प्रति जवाबदेह होने के बजाय बड़े पूंजीपति और माफियाओं के प्रति जिम्मेदारी महसूस करते हैं जो कि शर्मनाक है। उन्होंने राजस्व गांव के सवाल पर कांग्रेस-भाजपा को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि भारी जनदबाव के बाद कांग्रेस-भाजपा जैसी पार्टियों को बिंदुखत्ता को राजस्व गांव के मुद्दे को अपने घोषणापत्रों में शामिल जरूर किया है, परंतु लगातार इस मुद्दे के साथ गद्दारी का इनका इतिहास है। इसी तरह बिंदुखत्ता को विधायक-सांसद चुनने का अधिकार तो है, लेकिन अपने पंचायत प्रतिनिधि चुनने का अधिकार नहीं है, यदि बिंदुखत्ता में पंचायत चुनाव नहीं कराए गए तो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा को इसका जरूर जबाव देना होगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को संबोधित दो सूत्रीय मांग पत्र-बिदुंखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा दो, बिंदुखत्ता में भी पंचायत चुनाव कराओ भेजा गया। सभा में घोषणा की गई कि पंचायत चुनाव पर संघर्ष जारी रहेगा और राजस्व गांव पर फरवरी में बड़ी गोलबंदी की जाएगी। धरना प्रदर्शन में बहादुर सिंह जंगी, कैलाश पांडेय, मान सिंह पाल, आनंद सिंह सिजवाली, विमला रौंथाण, पुष्कर दुबड़िया, गोविंद जीना, भुवन जोशी, राजेंद्र शाह, कमलापति जोशी, ललित मटियाली, पंकज इंकलाबी, भावना देवी, बसंती देवी, मोहनराम, प्रेमराम, इंदर सिंह तुलेरा, स्वरूप सिंह दानू, गोपाल दत्त देवराड़ी, बिशनी कार्की, आनंदी देवी, गोपाल सिंह आदि मौजूद थे।

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