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काले धन पर समस्या बरकरार-प्रधानमंत्री

‘आईएमएफ को योगदान में कुछ भी ग़लत नहीं’

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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह-prime minister manmohan singh

नई दिल्ली। लास काबोस में जी-20 बैठक और दो दिन रिओ में सतत विकास पर चले सम्‍मेलन में भाग लेने के बाद मैक्सिको और ब्राजील से दिल्‍ली आते हुए विमान में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मीडिया से बातचीत की और कई प्रश्नों पर उत्तर दिए। उनसे एक प्रश्न था कि उन्होंने जी-20 में भारत ने यूरो संकट के समाधान के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष को 10 अरब अमरीकी डॉलर की सहायता की पेशकश की, लेकिन इस कदम की भी देश में गलत व्‍याख्‍या हुई है, प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्‍य हैं और चाहेंगे कि अंतर्राष्‍ट्रीय अर्थव्‍यवस्‍था और वित्तीय व्‍यवस्‍था के सामने आने वाली समस्‍याओं से निपटने में आईएमएफ महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाए, इसे अहम भूमिका निभानी है, इसलिए लास काबोस में तय किया गया कि इसके सदस्‍य देश 450 अरब डॉलर का योगदान करेंगे, ताकि आईएमएफ जरूरतमंद देशों की मदद कर सके, अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय का एक जिम्‍मेदार सदस्‍य होने के नाते यह हमारा कर्तव्‍य है कि हम भी योगदान करें, इस घोषणा से पहले ब्रिक्‍स नेताओं से बात की गई थी और सभी ब्रिक्‍स देशों ने इतना योगदान किया है, इसलिए मुझे नहीं लगता है कि आईएमएफ को हमारे इस योगदान में कुछ भी गलत है, यह योगदान तभी इस्‍तेमाल किया जाएगा जब इसकी जरूरत होगी और यह भारत की संरक्षित निधि का हिस्‍सा बना रहेगा।
प्रधानमंत्री ने मैक्सिको में अपने संबोधन के दौरान आपने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था में आई गिरावट के बारे में बात करते हुए आपने पारदर्शी और स्‍थाई नीतियों को लागू करने, कुछ अंदरूनी बाधाओं को दूर करने और सब्सिडी पर नियंत्रण जैसे कड़े फैसले लेने के बारे में जिक्र करते हुए काफी समय लिया था। इस पर प्रश्न आया कि क्‍या उनको लगता है कि राष्‍ट्रपति चुनाव के समय में हालात ऐसे हैं, जिनमें इन कड़े फैसलों को तेजी से अमल में लाया जा सके? प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपने देश में वे सभी फैसले करना चाहते हैं, जो इसे उच्‍च विकास के पथ पर वापस ले जा सके, वित्तीय प्रबंधन के मामले में कुछ समस्‍याएं हैं, हम इन समस्‍याओं का प्रभावी और विश्‍वसनीय समाधान ढूढ़ेंगे, चालू खाते पर भुगतान घाटा के बैलेंस के प्रबंधन को लेकर भी समस्‍याएं हैं, इन समस्‍याओं का भी समाधान निकाला जाएगा, उनके लिए इन चीजों पर विस्‍तार से बात करना उचित नहीं होगा, लेकिन मैं आपको आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि मैं उन कदमों को भलीभांति समझ रहा हूं, जो भारत के विकास की गति को फिर से तेज करने के लिए जरूरी हैं और जनता भी जिनके बारे में सरकार से अपेक्षा रखती है, साथ ही हमारा यह विश्‍वास पहले के मुकाबले ज्‍यादा दृढ़ हुआ है कि भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश की समस्‍याओं के लिए किसी बाहरी समाधान पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है, इसलिए यह हमारा दायित्‍व बनता है और मैं राजनीतिक दलों से अपील करुंगा कि हम सरकार के साथ मिलकर विकास की उस गति को बहाल करें, जहां तक पहुंचने में देश सक्षम है और जिसकी देश को जरूरत है।
एक प्रश्‍न काले धन पर आया, जिसमें उनसे जानना चाहा गया कि जी-20 सम्‍मेलन में काले धन के मुद्दे पर क्‍या राय थी और क्‍या यह मुद्दा अप्रासंगिक हो चुका है या फिर इसमें कोई सुधार हुआ है? प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में कुछ भी कहना जल्‍दबाजी होगी, यह समस्‍या बरकरार है, लेकिन इसके समाधान के लिए कोई जादू की छड़ी नहीं है, मुझे लगता है कि यह बेहद धीमी प्रक्रिया होगी। उनसे पूछा गया कि रेटिंग एजेंसियां भारत के बारे में लगातार नकारात्‍मक संकेत दे रही हैं, अप्रैल में स्‍टैंडर्डस एंड पुअर्स ने ऐसी रेटिंग दी थी और अब फिच ने ऐसा किया है, पुरानी कर दरों में सुधार की प्रक्रिया भारत में प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश को प्रभावित कर रही हैं, ऐसे में हम वोडाफोन जैसे मामलों के लिए क्‍या कर रहे हैं? क्‍या कोई ऐसे शुभ संकेत हैं, जिसकी तैयारी हम फिलहाल कर रहे हैं? इस पर प्रधानमंत्री बोले कि हमें पोर्टपोलियो निवेश और प्रत्‍यक्ष निवेश, दोनों ही रूपों में विदेश निवेश की जरूरत है, यदि इसके रास्‍ते में कोई बाधा आती है और यदि कोई नीतिगत बाधा भी आती है, तो हम इनका प्रभावी और विश्‍वसनीय समाधान ढूढेंगे।
एक प्रश्न था कि क्‍या आपको यह सोचने का मौका मिला है कि वित्‍त मंत्री और लोकसभा में सदन के नेता के तौर पर प्रणब मुखर्जी के उत्‍तराधिकारी कौन होंगे और क्‍या आप फिलहाल वित्‍त मंत्रालय अपने पास रखेंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं काफी मंथन कर रहा हूं, ईमानदारी से कहूं तो मुझे तमाम मुद्दों पर समाधान ढूढ़ने होते हैं। उनसे प्रश्‍न किया गया कि भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मध्‍य तिमाही नीति की समीक्षा में अपनी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और कहा है कि ब्‍याज दरें इस समय विकास को प्रभावित करने वाला मुख्‍य कारक शायद नहीं भी हो, वहीं आपने बाहरी प्रभावों और घरेलू नीतिगत विषयों की बात की है, जिसे दूसरे लोग नीतिगत समस्‍या भी करार देते हैं, विकास को नुकसान पहुंचाने वाला सबसे बड़ा कारक कौन सा है? और क्‍या आपको लगता है कि मुद्रास्‍फीति के कारण अर्थव्‍यवस्‍था में मंदी की आशंका उचित है?
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुद्रा स्‍फीति के कारण मंदी जैसी कोई बात नहीं है, गति धीमी जरूर हुई है, मुझे अब भी भरोसा है कि हम इस वर्ष के शेष महीनों में अपनी विकास दर 7 प्रतिशत वार्षिक रख सकते हैं, रिजर्व बैंक के कार्यों के संबंध में, मौद्रिक नीति देश के केंद्रीय बैंक का अधिकार है, भारत का केंद्रीय बैंक अर्थात रिजर्व बैंक एक स्‍वायत्‍त संस्‍था है, रिजर्व बैंक और सरकार अक्‍सर परामर्श करते रहते हैं, लेकिन हम रिजर्व बैंक की स्‍वायत्‍ता का आदर करते हैं और इसलिए रिजर्व बैंक जो भी कहता है, उस पर सभी संबंधित पक्षों को ध्‍यान देना चाहिए।
कैबिनेट में जल्‍द ही फेरबदल करने और क्‍या संप्रग में कुछ नए सहयोगी जुड़ने वाले हैं के सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे लगता है कि ऐसी उम्‍मीदें वाजिब हैं, अगर ऐसा कुछ होगा तो आपको पता चलेगा। आपने कहा कि आप भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का आत्‍म विश्‍वास बहाल करने के लिए तमाम कदम उठाने वाले हैं, लेकिन इनमें तीन सबसे महत्‍वपूर्ण चीजें-भूमि, ऊर्जा और जल, राज्‍य सूची से संबंधित हैं, जब हम एक व्‍यापारी से बात करते हैं तो वह कहता है कि इन तीनों के अभाव में वह निवेश के लिए आगे नहीं बढ़ सकता है तो केंद्र सरकार उन मुद्दों को सुलझाने के लिए क्‍या कर रही है, जिनका समाधान वास्‍तव में राज्‍य सरकारों को करना है? इस सवाल पर प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी राजनीति अर्द्धसंघीय है और इसलिए सहकारी संघीय व्‍यवस्‍था सभी राजनीतिक दलों को सत्‍ता में बनाए रखती है, कुछ केंद्र में सत्‍ता में होते हैं तो कुछ राज्‍यों में, ऐसे में सभी को साथ मिलकर काम करना और देश को फिर से ऐसे विकास पथ पर ले जाना जरूरी हो जाता है जैसा हमने वित्‍त वर्ष 2011-12 तक हासिल किया था।
प्रश्‍न किया गया कि रुपये के मूल्‍य में पिछले दो दिनों में रिकॉर्ड गिरावट आई है और वह प्रति डॉलर 57 रुपये से भी नीचे चला गया है, मॉनसून संबंधी ताजा स्थिति सामान्‍य से 26 प्रतिशत नीचे है और हमारा घाटा अभी भी चुनौती बना हुआ है, क्‍या आने वाले दिनों में कुछ आशा की जा सकती है और क्‍या आप एक बेहतर वित्‍त मंत्री, कम से कम आंतरिक रूप से बेहतर नहीं होंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि कौन वित्‍त मंत्री होगा, इस बारे में जब कोई बनेगा आपको जानकारी मिल जाएगी। जहां तक मॉनसून का संबंध है, मैं अनुमान लगाना पसंद नहीं करता, लेकिन हम किसी भी अनिश्चितता से निपटने के लिए तैयार हैं, यदि खाद्यान्न उत्‍पादन में गिरावट आती है, तो वह खाद्यान की उपलब्‍धता को प्रभावित नहीं करेगा, हमारे पास खाद्यान का रिकॉर्ड भंडार है, जो हमारी आवश्‍यकता से कहीं ज्‍यादा है और इसलिए यह सु‍निश्‍चत करने के लिए सरकार पर भरोसा कर सकते हैं कि यदि, परमात्‍मा न करे, उत्‍पादन में कमी आती भी है और यदि आंशिक सूखे की स्थिति भी बनती है, तो भी हम उस चुनौती से निपटने के लिए पूर्ण सक्षम हैं, जहां तक रुपये का संबंध है, हम एक प्रणाली चला रहे हैं, जो मार्केट आ‍धारित विनिमय दर है, हम केवल अ‍त्‍यधिक उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए ही हस्‍तक्षेप करते हैं, मुझे विश्‍वास है कि जिन उपायों की मैंने रूपरेखा बताई है, उनसे रुपया भी अधिक स्थिर पथ पर लौट आएगा।
रिओ में आपने उल्‍लेख किया था कि तकनीकी रूप से प्रगतिशील देश प्रौद्योगिकी का हस्‍तांतरण नहीं कर रहे हैं और ना ही सहयोग कर रहे हैं, क्‍या आप इस पर विस्‍तार से बताएंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय सभाएं प्रबोधन में प्रवीण हैं, निर्धन देशों को अधिक धन की आवश्‍यकता होती है, अपनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं की उच्‍च विकास दर बनाए रखने के लिए अधिक पूंजी की आवश्‍यकता होती है, उन्‍हें अपने आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अनुकूल शर्तों पर प्रौद्योगिकियों के अधिक प्रवाह की भी जरूरत होती है, विकसित देशों ने इस विचार के प्रति अत्‍यधिक मौखिक सहानुभूति दिखाई है और दिखा रहे हैं कि हम अधिकाधिक एक-दूसरे पर निर्भर जगत में रहते हैं और कि विकसित देशों का विकासशील देशों की सहायता करना दायित्‍व है, लेकिन कुल मिलाकर यथार्थ स्थिति प्रशंसनीय नहीं है, जैसा कि मैंने रिओ सम्‍मेलन में कहा था। जहां तक भारत का संबंध है, मैं उल्‍लेख कर चुका हूं कि हमें अपनी अर्थव्‍यवस्‍था इस तरीके से नियोजित करनी चाहिए कि हम बाहरी सहायता की उस स्‍तर पर अपेक्षा नहीं करें, जो हमारी कठिनाइयों में हमारे सहायक हो सकें, हमें अपने अर्थव्‍यवस्‍थाओं को अपने अच्‍छे उपायों के जरिए बढ़ाना है।
प्रश्न था कि आपने सभी राजनीतिक दलों से इस कठिन समय में सरकार की सहायता का अनुरोध किया है, ऐसा प्रतीत होता है कि आपका अपना सहयोगी दल, तृणमूल कांग्रेस कठिनाइयां पैदा कर रहा है, क्‍या आप संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में सहयोगी दलों के तालमेल में किसी परिवर्तन की संभावना की अपेक्षा करते हैं, आप किस प्रकार इन बाधाओं को दूर करेंगे और उस आर्थिक पैकेज का क्‍या करेंगे, जो ममता बनर्जी मांग कर रहीं हैं? प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं ऐसे समय में जब अपने देश से बाहर विमान में हूं, देश के अंदर की राजनीति पर चर्चा नहीं कर सकता, मुझे अभी भी विश्‍वास है कि जब हमें हमारे देश की मूल बुनियादी समस्‍याओं से निपटना होगा, तो सभी राजनीतिक दल सहायता करेंगे, फिर चाहे वह तृणमूल कांग्रेस हो अथवा अन्‍य दल। मैं उनमें से प्रत्‍येक से अपेक्षा करता हूं कि वे इस देश को विकास के उच्‍च पथ पर पुन: लाने में अपनी भूमिका निभाएंगे, जिसमें हम सक्षम हैं।
भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को उदार बनाए हुए बीस वर्ष हो गए हैं, इन बीस वर्षों में से पांच साल तो आप वित्‍त मंत्री रहे और उसके बाद आठ वर्ष से आप प्रधानमंत्री हैं, इस प्रकार आप अर्थव्‍यवस्‍था को अच्‍छी तरह जानते हैं, लेकिन इन वर्षों में ऐसा क्‍या ठीक या ग़लत हो गया है कि जो हमें एक बार फिर इस विषय पर चर्चा करने के लिए विवश कर रहा है-प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं यहां स्‍पष्‍ट कर देना चाहता हूं कि बहुत सारी बातें, जो ठीक नहीं चल रही हैं, उनकी उत्पत्ति भारत से बाहर हुई है। वर्ष 2008 के वित्‍तीय संकट ने हमारी विकास दर को प्रभावित किया। हमारी विकास दर 9 प्रतिशत से गिरकर 6.7 प्रतिशत रह गई है और हालांकि हमने अगले दो वर्षों में स्थिति बहाल कर ली थी, लेकिन तब यूरोजोन संकट पैदा हो गया और इस प्रकार विकासशील देशों से काफी पूंजी बाहर चली गई। सुरक्षा की तलाश में पूंजी जर्मनी जाना चाहती है, अमरीका जाना चाहती है और इस प्रकार चीन सहित सभी विकासशील देश विकास दरों में गिरावट देख रहे हैं। जैसा कि पहले मैंने कहा है कि हमारे अपने देश में समस्‍याएं हैं। हमें वित्‍तीय संतुलन को बहाल करने में पहले से कहीं अधिक काम करना होगा, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए व्‍यवस्थित रूप से काम करना होगा कि अदायगी संतुलन की समस्‍या का उचित रूप में प्रबंध किया जाए और प्रत्‍यक्ष एवं पोर्टफोलियो विदेशी निवेश के लिए वातावरण को अनुकूल बनाना होगा।
प्रश्‍न था कि संयुक्‍त प्रगतिशील गठबंधन को एकजुट बनाए रखने के लिए क्‍या आप ममता बनर्जी को राष्‍ट्रपति पद के उम्‍मीदवार का समर्थन करने के अपने फैसले पर पुन: विचार करने का अनुरोध करेंगे और क्‍या आप भारतीय जनता पार्टी को राष्‍ट्रपति पद के लिए अपना उम्‍मीदवार हटाने की अपील करेंगे? प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे ही हमने प्रणब मुखर्जी का नामांकन करने के बारे में फैसला लिया, तो मैंने लाल कृष्‍ण आडवानी, सुषमा स्‍वराज और अरूण जेटली को फोन करके अनुरोध किया कि वे सरकार और सत्‍ताधारी गठबंधन के साथ यह सुनिश्चित करें कि प्रणब जी का चुनाव सर्वसम्‍मत हो, जहां तक तृणमूल कांग्रेस का संबंध है, तृणमूल कांग्रेस अभी भी यूपीए का हिस्‍सा है और मुझे अभी भी आशा है कि तृणमूल कांग्रेस प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने का कोई न कोई रास्‍ता ढूंढ लेगी।

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