स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Saturday 11 October 2025 02:54:34 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा हैकि देश में हिंदू आबादी घट गई है, जबकि मुस्लिम आबादी पहले से बढ़ गई है। ‘घुसपैठ, जनसांख्यिकी परिवर्तन व लोकतंत्र’ विषय पर दैनिक जागरण के नरेंद्र मोहन स्मृति व्याख्यान में गृहमंत्री ने भारत में जनसंख्या जनगणना के 1951, 1971, 1991 और 2011 के आंकड़े पेश करते हुए कहाकि 1951 की जनगणना में हिंदू आबादी 84 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 9.8 प्रतिशत, वर्ष 1971 में हिंदू आबादी 2 प्रतिशत घट गई और मुस्लिम आबादी 11 प्रतिशत हो गई, वर्ष 1991 में हिंदू आबादी 1 प्रतिशत और घट गई, जबकि मुस्लिम आबादी बढ़कर 12.2 प्रतिशत हो गई, वर्ष 2011 में हिंदू आबादी तेजीसे घटकर 79 प्रतिशत रह गई, जबकि मुस्लिम आबादी 14.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, इस प्रकार भारत में हिंदू आबादी में उल्लेखनीय कमी देखी जा रही है। भारत में हिंदू-मुस्लिम जनसंख्या के यह आंकड़े देश को गहरी चिंता में डालने वाले हैं, तब जब भारत और पाकिस्तान के मुसलमान खुलेआम कह रहे हैंकि जल्द ही हम मिलकर इतने हो जाएंगेकि आसानी से हिंदुओं की सत्ता पलटकर भारत में फिरसे इस्लामिक शासन हो जाएगा। गृहमंत्री का कहना हैकि भारत में मुसलमानों की वृद्धि का कारण उनकी प्रजनन दर में वृद्धि नहीं, बल्कि घुसपैठ है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि भारत में 1951, 1971, 1991 और 2011 की जनगणना में धर्म पूछने की परंपरा रही है और 1951 में जब यह निर्णय लिया गया, तब उनकी पार्टी यानी भाजपा का गठन भी नहीं हुआ था। उन्होंने कहाकि यदि देश का विभाजन नहीं हुआ होता तो शायद धर्म आधारित जनगणना की आवश्यकता ही नहीं पड़ती, चूंकि देश का विभाजन ही धर्म के आधार पर हुआ, इसलिए भारत में सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने 1951 की जनगणना से धर्म पूछना उचित समझा, जिससे यह आकड़े सामने आ रहे हैं। अमित शाह ने कहाकि मुस्लिम आबादी में 24.6 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जबकि हिंदू आबादी में 4.5 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहाकि जब भारत का विभाजन हुआ तो धर्म के आधार पर पाकिस्तान का गठन हुआ और वह भी विभाजित हुआ और उसमें बांग्लादेश बना। उन्होंने कहाकि भारत में दोनों ओर से घुसपैठ के कारण जनसंख्या में इतना बड़ा परिवर्तन हुआ है। गृहमंत्री ने कहाकि हमें हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए, जिसमें 1951 में पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी 13 प्रतिशत थी, जबकि अन्य अल्पसंख्यकों की आबादी 1.2 प्रतिशत थी, अब पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी घटकर मात्र 1.73 प्रतिशत रह गई है। अमित शाह ने कहाकि बांग्लादेश में 1951 में हिंदुओं की आबादी 22 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 7.9 प्रतिशत रह गई है, इसी प्रकार अफगानिस्तान में उस समय 2 लाख 20 हजार हिंदू और सिख थे, जो घटकर मात्र 150 रह गए हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में जो हिंदू आबादी कम हुई है, वह धर्मांतरण के कारण कम नहीं हुई, बल्कि वहां से बहुत से मुस्लिम लोग भारत में आकर शरण ले चुके हैं। उन्होंने कहाकि मुस्लिम आबादी में जो वृद्धि हुई है, वह बड़ी संख्या में मुस्लिमों के भारत में घुसपैठ के कारण हुई है। अमित शाह ने कहाकि जब भारत का विभाजन हुआ, तब यह तय किया गया थाकि दोनों देशों में सभी धर्मों के पालन की स्वतंत्रता होगी, भारत में तो यह स्वतंत्रता आजतक बनी है, संविधान के अनुच्छेद 19 और 20 ने सभीको संरक्षण प्रदान किया हुआ है, जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश ने स्वयं को इस्लामिक राष्ट्र घोषितकर इस्लाम को अपना राजधर्म बना लिया। गृहमंत्री ने कहाकि इन देशों में हिंदुओं पर अनेक प्रकार के अत्याचार और प्रताड़नाएं की जाती हैं, जिससे हिंदू वहां से भागकर भारत में शरण लेने आए। उन्होंने कहाकि आजादी के तुरंत बाद भारत के सभी नेताओं ने यह वादा किया थाकि चूंकि अभी देश में आपाधापी के कारण बड़े दंगे हो रहे हैं, इसलिए अभी न आएं, लेकिन बादमें जबभी वे आना चाहेंगे, हम उन्हें स्वीकार करेंगे।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि उन्हें भारत में स्वीकार करने का वादा पंडित जवाहरलाल नेहरू-लियाकत समझौते का हिस्सा था, जब वे लोग भारत आए तो उन्हें शरणार्थी माना गया, लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं दी गई। अमित शाह ने कहाकि चार पीढ़ियां बीत चुकी हैं, फिरभी उन्हें नागरिकता नहीं मिली, जब भाजपा को पूर्णबहुमत प्राप्त हुआ, तब हमने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू किया और उन्हें नागरिकता प्रदान की। गृहमंत्री ने कहाकि सीएए किसी की नागरिकता छीनने का नहीं, बल्कि नागरिकता प्रदान करने का कार्यक्रम है, इस अधिनियम के किसीभी प्रावधान में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या किसी अन्य की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है, इसका उद्देश्य केवल शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करना है। अमित शाह ने कहाकि वर्ष 1951 से 2014 तक जो ऐतिहासिक गलतियां हुईं, उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार ने सुधारने का प्रयास किया। उन्होंने कहाकि जो लोग यहां कानूनी रूपसे या अवैध रूपसे शरणार्थी के रूपमें रहरहे थे, उन्हें दीर्घकालिक वीजा प्रदान किया गया, उन्हें एक प्रमाणपत्र दिया गया और बादमें उनके लिए नागरिकता प्रदान करने का कानून लाया गया। अमित शाह ने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का जिक्र करते हुए कहाकि यह राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दा है।
अमित शाह ने कहाकि एसआईआर पहलीबार नहीं हो रहा, बल्कि 1951 से हो रहा है, एसआईआर करवाना चुनाव आयोग का दायित्व है। उन्होंने कहाकि संविधान में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है और ये तभी हो सकता है, जब मतदाता सूची को मतदाता की परिभाषा के अनुरुप तैयार किया जाए। अमित शाह ने कहाकि जब घुसपैठिए मतदाता सूची में शामिल हो जाते हैं तो वे देश की राजनीतिक निर्णय प्रक्रिया में हिस्सेदार बन जाते हैं। उन्होंने कहाकि जब मतदान का आधार राष्ट्रहित नहीं होता, तब लोकतंत्र कभी सफल नहीं हो सकता। अमित शाह ने कहाकि कई पीढ़ियों तक शरणार्थी अपने नामसे मकान नहीं खरीद सकते थे, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलती थी, सरकारी राशन नहीं मिलता था और सरकारी अस्पतालों में उनका इलाज नहीं होता था। गृहमंत्री ने सवाल कियाकि इन ढाई से तीन करोड़ लोगों का गुनाह क्या था? इस फैसले के कारण चार पीढ़ियां तक प्रताड़ित हुईं। उन्होंने कहाकि जब सीएए लाया गया तो इसे बदनाम करने का प्रयास किया गया, फिरभी इतने विरोध के बावजूद आज सीएए अस्तित्व में है और शरणार्थियों को इस देश में नागरिकता का अधिकार प्राप्त है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि शरणार्थी और घुसपैठिए को एकही श्रेणी में रखकर नहीं सोचना चाहिए, जो व्यक्ति अपने धर्म को बचाने, जो हमारे संविधान के अनुसार उसका अधिकार है, भारत में शरण लेने आता है, उसे शरणार्थी कहते हैं। उन्होंने कहाकि जिन्हें धार्मिक प्रताड़ना का सामना नहीं करना पड़ा और जो आर्थिक या अन्य कारणों से अवैध रूपसे देश में प्रवेश करना चाहते हैं, वे घुसपैठिए हैं। अमित शाह ने कहाकि धर्म को बचाने केलिए न केवल हिंदू, बल्कि बौद्ध, सिख और ईसाई भी भारत आए, इसलिए हमने सीएए में ऐसे सभी लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया है। गृहमंत्री ने कहाकि यदि दुनिया के हर व्यक्ति को यहां आनेकी अनुमति दे दी जाए तो यह देश धर्मशाला बनकर रह जाएगा और हमारा देश सुचारु रूपसे नहीं चल पाएगा। उन्होंने कहाकि प्रत्येक व्यक्ति को यहां आनेकी स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती और विभाजन के परिप्रेक्ष्य में जिनके साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश में अन्याय हुआ है, उनका यहां स्वागत है। गृहमंत्री ने कहाकि इस देश की मिट्टी पर जितना मेरा अधिकार है, उतना ही पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और ईसाइयों का भी अधिकार है। अमित शाह ने कहाकि भारत का संविधान बहुत स्पष्ट हैकि इस देश में प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म के अनुसार अपने ईश्वर की उपासना करने का अधिकार है और इसमें किसीको हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
अमित शाह ने कहाकि जो लोग इस देशमें रहना पसंद करते हैं, चाहे वे मुस्लिम हों या किसी अन्य धर्म के, उनकी नागरिकता पर कोई प्रश्न नहीं उठाया जाता और उन्हें कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन यदि लोग घुसपैठ करके आते हैं, विभिन्न अवैध तरीकों से प्रवेश करते हैं तो ऐसे लोगों पर निश्चित रूपसे घुसपैठिए का लेबल लगेगा। अमित शाह ने उल्लेख कियाकि पाकिस्तान या बांग्लादेश से किसीभी धर्म का व्यक्ति यदि वैध तरीके से पासपोर्ट और वीजा केसाथ आवेदन करता है तो सरकार उनके दस्तावेजों की जांच करके उन्हें नागरिकता प्रदान करेगी, लेकिन यदि लोग अवैध रूपसे घुसपैठ करते हैं तो भारत की सीमाएं खुली नहीं हो सकतीं। गृहमंत्री ने कहाकि 2011 की जनगणना के अनुसार असम में मुस्लिम समुदाय की आबादी की दशकीय वृद्धि दर 29.6 प्रतिशत थी, जो बिना घुसपैठ के संभव नहीं है। उन्होंने कहाकि पश्चिम बंगाल के कई जिलों में यह वृद्धि दर 40 प्रतिशत को पारकर गई, सीमावर्ती जिलों में तो यह वृद्धि दर 70 प्रतिशत तक पहुंच गई है। गृहमंत्री ने कहाकि झारखंड में जनजातीय समुदाय की संख्या में बहुत बड़ी गिरावट का कारण बड़ी संख्या में घुसपैठ है। अमित शाह ने कहाकि घुसपैठ जैसी जटिल समस्या को केंद्र सरकार अकेले नहीं रोक सकती।
अमित शाह ने कहाकि केंद्र की जिम्मेदारी है और केंद्र ने सीमा पर बाड़ लगाने जैसे कई कदम भी उठाए हैं, लेकिन ऐसे भौगोलिक क्षेत्रोंमें जहां बाड़ लगाना असंभव है, वहां होनेवाली घुसपैठ को स्थानीय राज्य सरकारें बढ़ावा देती हैं। गृहमंत्री ने सवाल कियाकि यदि कोई व्यक्ति अवैध रूपसे देश में प्रवेश करता है और जिले का प्रशासन उसकी पहचान नहीं कर पाता तो घुसपैठ को कैसे रोका जा सकता है? उन्होंने पूछाकि गुजरात और राजस्थान में भी सीमाएं हैं, फिर वहां घुसपैठ क्यों नहीं होती? उन्होंने कहाकि जो व्यक्ति शरणार्थी और घुसपैठिए केबीच का अंतर नहीं समझता, वह अपनी आत्मा केसाथ छलावा कर रहा है, कुछ राजनीतिक दलों को घुसपैठियों में देश का खतरा नहीं, बल्कि वोटबैंक दिखता है। गृहमंत्री ने कहाकि भारत की रचना भू-राजनीतिक स्वभाव से नहीं हुई है, यह एक भू-सांस्कृतिक देश है, यदि इसकी आत्मा को समझना है तो हमें राज्य की सीमाओं के दायरे से ऊपर उठकर कार्य करना होगा। अमित शाह ने कहाकि धर्म के आधार पर देश का विभाजन करना तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी की बहुत बड़ी गलती थी। उन्होंने कहाकि भारत की दो भुजाओं को काटकर अंग्रेजों के षड्यंत्र को सफल बनाया गया, धर्म और राष्ट्रीयता को अलग रखना चाहिए था, जिसके अभाव में ये सारे विवाद उत्पन्न हुए हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि भाजपा ने 1950 के दशक से ‘पता लगाएं, हटाएं और डिपो’ तीन सूत्रों को स्वीकार किया है। उन्होंने कहाकि सरकार घुसपैठियों की पहचान करेगी, यह सुनिश्चित करने का पूरा प्रयास करेगीकि मतदाता सूची से उनका नाम हटाया जाए और बादमें उन्हें उनके देश वापस भेजने का काम भी करेगी। अमित शाह ने कहाकि मतदान का अधिकार केवल उसीको होना चाहिए, जो भारत का नागरिक है। अमित शाह ने कहाकि घुसपैठियों की बड़ी संख्या किसीभी देशकी सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर सकती, वे सीमावर्ती क्षेत्रों की राजनीति और कानून व्यवस्था को प्रभावित कर रहे हैं, घुसपैठिये शहरी क्षेत्रोंमें भारत के गरीब मजदूरों के अधिकारों को छीन रहे हैं। अमित शाह ने जिक्र कियाकि बीते 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से जनसांख्यिकीय परिवर्तन पर अध्ययन केलिए एक उच्चाधिकार प्राप्त मिशन के गठन की घोषणा की थी, यह डेमोग्राफिक चेंजेस मिशन घुसपैठियों के कारण होनेवाले जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का वैज्ञानिक मूल्यांकन करेगा, साथही यह धार्मिक और सामाजिक जीवन पर पड़ रहे प्रभावों का अध्ययन करेगा, जनसांख्यिकीय परिवर्तनों के संभावित कारणों का विश्लेषण करेगा, असामान्य बसावट के पैटर्न और समाज पर इसके दीर्घकालिक प्रभावों का अध्ययन करेगा तथा सीमा प्रबंधन पर पड़ने वाले बोझ काभी विश्लेषण करके भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।