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उत्तराखंड में अवस्थापना सुविधाओं का अभाव ?

फिल्म निर्माता ने 'निशंक' के दावों की धज्जियां उड़ाईं

दिनेश सिंह

मुख्यमंत्री निशंक-फिल्म निर्माता एन चंद्रा

देहरादून। फिल्म निर्माता-निर्देशक और लेखक एन चंद्रा ने मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' के सामने ही उत्तराखंड में अवस्थापना सुविधाओं के भारी अभाव की बात कहकर उनके राज्य के विकास के दावों की धज्जियां उड़ा दीं। मुख्यमंत्री, फिल्म निर्माता के इस नकारात्मक कथन पर कुछ नहीं बोल पाए। मुख्यमंत्री से उनके आवास पर गुलदस्ते के साथ गर्मजोशी से मिलने गए एन चंद्रा ने उनसे उत्तराखंड में अपना स्टूडियो बनाने के लिए सुंदर लोकेशन पर जगह देने की भी मांग की। मुख्यमंत्री ने भी उनको इसका आश्वासन दिया। अंकुश, प्रतिघात, नरसिम्हा, वजूद, ऐ मेरा इंडिया फिल्मों के निर्माता-निर्देशक चंद्रा ने अपने फिल्मी सफर के बारे में भी मुख्यमंत्री को विस्तार से बताया और कहा कि वे फिल्म स्टूडियो के निर्माण के उद्देश्य से विभिन्न राज्यों के भ्रमण पर हैं।

उत्तराखंड राज्य के जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी प्रेस रिलीज में ही यह बात प्रमुखता से कही गई है कि मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान फिल्म निर्माता एन चंद्रा का कहना था कि उत्तराखण्ड में नैसर्गिक सौन्दर्ययुक्त घाटियों, पहाड़ों और नदियों के फिल्मांकन की काफी संभावनाएं हैं, किंतु अवस्थापना सुविधाओं के अभाव में फिल्म निर्माता-निर्देशक यहां के नैसर्गिक सौन्दर्य पर्यटन स्थलों का फिल्मांकन नही कर पा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से उत्तराखण्ड में एक आधुनिक स्टूडियो के निर्माण पर चर्चा की। एक फिल्म निर्माता का राज्य के मुख्यमंत्री के सामने ही राज्य में अवस्थापना सुविधाओं के अभाव की बात कहना किसी तमाचे से कम नहीं समझी जा रही है। कहने वाले कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री यदि उत्तराखंड के हर क्षेत्र में वृहद विकास का दावा करते हैं तो उन्हें तत्काल फिल्म निर्माता से यह प्रतिवाद करना चाहिए था। प्रेस नोट से पता चलता है कि मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया और एक तरह से फिल्म निर्माता के उत्तराखंड में अवस्थापना सुविधाओं के अभाव के कथन को स्वीकार कर लिया है।

मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एक दार्शनिक अंदाज में भले ही उत्तराखंड के विकास के बढ़-चढ़कर दावे करते हों लेकिन उनके दावों की पोल पट्टी भी साथ ही साथ खुल जाती है। अब तो उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी प्रमुखता से लगने लगे हैं, पिछले दिनों जमीन आवंटन का एक मामला राज्य में जोर-शोर से उछला ही था। उन्हें अब यह भी अहसास नहीं हो रहा है कि उन्हीं से अपने फिल्म स्टूडियो के लिए बेहतर जगह पर जमीन मांगने वाला एक फिल्म निर्माता जब उन्हीं के सामने राज्य की अवस्थापना सुविधाओं की धज्जियां उड़ा रहा है तो उनके पीछे राज्य में निशंक शासन की जनसामान्य में क्या राय होगी। ध्यान रहे कि मुख्यमंत्री के नाम हरिद्वार में महाकुंभ की सफलता का एक रिकॉर्ड दर्ज है और मुख्यमंत्री यह बढ़-चढ़कर दावा करते रहते हैं कि उनके कार्यकाल में उत्तराखंड एक स्वर्ग कहलाने की दहलीज पर जा खड़ा हुआ है। फिल्म निर्माता का कथन उनके दावों पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगाता है। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री के दावों की खिल्ली उड़ने की सभी क्षेत्रों में चर्चा है।

क्या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डॉ निशंक यह बात स्वीकार करते हैं कि उनके राज्य में अवस्थापना सुविधाओं का अभाव है? और यदि यह बात सही है तो वे राज्य में आने वाले या आने की सोच रहे बाकी उद्यमियों की मूलभूत आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेंगे? आज से नहीं बल्कि इस राज्य के अस्तित्व में आने के बहुत पहले से ही उत्तराखंड की स्वर्ग सी समृद्धशाली और सम्मोहन से भरपूर वादियों में देश-विदेश की विभिन्न भाषाई एवं विख्यात फिल्मों का निर्माण होता आया है और अब तो इस राज्य में पहले के मुकाबले काफी तेजी से विकास भी हुआ है जिसमें अवस्थापना सुविधाएं भी पहले से अधिक विकसित हुई हैं, तभी तो उद्यमियों की एक पसंद उत्तराखंड राज्य भी माना जाता है।

प्रेस नोट के अनुसार फिल्म निर्माता एन चंद्रा से मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री डॉ निशंक ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने भारतीय संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए संस्कृत भाषा को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया है, यहां के बुग्याल, धार्मिक-पर्यटन स्थल, चारधाम आदि विश्व में अपना स्थान रखते हैं। मुख्यमंत्री ने फिल्म निर्माता एन चंद्रा को फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में योगदान के लिए साधुवाद भी किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि वर्तमान में हिन्दी फिल्मों का देश की एकता, भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में काफी योगदान है, जब वे उत्तर प्रदेश में संस्कृति मंत्री थे, उस समय उन्होंने भारतीय संस्कृति के फिल्मों में आध्यात्मिक एवं मानवीय पक्ष को उजागर करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि फिल्मों में बाजारवाद के कारण भी प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिससे फिल्म कथानकों में साहित्य एवं विचारों की कमी देखने को मिलती है। उन्होंने विषय प्रधान फिल्मों का उल्लेख करते हुए कहा कि रामायण, महाभारत जैसे भारतीय संस्कृति के धारावाहिकों ने भारतीय संस्कृति का पूरे विश्व मे प्रचार-प्रसार किया है।

इस अवसर पर स्वास्थ्य सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखण्ड में एक स्तरीय स्टूडियो निर्माण से स्थानीय कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अच्छा अवसर मिलेगा जोकि उनकी आय का जरिया भी बनेगा। मुख्यमंत्री ऐसे फिल्म निर्माताओं को राज्य में क्या और कैसे प्रोत्साहन देते हैं यह आगे देखने वाली बात होगी।

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