स्वतंत्र आवाज़
word map

हिंदू कालेज में राजेश जोशी का रचना पाठ

जो नाटक नहीं लिख सकता वह कवि नहीं है-राजेश

दिल्ली में अभिरंग का लेखक की संगत कार्यक्रम

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 5 April 2018 01:56:52 PM

hindu college mein rajesh joshi ka rachana paath

नई दिल्ली। हिंदू कालेज नई दिल्ली में हिंदी नाट्य संस्था 'अभिरंग' ने लेखक की संगत कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें सुप्रसिद्ध कवि और नाटककार राजेश जोशी ने संबोधित करते हुए कहा कि संवेदनशील मनुष्य के लिए जीवन जीना अत्यंत कठिन है, इसे जीने योग्य और सहनीय बनाने का काम साहित्य करता है। उन्होंने कहा कि नाटक सामूहिक विधा है, जिसमें कम से कम चार पाठ नाटककार, निर्देशक, अभिनेता और दर्शक के होते हैं। उन्होंने कहा किहमें नाटक के संबंध में इन समझौतों को स्वीकार करना पड़ता है, क्योंकि यह व्यक्तिगत नहीं समूह की विधा है। राजेश जोशी ने अपनी रचना प्रक्रिया, विचारधारा और साहित्य समाज पर चर्चा की और कुछ कविताओं का पाठ भी किया, जिनको श्रोताओं ने खूब पसंद किया। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कोई कविता चमत्कार से नहीं बनती, वह तभी सफल हो सकती है, जब उसका सामान्यीकरण हो।
कवि और नाटककार राजेश जोशी कविता के विषयों के संबंध में कहा कि सामान्य जीवन से ही कविता के विषय निकलते हैं। पुरानी कविता और नई कविता का अर्थ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि नई कविता वहां से प्रारंभ होती है, जब वह संगीत से अलग होती है और नाटकीयता के पास आती है। कवि होकर भी नाटक लिखने के प्रश्न का दिलचस्प जवाब देते हुए राजेश जोशी ने कहा कि भारतीय संस्कृत वाङ्गमय में माना गया है कि जो नाटक नहीं लिख सकता वह कवि नहीं है। उन्होंने उदाहरण देकर इसे स्पष्ट किया। वहीं कक्षा में अध्यापन के दौरान साहित्य की स्थिति पर उनका मत था कि कई बार अध्यापक रचना के नए-नए अर्थ को खोल देते हैं, जिसके संबंध में खुद रचनाकार ने भी नहीं सोचा था। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर गोपाल प्रधान ने कहा कि राजेश जोशी समय और समाज के बारे यथार्थ लिखने वाले बड़े कवि हैं, इनकी रचनाशीलता हमारी संस्कृति और भाषा को गरिमा प्रदान करती है। उन्होंने भूमंडलीकरण के समय को समझने के लिए राजेश जोशी की कविताओं को अनिवार्य टेक्स्ट बताया।
अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने कहा कि राजेश जोशी बड़े कवि ही नहीं बड़े गद्यकार भी हैं, जिन्होंने जादू जंगल, टंकारा का गाना जैसे नाटक और 'किस्सा कोताह' जैसी अनूठी संस्मरण पुस्तक लिखी है। हिंदी विभाग के अध्यापक डॉ रामेश्वर राय और डॉ अभय रंजन ने कार्यक्रम में अतिथियों को फूल और शाल भेंटकर स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग, मूर्धन्य कवि केदारनाथ सिंह और दलित एक्टिविस्ट लेखिका रजनी तिलक को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई। कार्यक्रम का संयोजन सौरभ सिंह ने किया और अभिरंग के संयोजक पीयूष पुष्पम ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर चौपाल के संपादक डॉ कामेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ हरींद्र कुमार, डॉ रचना सिंह, डॉ ईश मिश्र और अध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]