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एडमिरल कटारी की सेवाएं अनुकरणीय!

एडमिरल पर दिल्ली में यादगार स्मारक व्याख्यान

विषय-नौसैन्य कूटनीति: भारत की नई अनिवार्यता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 28 February 2016 03:46:20 AM

admiral katari, memorial lecture

नई दिल्ली। डीआरडीओ भवन के डॉ डीएस कोठारी ऑडीटोरियम में कल शाम आयोजित 25वीं एडमिरल आरडी कटारी स्मारक व्याख्यान में पत्रकार और विदेश नीति विश्लेषक डॉ सी राजामोहन का एडमिरल आरडी कटारी पर बड़ा ही महत्वपूर्ण भाषण हुआ, जिसमें उन्होंने उनकी सेवाओं से जुड़े कुछ खास और अनुकरणीय संस्मरणों को प्रस्तुत किया। व्याख्यान का विषय था-नौसैन्य कूटनीति: भारत की नई अनिवार्यता। डॉ सी राजामोहन नई दिल्ली में नीति अनुसंधान केंद्र के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ हैं। पत्रकारिता में उनकी कई उल्लेखनीय रचनाएं हैं, सामरिक मसलों पर भी उनकी कई पुस्तकें हैं। इस अवसर पर पीवीएसएस, एवीएसएम, वाईएसएस, एडीसी नौसेनाध्यक्ष ने भी महत्वपूर्ण विचार रखे। नौसेना फाउंडेशन के दिल्ली चैप्टर ने यह व्याख्यान आयोजित किया था।
नौसेना फाउंडेशन अवकाश प्राप्त नौसैन्य अधिकारियों का संगठन है। देशभर में इसकी 15 शाखाएं हैं। नौसेना अध्यक्ष इस फाउंडेशन के भी अध्यक्ष हैं। राष्ट्र निर्माण की दिशा में इसके वयोवृद्ध समुदाय के नेटवर्क की व्यापक भूमिका रही है। इसने परोपकारी कार्यों से सामुद्रिक मुद्दों पर जागरुकता संबंधी अभियान भी चलाया है। इसी दिशा में नौसेना फाउंडेशन के दिल्ली चैप्टर का यह आयोजन दिवंगत एडमिरल आरडी कटारी की याद में एकत्रित प्रसिद्ध वक्ताओं का सालाना सम्भाषण था। एडमिरल आरडी कटारी भारतीय नौसेना के पहले प्रमुख के रूप में 22 अप्रैल 1958 से 4 जून 1962 के बीच चमकदार नगीने थे। उन्हें चुनौती भरे कार्यों को खुशी-खुशी करने के कारण भी याद किया जाता है।
एडमिरल आरडी कटारी ने 47 साल की उम्र में शाही नौसेना की सर्वोत्तम परंपरा से शुरूआत करते हुए आधुनिक नौसेना की नींव डाली थी। उन्हें भारत में अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्र भारत के दौर में नौसेना को कुशलतापूर्वक संचालित करने के लिए भी याद किया जाता है। उन्होंने नौसेना की नींव को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एडमिरल आरडी कटारी 51 साल की उम्र में अवकाश ग्रहण करने के बाद सिकंदराबाद में बस गये थे। उन्होंने दिसंबर 1962 से मई 1964 के बीच आंध्र प्रदेश राज्य परिवहन निगम के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली थी। इसके बाद वे 5 वर्ष तक बर्मा में भारत के राजदूत भी रहे। व्याख्यान में दिवंगत एडमिरल आरडी कटारी और एडमिरल एल रामदास की पुत्री ललिता रामदास के अलावा बड़ी संख्या में अकादमिक क्षेत्र की हस्तियों, विचारकों और रक्षा मंत्रालय के लोगों ने हिस्सा लिया।

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