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भारत-नेपाल में संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास

'सूर्य किरण 9' सैन्य अभियान सफलतापूर्वक संपन्न

श्री रूद्रधोज और इंफैंट्री बटालियन का अभ्यास

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 22 February 2016 12:25:21 AM

india-nepal joint military maneuvers

पिथौरागढ़। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आयोजित भारत-नेपाल संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास 'सूर्य किरण 9' संपन्न हुआ। भारतीय सेना के पंचशूल ब्रिगेड के तत्वावधान में आयोजित यह सैन्य युद्धाभ्यास 8 फरवरी 2016 से शुरू हुआ था। चौदह दिवसीय इस युद्धाभ्यास में नेपाली सेना का प्रतिनिधित्व नेपाल की श्रेष्ठ सैन्य बटालियन श्री रूद्रधोज बटालियन ने किया, जबकि भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व पंचशूल ब्रिगेड की एक इंफैंट्री बटालियन ने किया। भारत-नेपाल सेना के इस नौवें संयुक्त सैन्य युद्धाभ्यास में दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियां एक-दूसरे के सैन्य हथियारों एवं उपकरणों से परिचित हुईं। दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने सैन्य ऑपरेशन के दौरान सजग युद्ध कौशल का परिचय देते हुए परिस्थितियों के अनुरूप ड्रिल सामंजस्य, नाकाबंदी और खोज तथा ढूंढकर मार गिराने जैसे युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया।
भारत-नेपाल सेनाओं के सैन्य युद्धाभ्यास के दौरान आपदा प्रबंधन के तहत राहत एवं बचाव कार्यों से जुड़ी विविध गतिविधियों के प्रति भी दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने अपने अनुभवों को साझा किया। संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण के माध्यम से दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे को समझने एवं सीखने का यह एक बेहतर अवसर था। इसी परिप्रेक्ष्य में दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने ड्रिल व सतही युद्ध कला सहित पर्वतीय क्षेत्रों में लड़े जाने वाले जंगल युद्ध तथा आतंकवाद विरोधी सैन्य ऑपरेशनों से जुड़े अपने युद्ध कौशल एवं अनुभवों को एक दूसरे को बांटा। प्रशिक्षण के दौरान सैन्य टुकड़ियों ने एक गांव पर आधारित ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें नाकेबंदी एवं खोज सहित ऑपरेशन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया। इसी दो दिनों के सैन्य प्रशिक्षण के साथ ही यह चौदह दिवसीय भारत-नेपाल सैन्य युद्धाभ्यास संपन्न हुआ।
सैन्य प्रशिक्षण के दौरान नेपाल सेना की ओर से मेजर जनरल शेखर सिंह बंसयात तथा भारतीय सेना की पंचशूल ब्रिगेड के कमांडर ब्रिगेडियर राकेश मनोचा और वरिष्ठ सैन्याधिकारी मौजूद थे। दोनों देशों की सैन्य टुकड़ियों ने इस युद्धाभ्यास की यादगार के रूप में सैन्य परंपराओं के अनुरूप एक दूसरे को स्मृति चिन्ह भेंट किए। यह सफल युद्धाभ्यास न केवल दोनों सेनाओं के लिए युद्ध कौशल को बढ़ाने में कारगर सिद्ध होगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में भी सहायक सिद्ध होगा।

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