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डाक विभाग के लिफाफे पर ब्लू सिटी!

जोधपुर डाक टिकट प्रदर्शनी 'जोधापेक्स-2015'

जोधपुर में फिलेटली के विकास की संभावनाएं

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Wednesday 9 December 2015 02:00:55 AM

exhibition, jodhapeks-2015

जोधपुर। राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र जोधपुर की पोस्टमास्टर जनरल शिउली बर्मन और निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने सोहनलाल मनिहार बालिका सीनियर सेकेंडरी विद्यालय सिवांची गेट जोधपुर के सभागार में जोधपुर डाक टिकट प्रदर्शनी ‘जोधापेक्स-2015’ का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राजस्थान की पहचान ब्लू सिटी जोधपुर पर एक विशेष आवरण और विरूपण भी जारी किया गया। जोधापेक्स में कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि आवरण पर जोधपुर शहर के भीतरी परकोटे के नीले रंग से रंगे मकानों का जो विहंगम दृश्य है, वही विरूपण में जोधपुर दुर्ग के झरोखे का प्रतीक चिन्ह दर्शाया गया है। उन्होंने कहा कि जोधपुरऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से अपनी विशिष्ट पहचान रखता है।
कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि देश-दुनिया के पर्यटकों से लेकर तमाम फिल्मों में भी इस ब्लू सिटी का क्रेज रहा है और अब डाक विभाग के इस विशेष आवरण के माध्यम से भी इसकी विशिष्ट पहचान में इजाफा होगा। उन्होंने कहा कि 5 रूपए में उपलब्ध ब्लू सिटी वाले इस विशेष लिफाफे पर माई स्टैंप के तहत जारी अपनी फोटो वाला डाक टिकट लगाकर कहीं भी अपनों को पत्र भेजने का कुछ अलग ही रोमांच होगा और यह जोधपुरवासियों और यहां आने वाले पर्यटकों दोनों के लिए एक विशेष तोहफा भी है। पोस्टमास्टर जनरल शिउली बर्मन ने कहा कि डाक टिकट संग्रह के शौक को आज के दौर में देश के युवा वर्ग एवं बच्चों तक ले जाने की जरूरत है। उन्होंने लोगों से इस कार्य में सक्रिय सहभागिता का भी आह्वान किया और माई स्टैंप सेवा से जुड़ने की अपील की।
डाक निदेशक ने कहा कि शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने में डाक टिकटों का अहम योगदान है, डाक टिकटों के साथ जारी विवरणिका जहां संबंधित विषयवस्तु के बारे में विस्तृत जानकारी देती है, वहीं हर डाक टिकट एक अहम एवं समकालीन विषय को उठाकर इसे वर्तमान परिवेश से जोड़ता है। उन्होंने कहा कि डाक टिकटों से देश-विदेश की धरोहर, प्रगति और समसामयिक घटनाओं का सचित्र दिग्दर्शन होता है। इससे युवाओं और बच्चों को ज्ञान के साथ-साथ एक अच्छी हॉबी अपनाने की प्रेरणा भी मिलती है। डाक टिकटों के संग्रहण की आदत शैक्षणिक उन्नयन के साथ-साथ कम खर्च में भी अच्छी आय का जरिया बन सकती है। उन्होंने कहा कि जोधपुर में फिलेटली के विकास की अपार संभावनाएं हैं।
कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हर डाक टिकट के पीछे एक कहानी है और इस कहानी से आज की युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत है, डाक टिकट उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति, विरासत, पर्यावरण, महापुरुषों और तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों से अवगत कराता है। उन्होंने कहा कि फिलेटली को 'शौकों का राजा' और 'राजाओं का शौक' कहा जाता है, आज भी दुनिया में डाक टिकटों का सबसे बड़ा संग्रह ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पास है और डाक टिकटों का जनक भी ब्रिटेन के रोलैंड हिल को कहा जाता है, जिनके सुझाव पर 6 मई 1840 को विश्व का प्रथम डाक टिकट ‘पेनी ब्लैक’ ब्रिटेन में जारी किया गया था। कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि भारत का पहला डाक टिकट 1 जुलाई 1852 को जारी आधा आने का ‘सिंदे डाक’ था, जिसकी कीमत अब लाल, नीले और सफेद रंग में क्रमश: 35 लाख, 10 लाख और 4 लाख रूपए आंकी जाती है।
निदेशक डाक सेवाएं ने कहा कि डाक टिकट एक छोटा सा कागज का टुकड़ा भले ही दिखता है पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है। दुनिया के सबसे महंगे डाक टिकट का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि विश्व का सबसे महंगा और दुर्लभतम डाक-टिकट ब्रिटिश गुयाना में सन् 1856 में जारी किया गया, वह एक सेंट का डाक-टिकट है, कभी एक बच्चे को रद्दी में मिला यह डाक टिकट 18 जून 2014 को रिकॉर्ड 9.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बिका। उन्होंने कहा कि डाक टिकट और पत्र कभी भी पुराने नहीं होते, बल्कि उनकी कीमत दिनों-दिन बढ़ती जाती है, यही कारण है कि ई-मेल और सोशल मीडिया के इस दौर में भी आज हाथों से लिखे पत्रों और डाक टिकटों की लाखों-करोड़ों में नीलामी होती है।
राजस्थान के राजकीय वृक्ष 'खेजड़ी' पर भी विशेष आवरण और विरूपण जारी करने के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए डाक निदेशक ने कहा कि यह सिर्फ एक वृक्ष ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे बलिदान और आत्मोत्सर्ग का भाव भी छिपा हुआ है, आज पूरे विश्व में जिस तरह से पर्यावरण को लेकर चिंता जताई जा रही है, ऐसे में खेजड़ली गांव में खेजड़ी वृक्ष को लेकर सन् 1730 में स्थानीय लोगों ने आंदोलन किया और हुकूमत को भी झुकने को मजबूर कर दिया, वह आने वाली शताब्दियों तक पूरी दुनिया में प्रकृति प्रेमियों में नई प्रेरणा और उत्साह का संचार करता रहेगा। कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि 5 रूपए में जारी इस विशेष लिफाफे को देश के तमाम फिलेटलिक ब्यूरो में उपलब्ध कराया जाएगा।
डाक टिकट प्रदर्शनी में शहर के फिलेटलिस्टों ने कुल 40 फ्रेमों में देश-विदेश के हजारों डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई। पंद्रह से ज्यादा देशों के डाक टिकटों के अलावा, 1947 में जारी स्वतंत्र भारत के पहले डाक टिकट तिरंगा, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सैन्य सेवाओं, समुद्री जीवन, बालिका-सशक्तिकरण, जोधपुर और राजस्थान से संबंधित विषयों पर जारी डाक-टिकट से लेकर अंतरिक्ष, पर्यावरण और जैव विविधता के प्रति जागरूक करते तमाम रंग-बिरंगे डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी प्रदर्शित किए गए। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के अलावा बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। जोधपुर में 3 वर्ष बाद इस तरह की प्रदर्शनी लगी है, इससे पूर्व वर्ष 2012 में डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित हुई थी।
डाक विभाग की 'माई स्टैंप' सेवा के प्रति काफी उत्साह देखा गया। हर कोई मात्र 300 रूपए में अपनी और अपने प्रियजनों की फोटो डाक टिकट पर देखने को लालायित था। बच्चों हेतु 'पत्र लेखन' व 'डिजाइन ए स्टैंप' प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। बच्चों ने फिलेटलिक डिपाजिट एकाउंट भी खोले, जिससे उन्हें घर बैठे रंग-बिरंगी नई डाक टिकटें प्राप्त हो सकेंगी। जोधपुर मंडल के प्रवर डाक अधीक्षक पीआर कडेला ने कहा कि डाक विभाग भारत के सबसे पुराने विभागों में है और इस प्रकार की पहल फिलेटली को युवाओं के और नजदीक लाती है। उन्होंने डाक टिकट संग्रहण के महत्व को उजागर करते हुए कहा कि दुर्लभ टिकटों का संग्रहण बेशकीमती होता है।
सोहनलाल मनिहार बालिका सीनियर सेकेंडरी विद्यालय के प्रधानाचार्य विद्यार्थी कल्ला ने कहा कि ऐसी प्रदर्शनियां निरंतर होती रहनी चाहिएं, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी डाक टिकट संग्रह की अभिरुचि के प्रति आकर्षित हो सकें। जोधापेक्स-2015 के समापन पर डाक टिकट प्रदर्शनी लगाने वाले एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को निदेशक डाक सेवाएं ने पुरस्कृत किया। इनमें डाक टिकट प्रदर्शनी में सीनियर संवर्ग में वाईकेएल माथुर को प्रथम, प्रवीण परिहार को द्वितीय एवं जगत किशोर परिहार को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। डाक टिकट प्रदर्शनी में जूनियर संवर्ग में कार्तिक परिहार, गर्वित माथुर एवं रूपाली राकेचा को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।
बच्चों की पत्र लेखन प्रतियोगिता में पारुल वाजपेयी, यशस्विनी एवं शाजिया तथा डाक टिकट डिजायन प्रतियोगिता में कृति व्यास, भूमिका सोलंकी एवं अनिल पंवार को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। जोधापेक्स-2015 में महेश शिक्षण संस्थान के सचिव हरिगोपाल राठी, मारवाड़ फिलेटलिक एसोसिएशन के अध्यक्ष जगत किशोर परिहार, ज्यूरी सदस्य राजेश पहाड़िया और आरके भूतड़ा, सीनियर पोस्टमास्टर एचआर राठौड़, डाक उपाधीक्षक जय सिंह, रश्मि काबरा, उदय शेजु, तरुण शर्मा, राजेंद्र भाटी, सुदर्शन सामरिया, डाक विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, फिलेटिलिस्ट, विभिन्न स्कूलों से आए बच्चे, अभिभावक और अध्यापक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन सहायक अधीक्षक विनय खत्री ने किया।

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