स्वतंत्र आवाज़
word map

न्यायिक अधिकारी पर एफआईआर का विरोध

न्यायिक सेवा संघ की बैठक में पुलिस अधीक्षक की निंदा

उत्तर प्रदेश न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा की मांग

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 15 July 2015 06:00:14 AM

judiciary

लखनऊ। उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अनुमति प्राप्त किए बिना अंबेडकरनगर में नियुक्त अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट महेश चंद्र वर्मा के विरूद्ध एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने पर भारी नाराजगी व्यक्त की है। न्यायिक सेवा संघ ने यहां अपनी बैठक में इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे न्यायिक अधिकारी के निर्भीक और निष्पक्ष होकर कार्य करने एवं उसकी सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। न्यायिक संघ ने इस संबंध में उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन न करने के लिए जनपद के पुलिस अधीक्षक की भर्त्सना की है एवं सर्वसम्मति से पुलिस अधीक्षक के विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया है। संघ ने शासन से मांग की है कि न्यायिक अधिकारी महेश चंद्र वर्मा की सुरक्षा अंबेडकरनगर के अतिरिक्त किसी अन्य जिले के पुलिस बल से कराई जाए तथा राज्य के सभी न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा के आवश्यक प्रबंध किए जाएं।
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ की कार्यकारणी की बैठक संघ के कार्यालय ए-1, जजेज कंपाउंड, रिवर बैंक कालोनी लखनऊ में आयोजित की गई। बैठक में वीके पांडेय, बादाम सिंह, श्रीकांत वर्मा, रणधीर सिंह, जय सिंह पुंडीर, सौरभ सक्सेना, डॉ सुनील कुमार सिंह, शैलेंद्र यादव और बीएन रंजन मौजूद थे। बैठक की अध्यक्षता संघ के कार्यकारी अध्यक्ष शशिमौलि तिवारी अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चित्रकूट ने की जबकि बैठक का संचालन संघ के महासचिव ने किया। बैठक में सर्वसम्मति से नौ प्रस्ताव पारित किए गए। पहले प्रस्ताव के अनुसार इस घटनाक्रम के संबंध में समस्त जनपदों से राय भी मांगी गई। जनपद कानपुर, बरेली, हापुड़, अंबेडकरनगर और चित्रकूट ने अपनी राय प्रेषित की, जिसमें इन सभी ने इस प्रकरण में संबंधित पुलिस कर्मचारियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई किए जाने और इस संबंध में अवमानना याचिका दाखिल किए जाने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव एवं गृह सचिव को पुलिस अधीक्षक और अन्य दोषी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई करने के लिए पत्र प्रेषित किया गया।
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ का इस साल सितम्बर अक्टूबर में लखनऊ जनपद में अधिवेशन कराए जाने हेतु प्रस्ताव पारित किया। इस संबंध में संघ की कानपुर नगर जनपद इकाई के पत्र का संज्ञान लेते हुए यह प्रस्ताव पारित किया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि न्यायिक अधिकारी के संबंध में वरिष्ठता सूची अति शीघ्र प्रकाशित करने हेतु अनुरोध पत्र प्रेषित किया जाए। सुरक्षा कारणों को देखते हुए विचार-विमर्श के उपरांत निर्णय लिया गया कि संघ ज्वाईंट रजिस्ट्रार से मिलकर 'बेकन लाईट' की पुनः प्रभावी पैरवी करे, जोकि न्यायिक अधिकारियों के वाहनो में लगाए जाने के संबंध में है। बैठक में यह भी विचार किया गया कि उत्तर प्रदेश में न्यायिक अधिकारियों को प्राप्त होने वाले विभिन्न भत्ते अन्य राज्यों की तुलना में अत्यंत कम हैं, उनका क्षेत्र बढ़ाया जाए। बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि उच्चतम न्यायालय में लंबित याचिका संख्या-1022/89 ऑल इंडिया जजेज एसोसिएशन बनाम भारत गणराज्य में एक आईए संघ की तरफ से दाखिल किया जाए। न्यायिक सेवा संघ ने प्रस्ताव पारित किया कि संघ के नियमों के अनुसार प्रति वर्ष प्रत्येक न्यायिक अधिकारी से सदस्यता शुल्क के रूप में 200 रुपए के स्थान पर सदस्यता शुल्क 500 रुपए लिया जाएगा।
न्यायिक सेवा संघ ने प्रस्ताव पारित किया कि न्यायिक अधिकारियों को पूरी सेवा अवधि के दौरान एक स्थाई मोबाइल फोन सुविधा प्रदान की जाए तथा प्रत्येक न्यायिक अधिकारी को उच्च न्यायालय की तरफ से एक पहचान पत्र निर्गत किया जाए। इन दोनों विषयों पर उच्च न्यायालय को अनुरोध पत्र प्रेषित किया जा रहा है। इस संबंध में संघ की ओर से डॉ सुनील कुमार सिंह और शैलेंद्र यादव की दो सदस्यों की समिति गठित की गई, जो इस योजना को फलीभूत कराने हेतु आवश्यक जानकारी एकत्रित कर संघ के अध्यक्ष और सदस्यों को सूचित करेगी। वर्तमान में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन की ओर से उच्च न्यायालय में एक रिट दायर की गई, जिसमें एनजेएसी के संबंध में सुनवाई चल रही है, यह सर्वविदित है कि कलोजियम व्यवस्था समाप्त कर दी गई है तथा नई व्यवस्था की विज्ञप्ति जारी होने के बावजूद रिट याचिका लंबित होने के कारण न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इस कारण उत्तर प्रदेश के वरिष्ठतम न्यायिक अधिकारी उच्च न्यायालय में एलीवेट नहीं हो पा रहे हैं तथा सेवानिवृत्त होते जा रहे हैं। इस संबंध में निर्णय लिया गया कि उच्च न्यायालय में लंबित याचिका में उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ की ओर से एक आईए दाखिल किया जाए, जिससे वरिष्ठतम न्यायिक अधिकारियों का उच्च न्यायालय में एलीवेट हो सके।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]