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Thursday 31 July 2025 11:53:38 AM
चंडीगढ़। एसएईएल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड ने एक समग्र सामुदायिक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने की प्रतिबद्धता केसाथ कृषि अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले पॉवर प्लांट्स में स्थानीय किसानों केलिए जागरुकता और प्रशिक्षण सत्रों की एक सीरीज़ आयोजित की। ये सत्र जलवायु अनुकूल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों पर केंद्रित थे। पहले चरण में छह स्थानों पंजाब में फिरोजपुर, जैतो, चन्नू और जलखेड़ी, हरियाणा में कैथल और राजस्थान में जसरासर में आयोजित सत्रों में आसपास के क्षेत्रों से 200 से अधिक किसानों ने भाग लिया। जेसी बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (फरीदाबाद) के पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर डॉ नविश कटारिया ने इन सत्रों का नेतृत्व किया। सत्रों का उद्देश्य किसानों को जैविक खेती जैसी टिकाऊ खेती के तरीकों को अपनाने का व्यावहारिक ज्ञान प्रदान, पराली जलाने, मिट्टी के क्षरण और पानी की कमी जैसी स्थानीय चुनौतियों का समाधान करना था। किसानों को कृषि अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से आय के नए अवसर भी बताए गए।
किसानों में जागरुकता और प्रशिक्षण के संवादात्मक और समाधान केंद्रित इन सत्रों के जरिए किसानों को अपने अनुभव साझा करने और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपने कृषि उत्पादों को बेचने केलिए प्रमाणन प्राप्त करने पर प्रश्न पूछने को प्रोत्साहित किया गया। किसानों को वायु प्रदूषण कम करने की टिकाऊ पराली प्रबंधन तकनीकों, स्वस्थ मिट्टी और फसलों की जैविक खेती के तरीकों, जल संरक्षण पद्धतियों और अतिरिक्त आय उत्पन्न करने के वर्मीकम्पोस्टिंग और कृषि अपशिष्ट प्रबंधन पर जागरुक किया गया। ये पहलें किसानों को मिट्टी और वायु की गुणवत्ता सुधारने, प्रवेश लागत कम करने, खेत की लाभप्रदता बढ़ाने, कृषि अपशिष्ट के उपयोग से नए राजस्व स्रोत खोलने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ अधिक लचीलापन विकसित करने में मदद करना हैं। यह कार्यक्रम ग्रामीण समुदायों का समर्थन करने, स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने और किसान शिक्षा में निवेश करके टिकाऊ विकास में योगदान करने केलिए एसएईएल की व्यापक प्रतिबद्धता का हिस्सा है।
एसएईएल इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड के निदेशक सुखबीर सिंह ने सत्र में कहाकि एसएईएल में कृषि समुदाय केप्रति प्रतिबद्धता गहरी है, वे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ और टिकाऊ विकास के महत्वपूर्ण सहायक हैं। उन्होंने कहाकि हमारा मानना हैकि सच्चा विकास समाज को ऊपर उठाना है, पर्यावरण की रक्षा करना है और हम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में अपनी भूमिका निभाने केलिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं। उन्होंने कहाकि किसानों केसाथ मिलकर काम करना जारी रखते हुए हमारा लक्ष्य ऐसी मजबूत साझेदारी का निर्माण करना है, जो समावेशी विकास और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा दे। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसानों के सामने आनेवाली पर्यावरणीय एवं आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए सत्र में मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार, प्रदूषण को कम करने और आजीविका बढ़ाने केलिए टिकाऊ कृषि पर सुलभ, विशेषज्ञ नेतृत्व वाली शिक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।