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खुद को बचाने के लिए धरती को बचाएं!

एस रामादोरई का आपदा विघटन विविधता पर व्याख्यान

'कोविड ने देश के सामने अनेक अवसर प्रदान किए हैं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 10 June 2020 11:18:28 AM

s. ramadorai

मुंबई। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज मुंबई के पूर्व वाइस चेयरमैन पद्मभूषण एस रामादोरई ने आपदा, विघटन, डिजिटलीकरण, मांग और विविधता पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि आज खुद को बचाने और धरती की रक्षा के लिए बहुविषयक संस्कृति, प्रौद्योगिकी की शक्ति और गहन सहयोग को अपनाने की जरूरत है। उन्होंने ऐसे समय में जब देश और दुनिया एक नए सामान्य कदम के लिए कमर कस रही है, महामारी की वजह से विभिन्न क्षेत्रों में हुए विघटन और इसमें छिपे अवसरों की जानकारियां दीं। संस्कृति मंत्रालय के अधीन नेहरू विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित वर्चुअल लॉकडाउन व्याख्यान में एस रामादोरई ने हर क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया है।
एस रामादोरई ने कहा कि कोविड-19 और इससे बचाव के लिए अपनाए गए उपायों ने देश के हर क्षेत्र में व्यवधान पैदा किया है, चाहे वह व्यवसाय हो, परिवहन हो, स्वास्थ्य हो या शिक्षा हो, नतीजतन इससे पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। उन्होंने 5डी-आपदा (डिजास्टर), विघटन (डिसरप्शन), डिजिटलीकरण (डिजिटाइजेशन), मांग (डिमांड) और विविधता (डाइवर्सिटी) पर चर्चा करते हुए कहा कि सही दृष्टिकोण और विविधता की हमारी सबसे गहरी परंपराओं से प्रेरणा लेकर हम नई संभावनाओं और अवसरों की दुनिया का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। उन्होंने 1885 में आई प्लेग से लेकर सार्स महामारी जैसी मानवीय गलतियों के कारण उत्पन्न महामारियों, प्राकृतिक विपत्तियों और आपदाओं को याद किया। उन्होंने कहा कि यह दुनिया हमें सचेत करती है कि यह महामारी हमारे जीवन का हिस्सा बनने जा रही है।
एस रामादोरई ने मुंबई आतंकवादी हमले और इसके बाद नागरिकों के बीचबनी एकजुटता का हवाला देते हुए कहा कि संकट की उस घड़ी में दिखाई दिया एक-दूसरे के लिए सहयोग और सामुदायिक पहल उल्लेखनीय थी, यह हमारे नागरिकों की ऐसी प्रवृत्ति है, जिस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस महामारी ने देशभर के प्रवासी श्रमिकों को प्रभावित किया। कृषि श्रमिक और निर्माण श्रमिक भी इस महामारी से प्रभावित हुए हैं। इसने व्यक्तिगत नुकसान के साथ-साथ आर्थिक संकट भी पैदा किया है। इसकी वजह से देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों को अपने गांवों की ओर जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसके पीछे महत्वपूर्ण कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य के सामने चुनौतियों का आना और उनका घर वापस जाने का विशेष आग्रह रहा, जहां वे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।
एस रामादोरई ने कहा कि वे यह मानते हैं कि शहरी केंद्रों में ठहरना अस्थायी है, जबकि उनका गांव ही उनका स्थायी घर है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) ने श्रमिकों की कठिनाइयों का ध्यान रखा है। गरीबी रेखा से नीचे के (बीपीएल) परिवारों के प्रत्येक सदस्य का दैनिक वेतन बढ़ाकर 202 रुपये दिन कर दिया गया है और इसके लिए बजट का आवंटन भी बढ़ गया है। भारत में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम में 11 करोड़ से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। लगभग 90 प्रतिशत औद्योगिक इकाइयां एमएसएमई क्षेत्र में हैं, जो औद्योगिक मूल्य का लगभग 45 प्रतिशत योगदान करती हैं। इसके अलावा हर साल इस क्षेत्र में लगभग 50 लाख से एक करोड़ नए कर्मचारी आते हैं और उनमें से अधिकांश एमएसएमई में काम करते हैं। विघटन से मुक्त एक स्थायी संरचना के निर्माण के लिए जरूरी अनवरत और स्थायी प्रयासों की बात करते हुए एस रामादोरई ने महामारी से लड़ने में केरल का उदाहरण दिया।
एस रामादोरई ने सवाल करते हुए कहा कि केरल देश के अन्य हिस्सों की तुलना में इस बीमारी से बेहतर तरीके से क्यों निपट पाया? उन्होंने बताया कि केरल ने बहुत पहले 1964 की शुरुआत में ही अपने यहां सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल शुरू कर दी थी। केरल की क्षमता निर्माण और रोलआउट, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के बीच संपर्क, पंचायत और जिला स्तरों पर सशक्तिकरण ने मिलकर इस महामारी से अधिक कुशलता के साथ निपटने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि निरंतर उत्कृष्टता की यात्रा रातोंरात संभव नहीं है। एस रामादोरई ने कहा कि इस तरह के व्यवधानों पर काबू पाने के लिए डिजिटलीकरण और डिजिटल प्रौद्योगिकी की ताकत बहुत महत्वपूर्ण है और भारत सरकार बहुत तेजी से डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित कर रही है, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम स्मार्टफोन या किफायती उपकरणों के माध्यम से देश के किसी भी हिस्से में रहने वाले नागरिकों तक इसकी पहुंच उपलब्ध कराता है, जो महत्वपूर्ण है।
एस रामादोरई ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जो नागरिकों को आवश्यक सामाजिक सेवाओं को वितरित करने में सरकार की मदद करता है को ऐसे नवाचार की आवश्यकता है जो बैंकिंग, बीमा और वित्तीय सेवाओं के विशिष्ट क्षेत्र से परे हो। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण हमारे कारीगरों को महामारी के इस कठिन समय में मदद कर रहा है, अधिकांश बुनकर दुनिया के किसी भी क्षेत्र में रहने वाले अपने ग्राहकों के लिए बेहतरीन कपड़े बनाने के लिए इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं, इस प्रकार डिजिटल बुनाई के नवाचार और निगमन इस क्षेत्र में काम कर रहे 30 लाख से अधिक बुनकरों की मदद कर रहे हैं, जिससे उनकी रचनात्मकता को नया आयाम मिल रहा है। उन्होंने कहा कि यह किसी भी क्षेत्र के लिए डिजिटलीकरण को महत्वपूर्ण बनाता है। एस रामादोरई ने विघटनकारी नवाचार का एक उदाहरण दिया, जिससे मानवता को बड़े स्तर पर मदद मिली।
एस रामादोरई ने कहा कि ऐसा ही एक विघटनकारी नवाचार है जयपुर फुट जिसने बड़ी संख्या में लाचार लोगों को अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम बनाया। एस रामादोरई ने कहा कि इस महामारी ने देश को विभिन्न मुद्दों के बारे में सिखाया है। उन्होंने कहा कि भारत पहले से ही स्वदेशी पीपीई, वेंटिलेटर, मास्क और अन्य चिकित्सा उपकरणों का निर्माण कर रहा है जो कोविड-19 से लड़ने के लिए आवश्यक हैं, वास्तव में इस महामारी की प्रतिकूल परिस्थितियों ने चुनौतियों का सामना करने के लिए सकारात्मक तरीके से कार्रवाई करने का आह्वान किया है। एस रामादोरई ने स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटलीकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जब सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों की बात आती है, तो बुनियादी ढांचे के लिए एक नया प्रतिमान, प्रदाताओं का भौगोलिक वितरण और देखभाल करना आकार लेने लगता है।
एस रामादोरई ने कहा कि परिचालन उत्कृष्टता के अलावा हमें नए अवसरों, विविधीकरण, चिकित्सा उपकरणों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वचालन, वास्तविक समय के आधार पर डेटा एकत्र करने की क्षमता और भविष्य को लेकर सचेत करने वाले विश्लेषण में शामिल होने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, ताकि अगले महामारी का सामना करने के लिए हम मानव पूंजी के साथ-साथ अवसंरचना क्षमताओं के रूप में अच्छी तरह से तैयार हों। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण से ललित कला और संस्कृति को भी बढ़ावा मिल सकता है, देश में कई प्रमुख संस्थान हैं जो प्रदर्शन कला सिखा रहे हैं। डिजिटलीकरण से इन संस्थानों को हमारे समृद्ध अभिलेखागार को साझा करने का एक शानदार अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि यह कलाकारों, नर्तकियों आदि को अपनी कला, संस्कृति और विरासत को वैश्विक दर्शकों के सामने पेश करने के रुप में लाभान्वित कर सकता है।
एस रामादोरई ने कहा कि डिजिटल माध्यम स्वच्छता, शिक्षा या लैंगिक समानता जैसे क्षेत्रों में सामाजिक जागरुकता पैदा करने के लिए महत्वपूर्ण संदेशों के प्रसारण का एक अच्छा मंच हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिन्हें संकट से उबरने के लिए भौतिक और डिजिटल समाधान मॉडल की आवश्यकता है, पानी, स्वास्थ्य, स्वच्छता और शिक्षा तक पहुंच को प्रौद्योगिकी की सहायता से बढ़ाने की आवश्यकता है। एस रामादोराई ने कहा कि डिजिटलीकरण यहां एक प्रतिस्थापन के रूप में कार्य नहीं कर सकता है और इसलिए एक भौतिक तथा डिजिटल मॉडल की आवश्यकता है। एस रामादोरई ने पाया कि महामारी ने मानवता के भीतर की सीमाओं को मिटा दिया है, महामारी के दृष्टिकोण से अमीर और गरीब का विभाजन लगभग गायब हो गया है। कोविड-19 कभी भी, कहीं भी और किसी को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
एस रामादोरई ने कहा कि हमें इस तथ्य को स्वीकार करना होगा कि समुदाय हर चीज का केंद्र बन जाता है, इसलिए हमारी धरती और प्रकृति महत्वपूर्ण है, इसलिए विविधता को जिंदगी के हिस्से और एक माध्यम के रूपमें स्वीकार करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी दुनिया के लिए काम करने की जरूरत है जिसकी कोई सीमा न हो। हमारे पारिस्थितिकी तंत्र को मानव और प्रकृति को जोड़ने वाला होना चाहिए। एस रामादोरई ने धरती, पर्यावरण और खुद की रक्षा करने के लिए एक बहुविषयक संस्कृति, हमारी सभी सोच में प्रौद्योगिकी समावेश और समाज में हमारे विभिन्न स्तर के बावजूद सबसे बेहतरीन सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया।

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