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सपा-बसपा का प्रियंका पर बैकडोर से हमला

प्रियंका गांधी वाड्रा का अयोध्या दौरा क्या वोट दिलाएगा?

अब तो अयोध्या कार्ड भी कांग्रेस के काम नहीं आ रहा है

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 29 March 2019 02:59:27 PM

priyanka gandhi vadra's ayodhya tour

अयोध्या। मुसलमान वोटों के बहक जाने के डर से भगवान श्रीराम के विश्वविख्यात जन्मस्‍थान अयोध्या की सर्वदा अवहेलना करती आ रही कांग्रेस की महासचिव और लोकसभा चुनाव में स्टारप्रचारक प्रियंका गांधी वाड्रा को भी आज अयोध्या जाना पड़ा है। उन्होंने हनुमानगढ़ी में संकटमोचक श्री हनुमानजी के दर्शन किए। प्रियंका गांधी वाड्रा की यह राजनीतिक गरज थी, जिसके लिए उन्हें हिंदू मठमंदिरों में जाना पड़ रहा है। उनके अयोध्या पहुंचते ही उनका विरोध भी शुरू हो गया है। प्रियंका गांधी वाड्रा पर सबसे पहला हमला कोर्ट में बाबरी मस्जिद मामले के कानूनी पक्षकार इकबाल अंसारी ने किया, जिसमें उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद केवल कांग्रेस की देन है और प्रियंका गांधी वाड्रा के अयोध्या में दर्शन करने से उन्हें कोई लाभ नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद में मूर्ति रखने, ताला खुलवाने, शिलान्यास कराने और ढांचा गिराने तक में कांग्रेस शा‌मिल है और ये सारे काम कांग्रेस सरकार के समय में हुए हैं। दूसरी तरफ केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी दिल्ली में कहा है कि कम से कम इससे कांग्रेस ने अयोध्या में रामजन्म स्‍थान को स्वीकार किया है।
प्रियंका गांधी वाड्रा का अयोध्या दौरा एक बड़ा तूफान खड़ा कर गया है। उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी गठबंधन सपा और बसपा को कांग्रेस को घेरने का मौका मिल गया है और रही-सही कसर इकबाल अंसारी ने पूरी कर दी है प्रियंका गांधी वाड्रा और कांग्रेस पर करारे हमले करके। गौरतलब है कि सपा और बसपा दोनों ही दल रामजन्म भूमि विवाद से अपने को दूर रखते हैं कि कहीं मुसलमान उनसे नाराज न हो जाएं, क्योंकि राजीव गांधी के समय अयोध्या में शिलान्यास कराने से मुसलमान ने कांग्रेस से दूरी बना ली थी, जिसको उत्तर प्रदेश में समय-समय पर समाजवादी पार्टी और बसपा ने भुनाया और मुसलमान वोटों की सहायता से राज्य में सरकारें बनाईं। इस स्थिति का कांग्रेस आजतक खामियाजा भुगत रही है कि उत्तर प्रदेश में उसके साथ मुसलमान नहीं है। सपा-बसपा दोनों में से कोई नहीं चाहते हैं कि मुसलमान कांग्रेस में लौटें, लेकिन इस दौर में मुसलमानों की कांग्रेस से नाराजगी में कमी आई है और वह भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए कांग्रेस को अपनी पहली पसंद बनाना चाहता है, लेकिन जबतक दलित समाज भी कांग्रेस में नहीं लौटता है, तबतक इनमें से किसी का भी भाजपा को सत्ता से बाहर करने का मिशन सफल होने वाला नहीं है।
बाबरी मस्जिद के मामले के पक्षकार इकबाल अंसारी भाजपा के खासे खिलाफ हैं। सपा-बसपा के नेताओं ने इस मौके पर इकबाल अंसारी का अच्छा इस्तेमाल किया है। माना तो यह जा रहा है कि इकबाल अंसारी सपा-बसपा की भाषा बोल रहे थे, जिनके गठबंधन में कांग्रेस शामिल नहीं है। यह हर किसी को एहसास है कि कांग्रेस अकेले कोई फतह नहीं कर सकती है। इकबाल अंसारी में यद्यपि मुसलमान वोटों को राजनीतिक रूपसे प्रभावित करने की क्षमता नहीं है तथापि मीडिया को दी गई बाइट में वे कांग्रेस पर तीखे हमलावर हैं और उन्होंने प्रियंका गांधी वाड्रा की अयोध्या में आगमन की उपयोगिता को ही प्रभावहीन करार दे दिया है। प्रियंका गांधी वाड्रा देश में लोकसभा चुनाव के समय अयोध्या आई हैं, लिहाजा उनका अयोध्या आगमन किसी को भी प्रभावित नहीं कर रहा है, यहां तककि श्रीराम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी ने भी प्रियंका गांधी वाड्रा के अयोध्या आगमन को कोई अहमियत ही नहीं दी है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने इससे पहले प्रयागराज से बनारस तक मोटर वोट से यात्रा की और सारे मंदिरों में जाकर माथा टेका है। जाहिर है यह उनकी हिंदू मतदाताओं को प्रभावित करने और अपने को हिंदू साबित करने की रणनीति का हिस्सा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी ऐसा करते आ रहे हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं के भाजपा विरोधी बयानों ने प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी को बैकफुट पर खड़ा किया हुआ है। इस समय देश यह मानने को तैयार नहीं है कि कांग्रेस के ये दोनों नेता देश के प्रति गंभीर हैं, जबकि यह देश भाजपा को देश की हिंदूवादी राजनीतिक ताकत समझता है। विश्व समुदाय भी यही मानता है कि भारतीय जनता पार्टी देश के हिंदू बाहुल्य समुदाय का प्रतिनि‌धि‌त्व करती है, जबकि भारत के बाकी राजनीतिक दल मुस्लिम तुष्टिकरण और जातिवाद की राजनीति करते हैं। अब जब देश में चुनावी माहौल है तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने को इस प्रकार प्रस्तुत किया है जैसे कि हिंदू समाज भी उनके पीछे चल देगा इसीलिए उनके बनारस से चुनाव लड़ने की बड़ी चर्चा है और उन्होंने कहा भी है कि अगर उनको कहा जाएगा तो वह चुनाव लड़ेंगी। प्रियंका गांधी वाड्रा ने अयोध्या में अपना कार्यक्रम जिस प्रकार से प्रचारित किया उससे उन्होंने यह संदेश दिया है कि वह भी अयोध्या में जन्मस्‍थान को मानती हैं, लेकिन कोई भी राजनीतिक दल या धार्मिक सामाजिक संगठन कांग्रेस के अयोध्या प्रेम को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, जैसा कि बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी प्रियंका गांधी वाड्रा के अयोध्या आगमन पर उनपर हमला बोला है।
अयोध्या में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस का शो करके एक तरह से हिंदुओं को भाजपा के पक्ष में लामबंद करने का ही काम किया है, वे कांग्रेस को कितने वोट दिला पाएंगीं यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन भाजपा ने भी उनको पूरी तरह से घेरा है। ज्ञात हो कि जब अयोध्या मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी, तब कांग्रेस के वकील ने ही कहा था कि श्रीराम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई लोकसभा चुनाव के बाद होनी चाहिए,‌ जिससे प्रियंका गांधी वाड्रा की हिंदू वोटों की राह आसान नहीं है। इकबाल अंसारी के इस बयान में दम नज़र आता है कि कांग्रेस ही इस विवाद की असली जड़ है। इकबाल अंसारी का यह बयान कहीं ना कहीं इस बात का भी संकेत देता है कि वह मुसलमानों में उत्तर प्रदेश में सपा बसपा गठबंधन की पैरवी कर रहे हैं। उनको गुमान है कि उनका बयान सपा बसपा गठबंधन को मुसलमान वोट दिलाने में सहायता करेगा, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यदि सोचा जाए तो इकबाल अंसारी की एक पक्षकार के अलावा और कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने जिस प्रकार बयान दिया है, उससे साफ-साफ संकेत मिलते हैं कि वे एक उकसाई हुई भाषा बोल रहे हैं, जोकि अखिलेश यादव और मायावती से कहीं ना कहीं प्रेरित है।
लोकसभा चुनाव में यह सब मानते हैं कि उत्तर प्रदेश में त्रिकोणात्मक मुकाबला है, जिसमें कांग्रेस का संकट यह है कि उसके साथ दलित और मुस्लिम गठजोड़ नहीं है। मुसलमान वोट को समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और अब उनके पुत्र अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती भरमाती रही हैं, लेकिन पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हिंदू समाज के भाजपा के साथ चले जाने से सपा बसपा अपने भी परंपरागत वोट नहीं बचा पाई। इन दोनों दलों का उत्तर प्रदेश से सफाया ही हो गया, जिससे मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दल इस समय बैकफुट पर हैं और मुसलमान भ्रमित है। अखिलेश यादव और मायावती को डर है कि यदि इस बार भी ऐसी ही पराजय हो गई तो इन दोनों दलों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा, इसलिए एक-दूसरे के घोर दुश्मन ये दोनों दल गठबंधन कर लिए हैं। लोकसभा चुनाव अब धर्म और राष्ट्रवाद की तरफ चला गया है, जिसमें वोटों के ध्रुवीकरण का बहुत बड़ा फैक्टर सामने मौजूद है।
भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोल रखा है, उधर आज भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने भी दिल्ली में यह आरोप लगाकर कांग्रेस को घेरा है कि हिंदू आतंकवाद कांग्रेस की ही साजिश है और समझौता ब्लास्ट केस में जानबूझकर निर्दोष लोगों को फंसाया गया था और यदि इसकी सही जांच होती तो उसमें कांग्रेस का दोहरा चरित्र सामने आता। उन्होंने कहा कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समझौता ब्लास्ट में लोगों को फंसाया गया था, कांग्रेस ने हिंदू समाज को कलंकित करने की कोशिश की है, कांग्रेस का पर्दाफाश हो गया है। प्रियंका गांधी का अयोध्या में हनुमानगढ़ी दर्शन को साधु-संतों ने उनका ढोंग बताया है, लेकिन यह भी है कि जिस प्रकार बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने प्रियंका गांधी वाड्रा के अयोध्या दौरे पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, उससे सपा बसपा को भी कोई लाभ होने वाला नहीं है।

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