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राष्ट्रीय एकीकृत लॉजिस्टिक्स योजना पर कार्यशाला

अवसरों व चुनौतियों पर लॉजिस्टिक्स से जुड़े हितधारकों से विमर्श

वैश्विक निकायों से भारतीय लॉजिस्टिक्स से जुड़ने का अनुरोध

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 12 February 2019 04:56:08 PM

suresh prabhu at the inaugural of a workshop on national integrated logistics plan

नई दिल्ली। भारत सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के लॉजिस्टिक्स विभाग ने आज नई दिल्ली में एक कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें इस सेक्टर में उपलब्ध अवसरों और चुनौतियों पर लॉजिस्टिक्स से जुड़े हितधारकों के साथ विचार-विमर्श किया गया। वाणिज्य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने इस अवसर पर कहा कि भारत ने विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में अपनी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार किया है, भारत इस सूचकांक में वर्ष 2014 के 54वें पायदान से काफी ऊपर चढ़कर वर्ष 2016 में 35वें पायदान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि इस सुधार के बावजूद भारत को अपनी रैंकिंग में और भी बेहतरी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि हम अंतर्राष्ट्रीय मानकों का हिस्सा बन सकें, लागत कम कर सकें, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं से जुड़ सकें और व्यापार में वृद्धि कर सकें।
नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत की तटीय रेखा 7600 किलोमीटर लंबी है, इसलिए हमारे बंदरगाह और शिपिंग उद्योग लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बेहतरी लाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर काफी हद तक विखंडित है, इसलिए इसके तहत लॉजिस्टिक्स लागत को सकल घरेलू उत्पाद के मौजूदा 14 प्रतिशत से घटाकर वर्ष 2022 तक 10 प्रतिशत के स्तर से भी नीचे लाना है। उन्होंने कहा कि 20 से भी अधिक सरकारी एजेंसियां, 40 साझेदार सरकारी एजेंसियां, 37 निर्यात संवर्धन परिषदें, 500 प्रमाणन, 10000 जिंस और 160 अरब का बाज़ार आकार होने के कारण भारत का लॉजिस्टिक्स सेक्टर काफी जटिल है, इसमें 12 मिलियन का रोज़गार आधार, 200 शिपिंग एजेंसियां, 36 लॉजिस्टिक्स सेवाएं, 129 आईसीडी, 168 सीएफएस, 50 आईटी परितंत्र और बैंक एवं बीमा एजेंसियां भी संलग्न हैं। इसके अलावा निर्यात-आयात के लिए 81 प्राधिकरणों और 500 प्रमाण पत्रों की आवश्यकता होती है।
सुरेश प्रभु ने प्रतिभागियों को सूचित किया कि वाणिज्य मंत्रालय ने एक लॉजिस्टिक्स पोर्टल विकसित किया है, जो तकनीक से संचालित है और यह भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर के सभी पहलुओं में उच्च दक्षता प्राप्त करने के लिए एक अनुकूल परितंत्र सृजित करेगा, यह पोर्टल अंतराष्ट्रीय एवं घरेलू बाजारों में व्यापार में सुगमता सुनिश्चित करेगा और यह एक्जिम के सभी हितधारकों, घरेलू व्यापार एवं आवाजाही और व्यापार से जुड़ी समस्त गतिविधियों को एकल प्लेटफॉर्म पर जोड़ेगा। सुरेश प्रभु ने यह भी कहा कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर में देशभर में बड़ी संख्या में रोज़गार सृजित करने की क्षमता है और यह उम्मीद की जा रही है कि निकट भविष्य में इस सेक्टर में 28 मिलियन कामगारों की आवश्यकता होगी, ताकि प्रभावशाली ढंग से गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मुहैया कराई जा सकें। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि जब पोर्टल काम करना शुरू कर देगा तो वह एक संस्थागत व्यवस्था सुनिश्चित करेगा, जो देश में लॉजिस्टिक्स सेक्टर से सप्लाई चेन संबंधी एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए संगठित ढंग से काम करेगी।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में कमी को पूरा करने और जरूरत पड़ने पर विधायी सहयोग प्रदान करने के लिए सभी हितधारकों को अपनी ओर से आवश्यक समर्थन देगा। उन्होंने सभी वैश्विक निकायों से भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर से जुड़ने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यही व्यापक बदलाव भारत को पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर बड़ी मजबूती के साथ अग्रसर कर देगा। एशियाई विकास बैंक के कंट्री डायरेक्टर केनिची योकोयामा, जर्मनी की डीएचएल फ्रेट के सीईओ यूवे ब्रिंक्स, कोरिया एयरोस्पेस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉ वोनक्यू किम और कोरिया परिवहन संस्थान के वैश्विक लॉजिस्टिक्स प्रमुख डॉ होंग-सिउंग रोह ने भी इन परिचर्चाओं में भाग लिया।

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