स्वतंत्र आवाज़
word map

भारत की प्रतिष्ठा को शिखर पर पहुंचाएं-कोविंद

'मेरी सरकार में लोगों में नई आशा और विश्वास का संचार'

संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति का अभिभाषण

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 31 January 2019 04:26:57 PM

president ramnath kovind

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज भाजपा गठबंधन सरकार के संसद के अंतिम संयुक्त अधिवेशन को संबोधित अभिभाषण में कहा है कि भारत इस वर्ष 21वीं सदी के सशक्त, स्वावलंबी और समृद्ध नए भारत के लिए एक निर्णायक दिशा तय करेगा, क्योंकि इस वर्ष आम चुनाव के रूपमें लोकतंत्र का सबसे बड़ा उत्सव मनाया जाएगा। उन्होंने इस सदी में पहली बार लोकसभा के लिए मतदान करने वाले युवाओं को सदन के माध्यम से अपनी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते अब वे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे और देश की नीति एवं निर्णयों की दिशा तय करेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि आइए! हम सभी एक साथ मिलकर नए भारत के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करें और 21वीं सदी में भारत की प्रतिष्ठा को नए शिखर पर पहुंचाएं! राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्ष में सरकार ने लोगों में एक नई आशा और विश्वास का संचार किया है, देश की साख बढ़ाई है और सामाजिक तथा आर्थिक बदलाव के लिए प्रभावी प्रयास किए हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने देशवासियों का अपार स्नेह और विश्वास जीता है, हर एक भारतवासी का जीवन बेहतर हो, यही सरकार का मुख्य ध्येय है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज से शुरु हुए बजट सत्र में भाजपा गठबंधन सरकार की उपलब्धियों का सिलसिलेवार उल्लेख किया कि सरकार के प्रयासों से पूरे देश में बेहतरी के लिए बदलाव हो रहे हैं और बदलाव की यह प्रक्रिया जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि देश के 130 करोड़ लोगों के आशीर्वाद और उनके सहयोग से सरकार नया भारत बनाने की ओर चल पड़ी है। उन्होंने कहा कि एक ऐसा नया भारत बनाएं जहां हर व्यक्ति को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हों, एक ऐसा नया भारत जहां हर एक व्यक्ति स्वस्थ हो सुरक्षित हो और शिक्षित हो, एक ऐसा नया भारत जहां हर व्यक्ति को अपनी प्रतिभा निखारने का मौका मिले और उसके पास आगे बढ़ने के समान अवसर हों, एक ऐसा नया भारत जहां हर बच्चा बिना किसी अभाव के जीवन में आगे बढ़े और हर बेटी सुरक्षित महसूस करे, एक ऐसा नया भारत जहां प्रत्येक व्यक्ति को न्याय मिले और उसकी गरिमा सुनिश्चित हो, एक ऐसा नया भारत बनाएं जिसे पूरे विश्व में सम्मान से देखा जाए।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि 2019 का वर्ष हमारे लोकतंत्र के इतिहास का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, इस वर्ष हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं, इसी वर्ष 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग में हुए दुखद नरसंहार के 100 वर्ष भी पूरे हो रहे हैं, मैं राष्ट्र की ओर से उन शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उन्होंने कहा कि इस वर्ष हमारा देश संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ भी मनाएगा। उन्होंने उल्लेख किया कि इसी ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में हमारे महान संविधान निर्माताओं ने भारत के संविधान की रचना की थी, सेवाभाव और सद्भाव के साथ जीवन जीने की सीख देने वाले गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती भी हम इसी वर्ष मना रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे खुशी है कि हमारा देश गांधीजी के सपनों के अनुरूप, नैतिकता पर आधारित समावेशी समाज का निर्माण कर रहा है, बाबासाहब डॉ भीमराव आंबेडकर के संविधान में दिए सामाजिक और आर्थिक न्याय के आदर्शों के साथ आगे बढ़ रहा है और सरकार के प्रयासों में शोषण की राजनीति के विरुद्ध जनचेतना की मशाल जलाने वाले डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के समानता पर आधारित समाज के प्रति आस्था स्पष्ट दिखाई देती है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि वर्ष 2014 के आम चुनावों से पहले देश एक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा था, लोकसभा चुनाव के बाद उनकी सरकार ने कार्यभार संभालने के साथ ही एक नया भारत बनाने का संकल्प लिया, एक ऐसा नया भारत जहां व्यवस्थाओं में अधूरापन और अकर्मण्यता न हो, जहां भ्रष्टाचार न हो, जहां अस्वच्छता के लिए कोई स्थान न हो। उन्होंने कहा कि पहले दिन से मेरी पारदर्शी सरकार का ध्येय था कि सभी देशवासियों का जीवन सुधरे, कुशासन से पैदा हुई उनकी मुसीबतें दूर हों और समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक जनसुविधाएं पहुंचें। उन्होंने कहा कि वो गरीब मां जो लकड़ी के धुएं में खाना बनाती थी, वो बेबस बहन जो पैसे की चिंता में गंभीर बीमारी के बावजूद अपना इलाज टालती थी, वो बेटी जो शौच जाने के लिए सूरज ढलने का इंतजार करती थी, वो बच्चा जो बिजली के अभाव में पढ़ाई के लिए सूरज की रोशनी का इंतजार करता था, वो किसान जो ओले से फसल बर्बाद होते देखकर कर्ज चुकाने की चिंता में घिर जाता था, वो युवा जो कर्ज न मिल पाने के कारण अपना रोज़गार शुरू नहीं कर पाता था, ऐसे ही असंख्य असहाय चेहरों ने सरकार के लक्ष्य तय किए और इसी सोच ने सरकार की योजनाओं को आधार दिया, यही दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय का आदर्श रहा है और उनका यह आदर्श ही सरकार के कामकाज की सार्थकता की कसौटी बना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि समग्र और आधुनिक विकास के लिए यह अनिवार्य है कि देश का एक भी भाई-बहन या एक भी परिवार बुनियादी जरूरतों से वंचित न रहे। उन्होंने कहा कि आम नागरिक का दर्द समझने वाली सरकार ने मूलभूत सुविधाओं को प्राथमिकता दी, लोगों के स्वास्थ्य की चिंता की और सरकारी योजनाओं को नया स्वरूप देकर अभूतपूर्व गति से काम किया। राष्ट्रपति ने कहा कि प्रभु बसवन्ना ने सबके प्रति संवेदनशीलता के इसी भाव को व्यक्त करते हुए कहा था-‘दयवे धर्मद मूल वय्या।’ अर्थात ‘करुणा ही सभी आस्थाओं का आधार है’। सभी प्राणियों के लिए प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में प्रेम और करुणा का भाव होना ही चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के इस वर्ष में याद रखना है कि हमने पूज्य बापू की स्मृति में इस वर्ष 2 अक्तूबर तक देश को संपूर्ण स्वच्छ बनाने का संकल्प लिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार देश के गरीबों की तकदीर और हमारे गांवों की तस्वीर बदल रही है, सरकार का प्रयास है कि कड़ा परिश्रम करने वाले हमारे मध्यम वर्ग की पूंजी बढ़े और निवेश के नए विकल्पों से उनकी आय और भी बढ़े। उन्होंने कहा कि जब देश को अटल बिहारी वाजपेयी के रूप में एक दूरदर्शी, सर्वसमावेशी, संवेदनशील, गरीब का दुःख समझने वाले प्रधानमंत्री मिले थे तो अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए थे, उत्तर पूर्व के राज्यों का अलग मंत्रालय हो या आदिवासी कल्याण मंत्रालय, सर्व शिक्षा अभियान हो या देश को सड़कों से जोड़ने का अभियान, ये सब अटलजी की देन थे, लेकिन दुर्भाग्यवश बाद में इन कार्यों को वैसी गति और निरंतरता नहीं मिली, जैसी मिलनी चाहिए थी।
राष्ट्रपति ने कहा कि महान संत तिरुवल्लुवर ने कहा है-'इयट्रलुम् ईट्टलुम् कात्तलुम् कात्त, वगुत्तलुम् वल्लदअरसु' यानि कि अच्छी सरकार समुचित ढंग से संपत्ति अर्जित करती है, राज्य के धन और सेवाओं को बढ़ाती है, उनका ठीक से संरक्षण करती है और लोगों के बीच राज्य की सुविधा और संपदा को सजगता के साथ न्यायपूर्ण तरीके से पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण के 45 साल बाद भी हमारे देश में गरीबों के लिए बैंकिंग सुविधाओं की क्या स्थिति थी, इससे हम सब भली-भांति परिचित हैं, हमारी सरकार की जनधन योजना इस बात का एक उत्तम उदाहरण है कि कैसे एक बड़े आर्थिक परिवर्तन का आधार तैयार किया जाता है, यह योजना सिर्फ लोगों के बैंक खाते खोलने मात्र की नहीं है, इसके उद्देश्य बहुत व्यापक हैं, यह योजना देश के गरीब का आर्थिक समावेश कर रही है और उसका आत्मविश्वास बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मानती है कि भ्रष्टाचार और कालाधन देश के ईमानदार करदाता के प्रति बहुत बड़ा अन्याय है, भ्रष्टाचार सदैव किसी ग़रीब या मध्यम वर्गीय व्यक्ति का अधिकार छीनता है, इस स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर बल दिया है, डिफाल्ट करने की नीयत से बड़े-बड़े कर्ज लेकर उन्हें हड़प जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है। उन्होंने कहा कि जीएसटी जैसे व्यापक कर सुधार लागू होने से एक राष्ट्र एक कर एक बाज़ार की अवधारणा साकार हुई है, जीएसटी से देश में एक ईमानदार और पारदर्शी व्यापारिक व्यवस्था का निर्माण हो रहा है, जिसका काफी बड़ा लाभ देश के व्यापारियों को मिल रहा है, इस व्यवस्था से उनकी कठिनाइयां कम हुई हैं। उन्होंने कहा कि मैं देशवासियों को इस बात के लिए बधाई देता हूं कि शुरुआती दिक्कतों के बावजूद देश के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने बहुत कम समय में एक नई प्रणाली को अपनाया, सरकार ने व्यापार जगत से मिल रहे सुझावों को ध्यान में रखकर जीएसटी में सुधार की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखा है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता रही है कि युवा सम्मान के साथ अपना रोजगार शुरू करें और दूसरों को भी रोजगार दें, स्वरोजगार को सुविधाजनक बनाने के लिए सरकार ने व्यापक सुधार किए हैं, जिनकी विश्व स्तर पर सराहना हो रही है, इन सब सुधारों के परिणामस्वरूप कारोबार में सुगमता की रैंकिंग में भारत जहां 2014 में 142वें स्थान पर था, वहीं अब 65 रैंक ऊपर आकर 77वें स्थान पर पहुंच गया है, यह एक असाधारण उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि इन साढ़े चार वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था औसतन 7.3 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ी है, भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि इस समय प्रयागराज में कुंभ पूरी दुनिया में चर्चित हो रहा है, इस विशाल आयोजन में इस बार तेज गति के साथ विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य सुविधाओं का स्थाई विकास किया गया है, गंगा-यमुना-सरस्वती का संगम क्षेत्र इस समय स्वच्छता और आधुनिक प्रबंधन का प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने कहा कि गंगा हमारे लिए केवल एक नदी नहीं है, गंगा हमारी माँ जैसी है, हमारी संस्कृति और आस्था का जीवंत रूप है, गंगा को स्वच्छ रखना हमारा पुनीत कर्तव्य है, इसके लिए सरकार ने नमामि गंगे मिशन के तहत अब तक 25 हजार 500 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को स्वीकृति दी है, गंगा में गिरने वाले दर्जनों बड़े नालों को बंद करके, औद्योगिक कचरों को रोककर, शहरों के किनारे अनेक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर गंगा को स्वच्छ बनाने के अभियान में तत्परता दिखाई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र नायकों के योगदान को सम्मान देना, हर देशवासी का और सरकार का कर्तव्य है, आधुनिक भारत के निर्माताओं को सम्मानित करने की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने इस वर्ष नानाजी देशमुख, भूपेन हजारिका और प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से अलंकृत करने का निर्णय लिया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि कर्मठ व्यक्तियों ने बिना किसी अपेक्षा के निस्वार्थ भाव से जन-कल्याण के कार्य किए हैं, सरकार ने उन्हें बिना किसी भेदभाव के उनकी योग्यता के आधार पर राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित करके त्याग और सेवा के आदर्शों के प्रति देश की प्रतिबद्धता जताई है। उन्होंने कहा कि हमारी परंपरा में संतों और गुरुओं का दर्जा सबसे ऊपर है, इसी महीने सरकार ने गुरु गोविंद सिंहजी के प्रकाश पर्व पर एक विशेष सिक्का जारी किया है, यह भी हम सभी के लिए प्रसन्नता की बात है कि सरकार ने करतारपुर कॉरीडोर बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि विश्व पटल पर जहां एक ओर भारत हर देश के साथ मधुर संबंध का हिमायती है, वहीं प्रतिपल हमें हर चुनौती से निपटने के लिए स्वयं को सशक्त भी करते रहना है, बदलते हुए भारत ने सीमा पार आतंकियों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करके हमने अपनी ‘नई नीति और नई रीति’ का परिचय दिया है, पिछले वर्ष भारत उन चुनिंदा देशों की पंक्ति में शामिल हुआ है, जिनके पास परमाणु त्रिकोण की क्षमता है। उन्होंने कहा कि हमारी सेनाएं और उनका मनोबल 21वीं सदी के भारत के सामर्थ्य का प्रतीक है, सरकार ने चार दशकों से लंबित वन रैंक वन पेंशन की मांग को न सिर्फ पूरा किया, बल्कि 20 लाख पूर्व-सैनिकों को 10,700 करोड़ रुपए से ज्यादा के एरियर का भुगतान भी किया है। उन्होंने कहाकि सरकार ने रक्षा क्षेत्र में नए समझौते करके नए सैन्य उपकरणों की खरीद और मेक इन इंडिया के तहत देश में ही उनके निर्माण ने सेना का मनोबल बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि दशकों के अंतराल के बाद भारतीय वायुसेना, आने वाले महीनों में नई पीढ़ी के अति आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल को शामिल करके अपनी शक्ति को और सुदृढ़ करने जा रही है।
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने में हमेशा मुस्तैद रहने वाले सुरक्षाबलों को बधाई देना चाहता हूं, देश में आतंक और हिंसा में कमी लाने में उनके संगठित प्रयासों की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों में जितने युवक विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए आए हैं, वह एक रिकॉर्ड है, पिछले वर्ष पुलिस मेमोरियल का लोकार्पण करके देश के प्रति उनके बलिदान को सम्मानित किया गया है और उनकी स्मृति को भावी पीढ़ियों के लिए संजोया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू, लद्दाख और कश्मीर के संतुलित विकास के लिए प्रतिबद्ध है, सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि राज्य में विकास का वातावरण बनना शुरू हुआ है, हाल ही में राज्य के शहरी स्थानीय निकायों में 13 वर्ष बाद और पंचायतों में 7 वर्ष के अंतराल के बाद शांतिपूर्वक चुनाव हुए, जिनमें लोगों ने बहुत उत्साह दिखाया और 70 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए प्रतिबद्ध सरकार द्वारा 80 हजार करोड़ रुपए के पैकेज का ऐलान किया गया। उन्होंने कहा कि वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस में भारत की अंतर्राष्ट्रीय ध्वनि और ज्यादा मुखर हुई है, पूरे विश्व में भारत की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने विदेश में रहने वाले भारतीयों के पासपोर्ट की ताकत और उसका मान ही नहीं बढ़ाया है, बल्कि उनके सुख-दुःख की सहभागी भी बनी है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के संरक्षण में भारत की पहल को संयुक्त राष्ट्र से सम्मान मिला और पिछले वर्ष इंटरनेशनल सोलर एलायंस की पहली महासभा की बैठक सफलता पूर्वक दिल्ली में आयोजित की गई। उन्होंने कहा ‌कि वर्ष 2022 में भारत जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]