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अफसोस! सिनेमा के सितारे कादर खान नहीं रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया

भारतीय सिनेजगत और उनके अभिनय के दीवानों में शोक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 1 January 2019 04:39:35 PM

kadar khan

नई दिल्ली। अफसोस! भारतीय सिनेमा के जानेमाने चरित्र अभिनेता पटकथा लेखक और डायलॉग के सृजनकर्ता एवं अपने अभिनय में हास्य भावभंगिमा से व्यवस्‍था पर करारी चोट करने वाले कादर खान नहीं रहे। भारतीय सिनेजगत का यह वो कलाकार था, जिसने लोगों के दिलों में अपार प्रसिद्धि हासिल की, जिसकी जगह कोई भी नहीं ले पाएगा। जिसने मुर्दा फिल्मों और मरी हुई कहानियों की फिल्मों में न केवल जान डाल दी, बल्कि अनेक हिंदी फिल्में ऐसी हैं, जिनमें यदि कादर खान न होते तो वे चल नहीं पातीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चरित्र अभिनेता कादर खान के निधन पर गहरा शोक व्‍यक्‍त किया है। प्रधानमंत्री ने शोक संदेश में कहा है कि कादर खान ने अपने विलक्षण अभिनय कौशल से सिनेमा को उज्‍जवल बनाया और अपने अनूठे हास्‍य भाव से सिनेमा प्रेमियों को खूब हंसाया, वह अच्‍छे पटकथा लेखक थे और अनेक यादगार फिल्‍मों से जुड़े थे, उनके निधन से दुख हुआ, उनके परिवार और प्रशंसकों प्रति मैं संवेदना प्रकट करता हूं।
हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकार ने 81 वर्ष की उम्र में विदा ले ली। वह काफी समय से अशक्त भी थे और बीमार भी थे। कई बार उनके खराब स्वास्‍थ्य को लेकर चिंताजनक ख़बरें आईं और जीवन को लेकर अफवाहें भी फैलीं। उनके पुत्र सरफराज खान ने आज आखिर कह ही दिया कि कादर खान नहीं रहे हैं, वे पिछले कुछ समय से कनाडा के एक अस्‍पताल में भर्ती थे, 31 दिसंबर को शाम करीब छह बजे उनका निधन हो गया। बताया जा रहा है कि कादर खान का अंतिम संस्‍कार कनाडा में ही किया जाएगा, उनके बेटे सरफराज ने ऐसा ही बताया बताते हैं। कादर खान का परिवार भी काफी समय से कनाडा में रह रहा है, इसलिए उनके पुत्र का कहना है कि वे उनकी सभी अंतिम रस्में कनाडा में ही पूरी करेंगे। बताया जाता है कि कादर खान को सांस लेने में समस्या बनी हुई थी, जो अंततः उनके देहावसान का कारण बनी। कादर खान के लिए लाखों करोड़ों लोगों की दुआएं लगी थीं, लेकिन एकदिन सबको जाना ही है।
कादर खान का जन्म 22 अक्टूबर 1937 को काबुल में हुआ। उन्होंने 1973 में ‘दाग’ फिल्म से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने भी अधिकांश की तरह अपना बचपन बड़े अभाव में जिया है। घर चलाना भी बड़ा मुश्किल था। उन्हें फिल्मों में अवसर मिलने में बड़े अवरोधों का सामना करना पड़ा। उन्होंने जब अभिनय की छाप छोड़ी तो फिर उनका रास्ता नहीं रुका। उन्होंने अनेक फिल्मों के संवाद लिखे। पटकथा लेखक के तौर पर कादर खान ने मनमोहन देसाई और प्रकाश मेहरा के साथ कई फिल्में लिखीं। डायलॉग ऐसे लिख दिए कि कोई क्या लिखेगा। एक-एक शब्द का जवाब नहीं था। उन्होंने कुली, गंगा जमुना सरस्वती, देश प्रेमी, धर्मवीर, सुहाग, लावारिस, अमर अकबर एंथनी, ज्वालामुखी, शराबी, मुकद्दर का सिकंदर जैसी फिल्में लिखीं। उन्होंने करीब तीन सौ फिल्मों में काम किया और ढाई सौ से ज्यादा संवाद लिखे। फिल्म जगत के सितारों अमिताभ बच्चन, गोविंदा, सायरा बानो, शबाना आज़मी, गीतकार जावेद अख्तर, रज़ा मुराद आदि ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

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