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लोक अदालत में तमाम मामले सुलझाए गए

पारिवारिक और बैंक लोन मामले निपटान में सफलता

अयोध्या में लगाई गई थी राष्ट्रीय लोक अदालत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 8 December 2018 05:33:05 PM

national lok adalat in ayodhya

अयोध्या। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की अयोध्या में राष्ट्रीय लोक अदालत लगी, जिसका प्रभारी जनपद न्यायाधीश अयोध्या अशोक कुमार ने शुभारंभ किया। बैंक लोन के प्री-लिटीगेशन विवादों के निस्तारण के नोडल अधिकारी अपर जिला न्यायाधीश अयोध्या बीडी गौतम की अध्यक्षता में आयोजित इस लोक अदालत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं सिविल जज सीनियर डिवीजन अयोध्या डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि पारिवारिक न्यायाधीश रीता कौशिक ने सुलह समझौते के आधार पर कई महत्वपूर्ण वाद निपटाए।
डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि राम किशोर निवासी ग्राम उरूवा वैश्य, परगना पश्चिमराठ, तहसील मिल्कीपुर के वाद में पिता ने अपने पुत्र राधेश्याम से 5 हजार रूपया प्रतिमाह बतौर भरण-पोषण दिलाए जाने की याचना की थी। न्यायालय के हस्तक्षेप से पिता एवं पुत्र में समझौता हो गया एवं पुत्र अपने माता-पिता को अपने साथ ले गया। उन्होंने बताया कि एक हिंदू विवाह अधिनियम का दावा था, जो सुनील कुमार ने पत्नी रत्ना कुमारी के विरूद्ध दाखिल किया था, उसमें भी न्यायालय के हस्तक्षेप से पति-पत्नी राजी-खुशी मुकद्मे में सुलह होकर न्यायालय से ही विदा होकर अपने घर गए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने बताया कि लोक अदालत में सबसे अहम प्री-लीटिगेशन मामलों में वादकारियों की रूचि बढ़-चढ़कर दिखी। लोक अदालत में प्रमुख राष्ट्रीयकृत बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, उत्तर प्रदेश बड़ौदा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, कारपोरेशन बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूको बैंक, बीएसएनएल विभाग, वोडाफोन कम्पनी सहित अन्य के शिविर लगाए गए थे। शिविरों में भारी संख्या में लोगों ने शिरकत की और ऋण की बड़ी रकम भी वसूल की गई।
डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि लोक अदालत में बैंक शिविरों में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया तथा ऋण की बड़ी रकम भी वसूली गई। राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 1804 वादों को निस्तारित किया गया, जिनमें मोटर दुर्घटना दावे, प्रतिकर याचिका से सम्बंधित 8 वाद निस्तारित किए गए। सुलह में कुल 26 लाख 55 हजार रूपये प्रतिकर दिलाया गया। बैंक रिकवरी से सम्बंधित 377 प्री-लीटिगेशन वाद निस्तारित किए गए तथा बैंक ऋण 1 करोड़ 81 लाख 30 हजार 478 रूपये वसूल किया गया। पारिवारिक न्यायालय में 27 मुकदमों को निस्तारित करते हुए 9 लाख 48 हजार रूपया भरण-पोषण के रूप में दिलाया गया।
सम्बंधित मजिस्ट्रेट न्यायालयों ने 1025 फौजदारी वादों को निस्तारित किया, जिनके एवज में 1 लाख 46 हजार 990 रूपया अर्थदंड आरोपित किया गया। सिविल न्यायालयों ने कुल 33 मामलों का निस्तारण किया, जिनमें 14 लाख 32 हजार 391 रूपये के उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र आदि जारी किए गए। राजस्व मामलों के 317 वाद विभिन्न राजस्व न्यायालयों ने निस्तारित किए। बीएसएनएल कम्पनी से सम्बन्धित 4 वाद निबटाए गए। इस प्रकार लोक अदालत में कुल 1427 मामलों का निस्तारण किया गया एवं 2 करोड़ 56 लाख 117 रूपया 17 पैसे का अर्थदंड एवं समझौता राशि वसूल की गई। सुनील कुमार सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन से महिलाओं, विकलांगों, वरिष्ठ नागरिकों, पिछड़े, अनुसूचित जाति-जनजाति एवं सामान्य गरीब वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचा।
लोक अदालत में न्यायिक अधिकारियों में मुख्य रूपसे हरिनाथ पांडेय एडीजे, सुरेश चंद्र आर्य एडीजे, कुशल पाल एडीजे, सुरेश कुमार शर्मा एडीजे, श्रद्धा तिवारी लघुवाद न्यायाधीश, वरूण मोहित निगम सीजेएम, प्रज्ञा सिंह एसीजेएम, विजय कुमार गुप्ता एसीजेएम, अभिनव तिवारी जेएम, अनीता सिविल जज हवेली, रश्मि चंद जेएम, अविनाश चंद्र गौतम जेएम, देवेंद्र प्रताप सिंह जेएम, साधना गिरी सिविल जज, मयूरेश श्रीवास्तव सिविल जज, न्यायिक अधिकारी, कर्मचारी, अधिवक्ता, वादकारी और बैंक अधिकारी उपस्थित थे।

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