स्वतंत्र आवाज़
word map

'केरल को हिंदूविहीन करना चाहते हैं विजयन'

विहिप का शबरीमाला मामले में मुख्यमंत्री पर बड़ा हमला

'स्वतंत्र भारत में अय्यप्पा भक्तों पर क्रूर अत्याचार'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 21 November 2018 05:57:31 PM

dr. surendra jain, international joint chiefs of the vhp

नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि केरल के मुख्यमंत्री विजयन मुस्लिम ‌आक्रांताओं आदिल शाह और औरंगज़ेब की तरह काम कर रहे हैं। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डॉ सुरेंद्र जैन ने एक बयान में कहा कि हिंदू आस्थाओं को कुचलकर मुख्यमंत्री विजयन केरल को कश्मीर की तरह हिंदूविहीन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि शबरीमाला के मामले में उनका व्यवहार एक निर्मम तानाशाह की तरह बन चुका है, वे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की आड़ में हिंदुओं पर बार-बार क्रूर अत्याचार कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विजयन महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण के नाम पर महिलाओं के साथ ही बेहद क्रूरता के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि शबरीमाला परिसर को क्रूरता का केंद्र बनाने के कारण ही केरल हाईकोर्ट ने मजबूर होकर यह टिप्पणी की है कि वहां के मुख्यमंत्री केरल को एक युद्धक्षेत्र बना देना चाहते हैं।
डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि जिस तरह से वहां पर नामजप भी अपराध बन गया है, वह हिंदुओं को काफी परेशान करने लगा है। उन्होंने यात्रियों के ठहरने की जगह पानी डालकर कीचड़ कर दी है, किसी को भी यात्रा के बाद रुकने नहीं दिया जा रहा, इतनी लंबी चढ़ाई के बाद सरकार को भक्तों के विश्राम की उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी, लेकिन व्यवस्था के नाम पर वह वहां अव्यवस्था ही है। यात्रियों को ले जाने वाली बसों को धमकी दी जा रही हैं, जिससे यात्री वाहन ना जा सकें, न पेयजल उपलब्ध है और न ही शौचालयों की पर्याप्त व्यवस्था है, इसके कारण से महिला भक्तों को विशेष परेशानी हो रही है। डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि नय्या अभिषेकम जो प्रातःकाल ही होता है, प्रत्येक अय्यप्पा भक्त इस अभिषेकम में अवश्य उपस्थित होता है, इसके लिए उन्हें रात्रि को रुकना पड़ता है।
डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि 18 नवंबर की रात को वहां अय्यप्पा भक्तों पर जिस प्रकार अत्याचार किए गए, वे स्वतंत्र भारत में बहुत दुर्लभ हैं, सैकड़ों अय्यप्पा भक्तों को गिरफ्तार किया गया, उनको पीने का पानी और भोजन की बात तो दूर शौचालय तक की सुविधाओं से भी वंचित करके उनके साथ आतंकवादियों जैसा व्यवहार किया गया और 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि जिस प्रकार पुलिस ने भक्तों को जूतों से ठोकरें मारी और महिलाओं को उठाकर फेंका है, ऐसा लगता था कि हिंदू समाज का यह पवित्र स्थान स्वतंत्र भारत का हिस्सा नहीं, अपितु एक औरंगज़ेब का साम्राज्य बन गया है। विहिप ने पूछा है कि राज्य में धारा 144 क्यों लगाई जा रही है? क्या वहां किसी प्रकार के दंगे की संभावना थी? यह पूरा देश उनसे जानना चाहता है कि कानून व्यवस्था को कैसा खतरा उपस्थित हो गया था वहां? यह उन्हें अवश्य बताना चाहिए।
विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि वह केरल सरकार के दुर्व्यवहार की घोर निंदा करते हुए उसे आगाह करती है कि उसका यह तानाशाहीपूर्ण व्यवहार केरल के हिंदू ही नहीं संपूर्ण विश्व में फैले हुए अय्यप्पा भक्त स्वीकार नहीं करेंगे। विहिप नेता ने कहा कि कुछ लोग इस लड़ाई को संविधान विरुद्ध आस्था की लड़ाई का नाम दे रहे हैं, जबकि वास्तव में यह संविधान की मूल भावना की रक्षा करने का ही संघर्ष है, संविधान अपनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पूजा पाठ करने की अनुमति देता है। कानून तभी हस्तक्षेप कर सकता है, जब किसी भी अन्य धर्म के लोगों को या अन्य भक्तों को इससे कष्ट हो रहा हो। यहां जबरदस्ती घुसने वालों में कोई अय्यप्पा भक्त नहीं हैं, बल्कि अराजकतावादी तत्व हैं, जो हिंदू आस्थाओं को हमेशा से कुचलते रहे हैं, पूरी केरल सरकार मुट्ठीभर अराजक तत्वों को मंदिर में जबरन प्रवेश कराने के लिए न्याय और संविधान की मूल भावना के विपरीत, अपनी सारी ताकत का लगा रही है।
विहिप नेता ने कहा कि अय्यप्पा भक्त मीडिया के एक वर्ग में यह कह रहे हैं कि देवस्वम बोर्ड द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में कुछ समय की मांग करना उनका यू टर्न है, जबकि वास्तविकता ऐसी नहीं है, वे अय्यप्पा भक्तों पर अत्याचार करके उनको झुकाना चाहते हैं, उनकी आशाओं को कुचलना चाहते हैं, अभी तक यह आंदोलन केवल केरल तक सीमित है, किंतु यदि राज्य सरकार की यही हठधर्मिता रही तो विश्व हिंदू परिषद इसको राष्ट्रीय आंदोलन बनाने पर भी विचार कर सकता है। विश्व हिंदू परिषद की न्यायाधीशों से भी प्रार्थना है कि 22 जनवरी की तारीख देकर विजयन को अपनी बर्बरता करने का एक और अवसर मिल गया है, जो उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा आग्रह है कि कोर्ट मामले की जल्द सुनवाई कर अपना निर्णयशीघ्र दे, जिससे देश के नागरिकों में यह संदेश जाए कि अराजक तत्वों की नहीं भक्तों के अधिकारों की भी न्यायपालिका चिंता करती है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]