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Thursday 23 August 2018 04:41:37 PM
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज राजभवन में एक कार्यक्रम में अमेरिका में रह रहे प्रवासी भारतीय एवं सुप्रसिद्ध शायर नूर अमरोहवी के द्विभाषीय गज़ल संग्रह 'दुआएं काम आती हैं' का लोकार्पण किया। नूर अमरोहवी ने यह गज़ल संग्रह अपने माता-पिता को समर्पित किया है। कार्यक्रम में देश के महापुरुष और प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर राज्यपाल राम नाईक ने अटल बिहारी वाजपेयी को ‘भाषाप्रभु’ बताया और कहा कि अटलजी देश की राजनीति में अद्वितीय एवं अप्रतिम थे, जिन्होंने देश के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे वासिफ फारूखी ने एक शेर के माध्यम से अटलजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि लोग दीवारे खड़ी करते हैं, पर भाषाएं सरहदों की सीमा को भी समाप्त करती हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में सभी भाषाओं को भारतीय भाषा का दर्जा प्राप्त है, संस्कृत सभी भाषाओं की माँ है और हिंदी की अपनी बहुत बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि मॉरीशस में हुए हिंदी सम्मेलन में बड़ी संख्या में हिंदीभाषियों का होना इस बात का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हिंदी के बाद सबसे ज्यादा उर्दू बोली जाती है, हिंदी और उर्दू भाषा में संग्रह वास्तव में हिंदी-उर्दू का मिलन और गंगा-जमुना के संगम जैसा भाव देता है। राज्यपाल ने कहा कि नूर अमरोहवी ने अमेरिका में रहते हुए अपने संग्रह में दोनों भाषाओं को बराबर न्याय देने का सराहनीय प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भाषाएं लोगों को एक-दूसरे से जोड़ती हैं। राम नाईक ने कहा कि गजल संग्रह का शीर्षक अत्यंत दिलचस्प है, क्योंकि ‘दुआएं’ वास्तव में काम आती हैं और नूर अमरोहवी का संग्रह को माता-पिता को समर्पित करने का मतलब है कि यह पूरी दुनिया को समर्पित है। उन्होंने कहा कि जीवन में माँ-बाप बहुत बड़ी नियामत हैं।
राज्यपाल ने बताया कि महाराष्ट्र में 80 वर्ष पुराने दैनिक ‘सकाल’ में प्रकाशित मराठी भाषा में उनके लेखों के संग्रह को पुस्तक का रूप देकर ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का नाम दिया गया है, मूल पुस्तक का अब तक हिंदी, उर्दू, गुजराती, अंग्रेजी और संस्कृत में अनुवाद किया जा चुका है, सिंधी, अरबी, फारसी का अनुवाद भी शीघ्र पूरा होगा। उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि नूर अमरोहवी की पुस्तक का लोकार्पण लखनऊ में हो रहा है और मेरी पुस्तक के जर्मन अनुवाद का लोकार्पण लंदन और बर्लिन में प्रस्तावित है। अमरोहा से आए नासिर अमरोहवी ने राज्यपाल को अपनी पुस्तक ‘तारीख-ए-अमरोहा’ भेंट की। पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में पूर्व विधानपरिषद सदस्य सिराज मेंहदी, राज्यपाल के प्रमुख सचिव हेमंत राव, अनीस अंसारी, असलम बकाई, सर्वेश अस्थाना, निकहत नसीम, चरन सिंह बशर, हसन काज़मी, शबीना अदीब, शायर और साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।