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'विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की बड़ी भूमिका'

'एशियाई देशों के लिए लागत विश्‍लेषण एक बड़ी चुनौती'

लागत लेखा की प्रकृति पूर्णतया वैश्विक-पीयूष गोयल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 30 June 2018 02:52:10 PM

piyush goyal

नई दिल्ली। केंद्रीय रेल, कोयला, वित्त और कॉर्पोरेट मामले मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं और राजनीति में भारत की बढ़ती भूमिका इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि भारत ने इस सप्‍ताह मुंबई में एशियाई बुनियादी ढांचा और निवेश बैंक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की और अब दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ का अंतर्राष्ट्रीय सम्‍मेलन आयोजित करने जा रहा है। उन्होंने यह बात भारतीय लागत लेखाकार संस्‍थान के दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ के अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन 2018 को संबोधित करते हुए कही। उन्‍होंने कहा कि साहसी नए विश्‍व में आगामी चुनौतियों से निपटने के लिए एशियाई देशों को एक टीम के रूपमें कार्य करने की आवश्‍यता है। उन्होंने कहा कि लागत लेखा के तौरपर विश्‍व छोटा हो रहा है और लागत लेखा की प्रकृति पूर्णतया वैश्विक है।
वित्त और कॉर्पोरेट मामले मंत्री पीयूष गोयल ने लागत लेखा के महत्‍व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे कंपनियों की स्‍थापना और शासन में महत्‍वपूर्ण सुधार किया जा सकता है, क्‍योंकि प्रतिस्‍पर्धा के लिए गुणवत्‍ता से समझौता किए बगैर लागत कम करना आवश्‍यक है, इसके लिए योजना बनाने और निरंतर माल की आपूर्ति करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिस संगठन में लागत विश्‍लेषण न हो वह आज के चुनौती भरे विश्‍व में सफल नहीं हो सकता, दिन प्रतिदिन बदलते लागत परिदृश्‍यों से ये और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए निरंतरता महत्‍वपूर्ण है और लागत को कम कर निरंतरता हासिल की जा सकती है, इसके अलावा लागत से निष्‍पक्ष प्रतिस्‍पर्धा सुनिश्चित की जा सकती है। पीयूष गोयल ने देश की आबादी और पैमाने को देखते हुए माल और सेवा कर कार्यांवयन में चुनौ‍तियों के बारे में बताते हुए कहा कि सरकार लागत को समझे बगैर यह कार्य नहीं कर सकती थी, सभी प्रकार के सुधारों के लिए लागत महत्‍वपूर्ण है।
केंद्रीय विधि और न्‍याय एवं कॉरपोरेट मामले राज्‍यमंत्री पीपी चौधरी ने सम्‍मेलन में जनता के हित में लागत मानकों और तरीकों के बीच तालमेल बनाने का आग्रह किया। उन्‍होंने कहा कि इससे हमारी स्थिति मजबूत होती है और हम विकास की ओर अग्रसर होते हैं। पीपी चौधरी ने कहा कि दक्षिण एशियाई लागत परिसंघ के सभी देश विकासशील अर्थव्‍यवस्‍थाएं हैं, इसलिए हमें अपने सकल घरेलू उत्‍पाद को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि करोड़ों गरीबों को राहत मिल सके। उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है, जब कारोबार प्रतिस्‍पर्धी और लेखाकार सुदृढ़ हो, क्‍योंकि कारोबार तभी तेजी से फलता फूलता है जब इसकी नींव मजबूत होती है। पीपी चौधरी ने कहा कि लेखाकारों की भूमिका केवल लेखाकार, ऑडिटर या कर विशेषज्ञ तक ही सीमित नहीं होती है, बल्कि कॉरपोरेट वित्‍त, निवेश बैंकिंग, कोष प्रबंधन, ऋण विश्‍लेषण, पूंजी बाजार, मध्‍यस्‍थता, जोखिम प्रबंधन, कारोबार का मूल्‍यांकन और दिवाला जैसे अन्‍य महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में भी उनका महत्‍व बढ़ा है।
सम्मेलन का विषय ‘भावी पेशेवर: 2018 और उससे आगे पर विचार’ था, जो विकास की राह में आने वाली पेशेवर चुनौतियों और अवसरों पर बल देता है। डिजिटीकरण की चुनौती ने पेशेवर सेवा क्षेत्र को अपनी आंतरिक संरचना के बारे में दोबारा सोचने को मजबूर किया और जिसके परिणामस्‍वरूप बढ़ते डिजि‍टीकरण के कारण सेवाओं की बेहतर आपूर्ति हुई है और अधिकतम लाभ मिला है, लेकिन यह भी सोचने की आवश्‍यकता है कि स्‍वचालन से रोज़गार पर प्रभाव पड़ेगा और कुल मिलाकर कार्यबल की संरचना भी बदल रही है। डिजिटल युग की मांगों को पूरा करने के लिए केवल नई तकनीक लागू करने की बजाय सही अर्थों में डिजिटल करोबार में परिवर्तित होना आवश्‍यक है। भारतीय लागत लेखाकार संस्‍थान एक स्‍वायत्‍त निकाय है, जिसकी स्‍थापना संसद अधिनियम के अंतर्गत वर्ष 1959 में की गई थी। वर्ष 1984 में दक्षिण एशियाई लेखाकार परिसंघ का गठन किया गया था। इसका गठन दक्षिण एशियाई क्षेत्र में पेशेवर लेखाकारों की सहायता और लेखा जगत में उनके महत्‍व को कायम रखने के उद्देश्‍य से किया गया था। एसएएफए सार्क का शीर्ष निकाय है।

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