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'दुनियाभर में ड्रग माफियाओं का दुष्प्रभाव'

'मानवीय संसाधनों व लोककल्याण में नशा एक चुनौती'

राष्ट्रपति ने दिए एंटी ड्रग मूवमेंट एम्बेसडरों को पुरस्कार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 26 June 2018 05:21:58 PM

ramnath kovind presenting the national awards

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के मादक द्रव्य एवं अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस पर विज्ञान भवन दिल्ली में हुए कार्यक्रम में मद्यपान और मादक पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए व्यक्तियों एवं संस्थानों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान ‌किए। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर बताया कि मादक पदार्थों के दुरुपयोग की चुनौती के कारण दिसंबर 1987 में संयुक्तराष्ट्र महासभा में 26 जून को मादक पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूपमें मनाने का निर्णय लिया गया था। रामनाथ कोविंद ने कहा कि यह पूरे विश्व समुदाय का इस समस्या के विरुद्ध एक सामूहिक संकल्प है और भारत की आबादी और भौगोलिक स्थिति के कारण इस विश्व संकल्प में हमारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में मद्यपान एवं मादक पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम के क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले सभी व्यक्ति और संस्थाएं एंटी ड्रग मूवमेंट में हमारे एंबेसडर हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने समाज को नशामुक्त बनाने के लिए पंचायतीराज संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों, ग़ैर सरकारी संस्थाओं, कम्यूनिटी बेस्ड ऑर्गनाइजेशन्स, शोध संस्थानों, जागरुकता बढ़ाने में तत्पर संस्थाओं, व्यक्तिगत स्तरपर योगदान देने वाले विशेषज्ञों और सामान्य नागरिकों को इस भागीदारी के लिए प्रेरित करने हेतु सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्व इतिहास में दूसरे देशों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए वहां नशीले पौधों की खेती कराने और वहां के समाज में नशा करने वालों की तादाद बढ़ाने के अप्रिय उदाहरण मिलते हैं एवं आज भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘ड्रग माफिया’ के दुष्प्रभाव के बारे में पूरा विश्व समुदाय चिंतित रहता है। राष्ट्रपति ने कहा कि मादक पदार्थ पैदा करने वाले म्यांमार, लाओस, थाईलैंड के ‘गोल्डन ट्राएंगल’ और ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान के ‘गोल्डन क्रेसेंट’ कहे जाने वाले क्षेत्रों के बीच भारत की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति के कारण हमारे लिए यह समस्या और भी जटिल हो जाती है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में नशीले पदार्थों की तस्करी के कारण इनके दुरुपयोग में बढ़ोतरी के साथ-साथ आतंकवाद और राजनीतिक अशांति की समस्याएं भी जुड़ जाती हैं, इसीलिए पंजाब और मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्यों में और भी अधिक सतर्कता और निरंतर प्रयासरत रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों और शराब के व्यसन की समस्या व्यक्ति, परिवार और समाज को स्वास्थ्य, संस्कृति, विकास और राजनीति सहित अनेक क्षेत्रों में प्रभावित करती है, यह समस्या ग़रीबी को बढ़ावा देने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, देश के मानवीय संसाधनों और लोककल्याण के लिए एक चुनौती है। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान के अनुच्छेद 47 में भी प्रावधान किया गया है कि ‘राज्य मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक औषधियों के उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।’ रामनाथ कोविंद ने कहा कि इस समस्या का सामना करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और राष्ट्रीय अधिनियम एवं नीतियां लागू हैं, परंतु प्रभावी समाधान के लिए समाज और समुदायों की सक्रिय भागीदारी होना आवश्यक है एवं समाज की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने में इन राष्ट्रीय पुरस्कारों की विशेष भूमिका है।
रामनाथ कोविंद ने कहा कि अवैध मादक पदार्थों के दुरुपयोग से स्वास्थ्य संबंधित भारी चुनौतियां पैदा हो रही हैं, खासकर युवा पीढ़ी और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर इस खतरे का अधिक बुरा असर पड़ता है, अक्सर युवा एवं बच्चे साथियों के दबाव में अवैध मादक पदार्थों का दुरुपयोग शुरू कर देते हैं, प्राय: ऐसे युवाओं में इन पदार्थों से होने वाली हानि के बारे में जागरुकता भी नहीं होती है। राष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक और आर्थिक वातावरण में हो रहे निरंतर बदलाव तथा हर क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण युवावर्ग में मनोरोगियों की संख्या भी बढ़ी है और मादक पदार्थों तथा मद्यपान का प्रचलन भी, इसीलिए इस समस्या के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समाधान उतने ही ज़रूरी हैं, जितने कानून और चिकित्सा के उपाय। उन्होंने कहा कि नशाग्रस्त युवाओं की प्रभावी नशामुक्ति के लिए उन्हें सार्थक रूपसे रोज़गारयुक्त बनाकर समाज के साथ जोड़ने की जरूरत है। रामनाथ कोविंद ने कहा कि नशीले पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या को जागरुकता, रोकथाम की जानकारी, प्रोत्साहन तथा समर्थन के प्रयासों से हल किया जा सकता है, इन प्रयासों में नशाप्रभावित लोगों के प्रति करुणा और सहानुभूति भी आवश्यक है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि माता-पिता, शिक्षकों, चिकित्सकों, स्थानीय और स्वैच्छिक संस्थाओं के लोगों को ट्रेनिंग देकर नशामुक्ति के लिए चिकित्सा और पुनर्वास के प्रयासों में बड़े पैमाने पर शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्र सरकार ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस’ के माध्यम से शिक्षण संस्थानों में जागरुकता बढ़ाने का कार्य कर रही है, इन प्रयासों में एनएसएस और स्पिक-मैके जैसी संस्थाओं का सहयोग लिया गया है, नशामुक्ति के लिए रेडियो पर एक शिक्षाप्रद और प्रेरक कार्यक्रम प्रसारित हो रहा है, लगभग चार सौ नशामुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं और भी अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि इन प्रयासों को और बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए देश से ऐसे पदार्थों और मद्यपान के व्यसन से अपने समाज और देश को मुक्त कराने का हम सभी संकल्प करें और ऐसे प्रयासों एवं बेहतर भागीदारी के बलपर हम मद्यपान और मादक पदार्थों के दुरुपयोग से मुक्त भारत के सपने को अवश्य साकार कर सकेंगे। कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर, रामदास अठावले, विजय सांपला, राज्य सरकार के अधिकारी, गैर सरकारी संगठन, इस क्षेत्र में कार्य करने वाले राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अधिकारी, महाविद्यालयों, विद्यालयों के छात्र, पेशेवर एवं विशेषज्ञ और अर्ध सैन्यबल के कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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