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बाल यौन शोषण समस्या का स्वरूप गंभीर!

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की परामर्श बैठक

इंटरनेट पर पोर्न फिल्में भी समाज के लिए बड़ी समस्या

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 27 April 2018 03:43:50 PM

national child rights protection commission

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने बाल यौन उत्पीड़न रोकने के लिए निवारण कार्यनीति के विकास पर परामर्श बैठक का आयोजन किया, जिसकी अध्यक्षता एनसीपीसीआर के अध्यक्ष स्तुति काकेर ने की। उन्होंने बच्चों के यौन उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जाहिर की। परामर्श बैठक में यह सिफारिश की गई कि बाल यौन उत्पीड़न और इसकी वजह से बाल अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ राष्ट्रीय स्तरपर ग्रामीण और शहरी इलाकों में एक समग्र और सर्वांगीण अभियान चलाया जाना चाहिए। एनसीपीसीआर ने बाल यौन उत्पीड़न निवारण उपायों के लिए बड़े स्तर पर सुझाव मांगे थे, 153 सुझाव आए, जिनमें 70 सुझाव में जागरुकता की बात कही गई है। एनसीपीसीआर ने इस समस्या के निवारण के लिए और भी सुझाव आमंत्रित किए हैं।
बाल यौन उत्पीड़न कानूनी, सामाजिक, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक प्रभाव वाली एक बहुआयामी समस्या है, इससे बचने के उपायों में बच्चों एवं आम लोगों में जागरुकता, माता-पिता को अपने बच्चों के साथ सतर्क, उत्तरदायी, दोस्ताना और अभिव्यक्तिशील होना और इन मुद्दों को लेकर बच्चों को शिक्षित करना शामिल हैं, इसके साथ ही इस तरह के अपराधों के प्रति कानून के कठोरता से क्रियांवयन में कोई कोताही नहीं बरतनी जानी चाहिए। परामर्श बैठक में एनसीपीसीआर के सदस्य यशवंत जैन, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ राजेश सागर, मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरू और चेन्नई में काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
गौरतलब है कि विकसित देशों में भी यह समस्या बहुत गंभीर है, जिसमें बड़े-बड़े समूह शामिल हैं। इंटरनेट पर पोर्न साइट एक ऐसी समस्या है, जिसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं है और जिससे बच्चे प्रभावित हुए बिना नहीं रहते हैं। सबसे खतरनाक तथ्य यह है कि इंटरनेट पर बच्चों की पॉर्न फिल्मों की भरमार है और भारत के बच्चों में यह समस्या आभिजात्य वर्ग से चली है और मध्यम और निम्न वर्ग में वायरस की तरह फैल रही है। एक अध्ययन में पाया गया है कि कॉवेंट स्कूलों में इसका ज्यादा प्रभाव देखा गया है और बच्चों पर कार्य करने वाले स्वयंसेवी समूहों के कुछ लोग भी इसमें संलिप्त पाए गए हैं। शिक्षाविहीन बच्चों में यह उभरती उम्र से ही भयानक स्वरूपमें विकसित हो रही है, क्योंकि वहां इन बच्चों को इसके खिलाफ प्रेरणा का बड़ा अभाव है, इसका एक कारण यह भी है कि कम उम्र में ही शादी हो जाती है और लोग बच्चों को बरगलाने में सफल हो जाते हैं।

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