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'भारत के रक्षा सहयोग प्रयास और सशक्‍त'

चीन के पेइचिंग में एससीओ के रक्षामंत्रियों की बैठक

'आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्‍त नहीं की नीति'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 25 April 2018 03:02:08 PM

defense ministers meeting of sco

पेइचिंग/ नई दिल्ली। भारत, पहलीबार शंघाई सहयोग संगठन के रक्षामं‍त्रियों की बैठक में भाग ले रहा है। एससीओ के रक्षामंत्रियों की यह बैठक चीन के पेइचिंग में हुई, जिसमें भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने यूरेशिया क्षेत्र के साथ व्‍यापक साझेदारी बढ़ाने की भारत की इच्‍छा व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा कि इस प्रक्रिया में भारत, रूस के साथ अपने परस्‍पर गहरे विश्‍वास और दीर्घकालिक संबंधों, मध्य एशियाई देशों के साथ जीवंत ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों, चीन के साथ विकास साझेदारी और एससीओ के सभी सदस्‍य देशों के साथ अपने रिश्‍तों को और प्रगाढ़ बनाना चाहता है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि आने वाले समय में भारत क्षेत्र के देशों के साथ अपने दीर्घकालिक आत्‍मीय संबंधों में नई जान फूंकने के लिए सएसीओ के सदस्‍य देशों के साथ मिलकर काम करेगा। उन्‍होंने कहा कि भारत इन देशों के साथ आर्थिक, व्‍यापारिक और सांस्‍कृतिक सहयोग के साथ ही रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मामलों पर लाभकारी चर्चाओं के लिए सशक्‍त वार्ताओं और ठोस पहल पर आधारित प्रगतिशील साझेदारी चाहता है।
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने क्षेत्र के साथ ही व्‍यापक अंतर्राष्‍ट्रीय परिप्रेक्ष्‍य में भी एससीओ के सदस्‍य देशों से परस्‍पर संपर्क बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्‍होंने कहा कि स्‍थायित्‍व और शांति की दिशा में प्रगति के साथ ही दुनिया के शक्तिशाली देशों के बीच मौजूदा तनाव को खत्‍म करने और इसकी वजह से क्षेत्र के लिए किसी तरह का संकट पैदा होने से रोकने के लिए यह बेहद जरूरी है। रक्षामंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्‍करी तथा अंतर्राष्‍ट्रीय अपराधों जैसी क्षेत्र के समक्ष मौजूद समस्‍याओं से निपटने के लिए परस्‍पर सहयोग की एक ऐसी रूपरेखा तैयार करनी होगी, जिसमें सभी देशों और पक्षों की भागीदारी हो। उन्‍होंने कहा कि खासतौर से सीमापार आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए ऐसा करना बेहद जरूरी है। रक्षामंत्री ने कहा कि हमारे शांतिपूर्ण समाज के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय आतंकवाद आज सबसे बड़ा खतरा है, आतंकवाद हमारी विकास गतिविधियों को बाधित करने के साथ ही हमारे देशों के भीतर और अंतर्राष्‍ट्रीय सीमाओं पर लगातार अस्थिरता की स्थितियां पैदा करता है। उन्‍होंने सदस्‍य देशों से आतंकवाद के खिलाफ कतई बर्दाश्‍त नहीं की नीति अपनाने के लिए परस्‍पर सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।
रक्षामंत्री ने कहा कि अपने राजनीतिक हित साधने के लिए आतंकवादी समूहों और संगठनों को साधनों या अन्‍य तरह की मदद की नीति अब बर्दाश्‍त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत इसके लिए ताशकंद में एससीओ क्षेत्रीय आतंकरोधी व्‍यवस्‍था को अपना सक्रिय सहयोग जारी रखेगा। उन्‍होंने इस संदर्भ में अफगानिस्‍तान का जिक्र करते हुए कहा कि एक स्थिर, सुरक्षित और शांतिपूर्ण अफगानिस्‍तान के लिए सभी सदस्‍य देशों को मिलकर काम करना चाहिए। उन्‍होंने हाल में काबुल में हुए आतंकवादी हमले की कड़े शब्‍दों में निंदा की और कहा कि अफगानिस्‍तान में लगातार बने आतंकवादी खतरे से निपटने के लिए एससीओ के सदस्‍य देशों को सहयोग बढ़ाना चाहिए, क्‍योंकि ऐसा क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए बेहद जरूरी है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत अफगानिस्‍तान में स्‍थायि‍त्‍व लाने तथा उसकी अर्थव्‍यवस्‍था और राजनीतिक प्रणाली दुरुस्‍त करने के लिए हरसंभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्‍होंने कहा कि इस प्रक्रिया में अफगानिस्‍तान की सेना को सक्षम बनाने के लिए दी जाने वाली मदद भी शामिल है, इसके लिए भारत अफगानिस्‍तान तथा अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय की आवश्‍यकताओं के अनुरूप काम करेगा।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सशस्‍त्र सेनाओं के बीच परस्‍पर सहयोग में वृद्धि एससीओ का एक महत्‍वपूर्ण घटक होने के कारण भारत इस क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमताओं का इस्‍तेमाल करना चाहता है। उन्‍होंने कहा कि इस क्रम में भारत एससीओ फ्रेमवर्क के तहत रक्षा सहयोग से जुड़े सभी मामलों में खुले और सकारात्‍मक सोच के साथ भाग लेना चाहेगा। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि हम रक्षा क्षेत्र में अधिक सहयोग का समर्थन करने के लिए एससीओ के रक्षामंत्रियों की बैठक के तहत एक विशेषज्ञ कार्य समूह तंत्र स्थापित करने के फैसले का स्‍वागत करते हैं। उन्‍होंने कहा कि एससीओ ढांचे में रक्षा सहयोग के लिए हमारी साझा आवश्यकताओं और उद्देश्यों को पूरा करने के लिए ईडब्ल्यूजी तंत्र को सर्वोत्तम तरीके से कैसे विकसित किया जा सकता है, इस बारे में और चर्चा की आवश्यकता है। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत ने पहले से ही इस बैठक में रक्षा भागीदारी को आगे बढ़ाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाए हैं, जैसाकि इस मंत्रिस्तरीय बैठक में हमारी पहली उपस्थिति और शांति के लिए फैनफेयर फॉर मिलिटरी टैटू में भारतीय सेना बैंड की भागीदारी में दर्शाया गया है। उन्‍होंने कहा कि हम 2017-18 के दौरान एससीओ की निर्धारित रक्षा सहयोग गतिविधियों में भाग लेंगे और आने वाले समय में एससीओ से जुड़ी ऐसी और गतिवि‍धियों में शामिल होने की संभावनाएं तलाशेंगे।
रक्षामंत्री ने कहा कि भारत इस साल के आखिर में रूस में होने वाले एससीओ के संयुक्‍त शांति सैन्‍य अभ्‍यास में भाग लेगा। उन्‍होंने कहा कि भारत सहित एससीओ के कई सदस्‍य देशों के साथ भारत का मजबूत रक्षा सहयोग है, ऐसे में उन्‍हें उम्‍मीद है कि एससीओ फ्रेमवर्क के तहत क्षेत्र के देशों के साथ भारत के रक्षा सहयोग के प्रयास और सशक्‍त बनेंगे। पारस्परिक विचार-विमर्श, स्थायित्व और लाभों को साझा करने के माध्‍यम से क्षेत्रीय परिवहन और संचार नेटवर्क को बेहतर बनाने के महत्‍व को स्‍वीकार करते हुए रक्षामंत्री ने कहा कि यह रूस के उत्तरी क्षेत्रों से हिंद महासागर के किनारे तक फैले इलाकों में भौतिक और डिज़िटल स्‍तर पर एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर सकता है। उन्‍होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन ऐसी पहल करते समय सभी देशों की संप्रभुता और अखंडता को ध्यान में रखना भी जरूरी होगा।

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