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कैलाश मानसरोवर की यात्रा अपने बूते करें!

भारत सरकार केवल सीमित बुनियादी सुविधा देती है

सरकार ने जारी की मानसरोवर यात्रा एकवाईजरी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 3 March 2018 02:10:59 PM

kailash mansarovar

नई दिल्ली। भारतीय विदेश मंत्रालय प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा और सिक्किम के नाथु-ला दर्रा से कैलाश यात्रा का आयोजन करता है। कैलाश मानसरोवर की यात्रा धार्मिक मूल्यों और सांस्कृतिक महत्व के कारण जानी जाती है। हर साल सैकड़ों यात्री इस तीर्थयात्रा पर जाते हैं। भगवान शिव के निवास के रूपमें हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ इसका जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए भी बड़ा धार्मिक महत्व है। यह तीर्थ यात्रा उन पात्र भारतीय नागरिकों के लिए खुली है, जो वैध भारतीय पासपोर्टधारक हैं और धार्मिक प्रयोजन से कैलाश मानसरोवर जाना चाहते हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय यात्रियों को किसी भी प्रकार की आर्थिक इमदाद अथवा वित्तीय सहायता प्रदान नहीं करता है। कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए 23 मार्च 2018 से ऑनलाइन आवेदन किए जा सकेंगे।
कैलाश मानसरोवर यात्रा के यात्रियों को यात्रा से पूर्व तैयारियों और चिकित्सा जांच के लिए दिल्ली में 3 या 4 दिन तक रुकना पड़ सकता है। दिल्ली सरकार केवल यात्रियों के लिए साझातौर पर खान-पान और ठहरने की सुविधाओं का निःशुल्क प्रबंध करती है, यात्री यदि चाहे तो दिल्ली में खान-पान और ठहरने की अपनी व्यवस्था कर सकते हैं। आवेदक ऑनलाइन पंजीकरण करने के पूर्व अपनी सेहत और तंदुरुस्ती की स्थिति सुनिश्चित करने के लिए कुछ बुनियादी जांच कर सकते हैं, तथापि यह जांच यात्रा से पहले दिल्ली में डीएचएलआई और आईटीबीपी द्वारा की जाने वाली चिकित्सा जांचों के लिए वैध नहीं होगी। परामर्श दिया गया है कि इस यात्रा में प्रतिकूल हालात जैसे अत्यंत खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई चढ़नी होती है और यह उन लोगों के लिए जोखिम भरा हो सकता है जो शारीरिक और चिकित्सा की दृष्टि से तंदुरुस्त नहीं हैं।
मानसरोवर यात्रा कार्यक्रम अनंतिम है और उसमें शामिल स्थानों की यात्रा किसी भी समय स्थानीय हालात के अधीन है। भारत सरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण अथवा किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु अथवा उसके जख्मी होने अथवा उसकी संपत्ति के खोने अथवा क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदारी नहीं लेती है। तीर्थयात्री यह यात्रा पूरी तरह से अपनी इच्छाशक्ति के बल पर तथा खर्च, जोखिम और परिणामों से अवगत होकर करते हैं। किसी तीर्थयात्री की सीमा पार मृत्यु हो जाने पर सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाहसंस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता भी नहीं है, इसलिए मृत्यु के मामले में चीन में पार्थिव शरीर के अंतिम संस्कार के लिए सभी तीर्थ यात्रियों को एक सहमति प्रपत्र पर हस्ताक्षर करना होता है।
मानसरोवर तीर्थ यात्रा उत्तराखंड, दिल्ली और सिक्किम राज्य की सरकारों और भारत तिब्बत सीमा पुलिस के सहयोग से आयोजित की जाती है। कुमाऊं मंडल विकास निगम, सिक्किम पर्यटन विकास निगम तथा उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के हर जत्थे के लिए सम्भारगत सहायता और सुविधाएं मुहैया कराते हैं। दिल्ली हार्ट एवं लंग इंस्टीट्यूट इस यात्रा के लिए आवेदकों के स्वास्थ्य स्तरों के निर्धारण के लिए चिकित्सा जांच करता है। मंत्रालय ने इस यात्रा के आयोजन के लिए किसी अन्य गैरसरकारी संगठन, स्वैच्छिक संगठन अथवा व्यक्ति को किसी भी प्रयोजन के लिए अथवा किसी भी तरीके से शामिल नहीं किया है। ऐसे संगठन अथवा व्यक्ति द्वारा संयोजन का कोई दावा उनका अपना है और विदेश मंत्रालय का इस संबंध में कोई दायित्व नहीं है। कैलाश मानसरोवर यात्रा की वेबसाइट की विषय वस्तु पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना सभी दावे विवाद और मतभेद केवल दिल्ली स्थित न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के अधीन होते हैं।

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