स्वतंत्र आवाज़
word map

लेखा गलती मुक्‍त होना चाहिए-वित्तमंत्री

लेखा विभाग में कोई ग़लती स्‍वीकार्य नहीं हो सकती

राष्‍ट्रीय राजधानी में सिविल लेखा दिवस समारोह

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 3 March 2018 01:56:34 PM

civil account day celebration

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त तथा कार्पोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय सिविल लेखा सेवा अधिकारियों से कहा है कि सरकार की अपनी लेखा पद्धति की प्रतिबद्धता पर कभी भी कोई सवाल नहीं उठना चाहिए। राष्‍ट्रीय राजधानी में 42वें सिविल लेखा दिवस समारोह में उद्घाटन भाषण में वित्तमंत्री ने कहा कि जहां सरकारी विभाग पर्याप्‍त शुद्धता से काम कर सकते हैं, वहीं लेखा विभाग ऐसा है, जिसमें कोई गलती स्‍वीकार्य नहीं हो सकती, क्‍योंकि एक छोटी सी गलती गहरी समस्या छोड़ सकती है। उन्‍होंने कहा कि लेखा ग़लती मुक्‍त होना चाहिए, क्‍योंकि सरकार सार्वजनिक वित्त की स्थिति से राष्‍ट्र को अवगत कराती है। वित्तमंत्री ने कहा कि काम की शुचिता महत्‍वपूर्ण है तथा इसमें उच्‍च दर्जे की कुशलता होती है जो सरकार की निष्‍ठा बढ़ाती है। उन्‍होंने कहा कि लेखा प्रणाली पर कभी सवाल नहीं उठने चाहिएं, वह इस मामले में प्रसन्‍न हैं कि वर्षों से लेखा प्रणाली तथा संगठन की शुचिता और विश्‍वसनीयता बरकरार रखी गई है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने महालेखा नियंत्रक, संगठन तथा विशेष रूप से भारतीय सिविल लेखा सेवा द्वारा नियोजित प्रौद्योगिकी तथा उपकरणों के कारगर उपयोग की प्रशंसा की है, जिससे यह बदलाव संभव हो पाया है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के उपयोग से सरकार के प्रत्‍येक रुपए की गणना हो जाती है तथा इसकी निगरानी की जा सकती है, जिससे सरकार की समग्र कुशलता बढ़ती है तथा इससे सरकारी धन का कारगर उपयोग हो पाता है। वित्तमंत्री ने प्रसन्‍नता व्‍यक्‍त की कि लेखा प्रणाली जीएसटी नेटवर्क, भारतीय रिज़र्व बैंक तथा बैंकों के साथ पूर्णत: एकीकृत की गई है, जो सीजीएसटी, एसजीएसटी तथा आईजीएसटी आदि की वसूली संबंधी रिपोर्ट समय पर संकलित करने में महत्‍वपूर्ण संसाधन है। वित्तमंत्री ने इस पर भी संतोष व्‍यक्‍त किया कि भारतीय सिविल लेखा सेवा महत्‍वपूर्ण बदलाव लाने में सफल रही है तथा लेखाधिकारियों का सरकारी कामकाज में बदलाव लाने में महत्‍वपूर्ण योगदान है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पीएफएमएस के केंद्रीयकृत जीपी फंड मोड्यूल तथा पेंशन मामलों की शुरू से आखिर तक पूरी इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया के लिए पीएफएमएस के ईपीपीओ मोड्यूल का उद्घाटन भी किया। केंद्रीयकृत जीपीएफ मोड्यूल से केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की अद्वितीय कर्मचारी पहचान से जीपीएफ खाते तैयार करने की लंबे समय से की जा रही मांग पूरी हुई है, जिससे जीपीएफ अग्रिम तथा निकासी के ऑनलाइन आवेदन तथा कर्मचारी को उसके चालू जीपीएफ देय की ऑनलाइन जानकारी की सुविधा मिल पाई है। इस मोड्यूल से जीपीएफ लेखों तथा देयों का अंतरण सुचारू हो जाएगा, फिलहाल ईपीपीओ में पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्‍याण विभाग की भविष्‍य एप्‍लीकेशन तथा पेंशन की समेकित प्रक्रिया हेतु पीएफएमएस के साथ सीपीएओ की पारस एप्‍लीकेशन शामिल हैं, जिससे हाथ से किए जाने वाले काम में होने वाले विलंब तथा ग़लतियों से छुटकारा मिलेगा। इस अवसर पर अजय नारायण झा सचिव (व्‍यय) वित्त मंत्रालय, रजनीश कुमार अध्‍यक्ष भारतीय स्‍टेट बैंक, एंथनी लियनजुआला महालेखा नियंत्रक (सीजीए) तथा वित्त मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी उपस्थित थे।
केंद्र सरकार ने 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में बहुत बड़े सुधार की पहल की थी। नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक को केंद्र सरकार के लेखे तैयार करने की जिम्‍मेदारी से मुक्‍त करने के लिए तभी लेखा परीक्षा तथा लेखा कार्य अलग कर दिए गए थे। लेखा कार्य सीधे कार्यकारी के नियंत्रणाधीन लाया गया, परिणामस्‍वरूप भारतीय सिविल लेखा सेवा की स्‍थापना की गई। आईसीएएस का गठन भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखा सेवा (आईए तथा एएस) में से प्रारम्‍भ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्‍य, शक्तियां तथा सेवा शर्तें) संशोधन अधिनियम 1976 में संशोधन के लिए अध्‍यादेश जारी करके किया गया। बाद में संसद में संघीय लेखा विभागीकरण (कार्मिक स्‍थानांतरण) अधिनियम 1976 पारित किया गया और 8 अप्रैल 1976 को राष्‍ट्रपति ने इसको अपनी स्‍वीकृति प्रदान की। अधिनियम 1 मार्च 1976 से लागू माना गया, तदनुसार आईसीएएस प्रति वर्ष 1 मार्च को सिविल लेखा दिवस के रूप में मनाता है। आईसीएएस के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक इसका बहुत विस्तार हुआ है और अब यह केंद्र सरकार की सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]