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'सरकार में 'ट्रैफिक क्लियरेंस' की जरूरत'

यूपी भाजपा अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय का साक्षात्कार

भाजपा और योगी सरकार पर 'हैवी ट्रैफिक' सवार

Tuesday 26 December 2017 12:09:50 AM

द‌िनेश्‍ा श्‍ार्मा

द‌िनेश्‍ा श्‍ार्मा

up bjp president mahendranath pandey

लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल के कद्दावर सदस्य रहे और संगठनात्मक क्षमताओं से दक्ष और भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय ने अपने अल्पकाल में ही राज्य के स्‍थानीय निकाय चुनावों में उल्लेखनीय सफलता अर्जित की है, जिससे उनकी उत्कृष्ट संगठनात्मक रणनीतियों को मान्यता मिली है। संयम, सहनशीलता और आत्मविश्वास से लबरेज़ दिखने वाले इस राजनेता में सदैव सच को स्वीकार करने और हर स्थिति में सभी से अत्यंत सहजभाव से मिलने और वार्तालाप करने का विशेष गुण देखा गया है। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से चले बनारस पहुंचे और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय जनता युवा मोर्चा से लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य फिर सांसद की राजनीति में निखरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में पहुंचे। सब तरफ अपने व्यक्तित्व और राजनीतिक क्षमताओं का परिचय देते हुए आज वे जहां हैं, वह राजनीति का एक श्रेष्ठ उत्तरदान माना जाता है।
भाजपा मुख्यालय लखनऊ पर अपने इस साक्षात्कार में उन्होंने मीडिया के कटीले सवालों से विचलित हुए बिना सहजभाव और आत्मविश्वास से समृद्ध उत्तर दिए। भाजपा में कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की अपेक्षाओं के हैवी ट्रैफिक, भाजपा के प्रचंड बहुमत की चुनौतियों पर हुए सवालों पर उन्होंने स्वीकार किया कि योगी सरकार के लिए हैवी ट्रैफिक का समय से क्लियरेंस बहुत जरूरी है। संगठित अपराध पर सरकार के कानून यूपीकोका में विपक्ष मीडिया की आज़ादी पर बहुत बोल रहा है, इसपर महेंद्रनाथ पांडेय से सवाल हुआ जिसपर वे कहते हैं कि वे स्वयं तो मीडिया के आभारी हैं ही, भाजपा भी मीडिया के सम्मान और उसके महत्व के प्रति अत्यंत संवेदनशील है। वे कहते हैं कि भाजपा के यहां ही मीडिया प्रबंधन का सम्मानजनक नेटवर्क स्‍थापित है। यकीनन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के इस दावे पर भरोसा तो होता है, क्योंकि लखनऊ में भाजपा मुख्यालय पर शानदार मीडिया प्रबंधन में इसकी झलक दिखाई भी पड़ती है। इस तरह भाजपा संगठन और सरकार से जुड़े कुछ विषयों पर उनसे कई सवाल-जवाब हुए-
आप संगठन और सरकार के बीच एक ब्रिज हैं, जिसपर 'हैवी ट्रैफिक' दिखाई दे रहा है, जिसका आप सामना कर रहे हैं, दूसरी तरफ 'मुख्यमंत्रीजी का ट्रैफिक' है, मगर वह भी अब आपकी ही ओर मुड़ रहा है, सवाल है कि वह कौनसा समय होगा, जब आप सरकार के 'हैवी ट्रैफिक' से कंफर्टेबल होंगे?
जनहित और समय महत्वपूर्ण
'हम लोग जनसमाज के बीच काम करने वाला देश और दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल हैं, यदि आप हैवी ट्रैफिक ज्यादा कार्यकर्ताओं की उपस्थिति, जनता की उपस्थिति, लोगों की अपेक्षाएं इस रूपमें लेते हैं तो किसी भी राजनीतिक दल के लिए कार्यकर्ताओं की अधिकता और भीड़ ये उसका श्रृंगार है, ये उसकी सबसे बड़ी संपत्ति है, हम तो सदा चाहेंगे कि यह संपत्ति बनी रहे, मुख्यमंत्री और जो हमारे मंत्री हैं, उनको जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय लेना है, उन्हें काम करना है, इसलिए अब उनके सामने का ट्रैफिक क्लियरेंस बहुत जरूरी है, जनहित में और समय से उनका कार्यसंपादन महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों की अपनी-अपनी परिस्थितियां और बड़ी जिम्मेदारियां हैं।'
आप जबसे उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बने हैं, देखा जा रहा है कि आपके सामने रोज सुबह से ही फरियादियों की भी लंबी लाइन होती है और हमने देखा है कि आपके सामने अधिकांश समस्याएं तहसील और थानों के स्तर की होती हैं, जिनका समाधान जिले में आसानी से हो सकता है, सरकार के डीएम एसपी को जनसमस्याओं के समाधान के साफ निर्देश भी हैं तो क्या कारण हैं कि आपके सामने क्राउड बहुत दिखाई पड़ रहा है, बल्कि उसकी संख्या बढ़ती जा रही है...
आबादी और अपेक्षाएं बहुत बढ़ीं
'इसके पीछे एक कारण ‌है कि देश-राज्य की आबादी बहुत बढ़ी है और दूसरी ओर अभी भी जनसमाज में एक तबका ऐसा है कि जिसकी अपेक्षा यह है कि हम किसी बड़े नेता के यहां जाएं तो हमारी समस्या का समाधान हो, जो एक नेचर है, हम संगठन के हैं और जनप्रतिनिधि हैं, जिसमें मेरा अनुभव है कि किसी भी गांव में जाइए तो एक तबका ऐसा मिलता है, जिसे लगता है कि जो बाबू आए हैं, वह हमारी समस्या का हल कर देंगे, जाहिर है कि उसका ज्ञापन मिलना स्वाभाविक है। भाजपा मुख्यालय पर या सरकार में जिलों से जो समस्याएं आती हैं, उनमें कुछ तो जैन्युन आती हैं, मगर ऐसा नहीं है कि जिलाधिकारी और एसपी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं, वे रोज मॉनीटरिंग कर रहे हैं, उनसे उच्चस्तर के अधिकारी भी उनसे उनके संबंध में पूछते हैं, लेकिन फिर भी कुछ को लगता है कि हमारी जो अपेक्षाएं हैं, यदि ऊपर चलें तो शायद वहां के दबाव से पूरी हो जाएं, कुछ ऐसी भी समस्याएं आती हैं, जिनका नीचे भी समाधान हो सकता है, उनमें अधिकांश समस्याएं वास्तव में न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा हैं, जमीनी झगड़े, जमीनी नाप-जोख, उनमें कहीं न कहीं न्यायिक प्रक्रिया को और समीक्षा करने की जरूरत है, जिससे कि ये मसले स्वाभाविक रूपसे जल्दी-जल्दी निपटते जाएं, इन मसलों पर मैं आपकी बात को बहुत गंभीरता से ले रहा हूं, हमारे सामने जो मसले आते हैं, उनमें साठ प्रतिशत जमीनी झगड़ों के ही होते हैं और ये समस्या कोई एक दिन की नहीं है और यूपी में बीजेपी की सरकार आने के बाद की समस्या भी नहीं है, ये लंबे अर्से की समस्या है, हमारे या ऊपर के स्तर से बस एक लाभ होता है कि कहीं कोई बहुत अनुचित हो रहा हो तो यहां से पत्र जाने पर उसपर संबंधित ऑफिसर का ध्यान चला जाता है और अनुचित काफी हद तक रुक जाता है, कुछ समस्याओं का शतप्रतिशत समाधान पूर्णतया संभव भी नहीं है।'
उत्तर प्रदेश में एक सत्तारूढ़ दल के प्रदेश अध्यक्ष के रूपमें अभी तक आपने कैसी चुनौतियों का सामना किया है और मुख्यमंत्रीजी से जब आपका संवाद होता है तो क्या आप बता पाएंगे कि किस प्रकार के विषय आपकी वार्ता में होते हैं?
निर्णय और समन्वय पर फोकस
'मेरी वार्ता मुख्यमंत्रीजी से होती है और जिस दिन से मैं भाजपा का अध्यक्ष हुआ हूं, मुख्यरूप से मेरा एक बात पर फोकस है और वो है निर्णय और समन्वय, मैं लगातार इसपर बल देता हूं और देता रहूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि जब हम चुनाव में जाते हैं तो हम जनता को भरोसा देते हैं और उस भरोसे पर भरोसा करके जनता हमारी सरकार चुनती है तो उस भरोसे के मुद्दों पर सरकार का ध्यान बना रहे, यह काम पार्टी का और उसकी इकाईयों का भी है कि सरकार जनता के हित में जो चीजें लाए और निर्णय ले, उनसे जनता को जागरुक करना है, जहां तक प्रशासन का सवाल है तो अधिकारी तंत्र के काम करने का भी एक ढर्रा होता है, कभी-कभी उसकी मनोस्थिति एक सैचुरेशन प्वाइंट पर होती है, वह प्वाइंट होता है कि हम पिछली सरकार में भी यही काम कर ही रहे थे, तो काम करने की यह एक आदत है, मगर कुछ ही विरले अधिकारी होते हैं, जिनके अंदर होता है कि मैं अपनी ड्यूटी को जस्टीफ़ाइड करूं, यहां से जाने के बाद लोग मेरी सेवाओं को लंबे अर्से तक याद करें, जहां वे रूटीन ढर्रे पर काम करते हैं, वहां केंद्र और राज्य सरकारों के अच्छे निर्णय भी उतनी तीव्र गति से क्रियांवित नहीं होते हैं, मैं मुख्यमंत्रीजी से जो चर्चाएं करता हूं, मेरा बल इन्हीं पर होता है कि कैसे हमारी इकाईयां नीचे काम कर रही हैं और जनता की समस्याएं नीचे से उठाकर अधिकारियों तक पहुंचा रही हैं, उनपर सरकार के निर्णयों का वास्तविक रूपसे नीचे तक अनुपालन हो रहा है कि नहीं, इसलिए आप अधिकारियों को ऐसा फोकस देते रहें कि जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बना रहे, मेरा दावा है कि अधिकारी यह एहसास कर रहे होंगे कि बीजेपी शासन में और अन्य पार्टियों के शासन में उन्हें मौलिक अंतर मिल रहा है, हमारे कार्यकर्ताओं का यह एजेंडा है कि गांव में लाभार्थियों को सरकार की जनसुविधाओं का लाभ मिल रहा है कि नहीं, हमारे कार्यकर्ताओं की इस जागरुकता को अधिकारी महसूस करते होंगे, इसलिए वे इस मौलिक अंतर को समझें कि जिस काम के लिए वे तनख्वाह पाते हैं, तमाम सुविधाएं पाते हैं, उसके क्रम में भाजपा उनको इनपुट दे रही है, उसका उपयोग करते हुए वे जनहित में काम करें, स्वस्‍थ्य लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है।'
उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास विधायकों का प्रचंड बहुमत है तो सामने कार्यकर्ताओं की सरकार और संगठन से अपेक्षाओं का बड़ा पहाड़ भी है, आप अपने कार्यकर्ता के मानसम्मान और अपेक्षाओं की रक्षा कैसे करेंगे, क्योंकि उसके मुख्य संपर्कतंत्र तहसील और थानों का ढर्रा नहीं बदला है, पटवारी तहसीलदार थानेदार सिपाही पर सरकार का कोई असर ही नहीं दिखता है...
...वो मेरे लिए मार्गदर्शक सिद्धांत!
'हम इसका समाधान क्रमशः एक सतत प्रक्रिया के जरिए करते जा रहे हैं, हमारा सौभाग्य है कि हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संगठन के माहिर अमित शाहजी ने एक जनप्रतिनिधि के रूपमें भी बहुत अच्छे काम किए हैं, आज भी वे जनप्रतिनिधि ही हैं, क्योंकि मैं आपको आज जो बोल रहा हूं, वो आजतक मैंने कभी किसी से नहीं बोला है, राष्ट्रीय अध्यक्षजी कुछ माह पूर्व यहां आए थे और उन्होंने जनप्रतिनिधियों और संगठन के लोगों के संग एक बैठक की थी, उसमें उन्होंने काफी कुछ प्वाइंट्स दिए थे, निर्देश दिए थे, मैने उन्हें अपने पास रखा है, वो मेरे लिए मार्गदर्शक सिद्धांत की तरह मेरे साथ हैं, यह मेरे प्रदेश अध्यक्ष होने के पहले का विषय है, मैं उन्हें प्राथमिकता देता हूं और उस आधार पर अपने अन्य दायित्वों का निर्वाह करते हुए जनअपेक्षाओं के मसलों के यथासंभव समाधान की पूरी कोशिश करता हूं और आगे करूंगा, हमारा यह भी सौभाग्य है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगीजी पूरी ऊर्जा से भरे हैं, उनका भी एक ट्रैक रिकॉर्ड है, एक एमपी के रूपमें बहुत ही जिम्मेवारी और निरंतर जनता की सेवा का है, वह और शासन का संतुलन दोनों कार्यों के संपादन का अनुभव है, संगठन का अनुभव प्लस संगठन की एक बहुत ही मजबूत टीम पूरे प्रदेश में काम कर रही है, सब मिलाकर हम अपेक्षाओं पर खरा उतर रहे हैं, खरा उतरेंगे, यह हम ही कर सकते हैं, भाजपा देश-दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, किसी और पार्टी में इतने बड़े सामर्थ्य के बाद सर फुटव्वल के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा, वहां कोई व्यवस्‍था है ही नहीं, जबकि हमारे यहां है और आगे आपको और भी सुंदर व्यवस्‍थाएं मिलेंगी।'
उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध के खिलाफ सरकार यूपीकोका कानून ला रही है, इसमें मीडिया कहां से आ गया, यह अनावश्यक विवाद है या वास्तव में इसे इसमें लाया गया है...विपक्ष ने तो मीडिया के कंधों पर बंदूक रख दी है और मुख्यमंत्री, मंत्रियों और भाजपा पर उसकी फायरिंग हो रही है...
भाजपा को मिली मीडिया से ताकत
'देखिए, यह वि‌वाद पूरी तरह अनावश्यक है, यूपीकोका से मीडिया कहीं भी प्रभावित नहीं है, हमारी पार्टी और हमारे राष्ट्रीय नेता मीडिया को पूरा का पूरा महत्व देते हैं, यहां तक कि मैं ये मानता हूं कि भारतीय राजनीति में मीडिया की निष्पक्षता ने भारतीय जनता पार्टी को हमेशा ताकत दी है, मीडिया से भाजपा को ताकत मिली है, वरना कांग्रेस की अराजकता, कांग्रेस के अहंकारी राज, कांग्रेस के आपातकाल में मीडिया पर जो दबाव था, कांग्रेस की जो मानसिकता है, कांग्रेस की जो सामंतवादी मानसिकता है, उसके खिलाफ अगर मीडिया न खड़ा हुआ होता, आपातकाल में अपने संपादकीय कालम को पूरी तरह खाली रखकर उसने अपने प्रतिरोध को न जाहिर किया होता तो बीजेपी को मजबूती कहां से मिलती? भाजपा मीडिया के महत्व और उसकी स्वतंत्रता के प्रति अत्यंत संवेदनशील है, बीजेपी तो मीडिया को सैद्धांतिक रूपसे इज्‍़जत देती है, उसकी निष्पक्षता को सम्मान देती है, हमारी आंतरिक टीम में शिक्षण और प्रशिक्षण में प्राथमिक रूपसे ही मीडिया के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना सिखाया जाता है, मैं गर्व के साथ कहता हूं कि भारतीय जनता पार्टी में मीडिया के संदर्भ में व्यवस्थित ट्रेनिंग का जितना यंत्रीकृत सिस्टम है, उतना देश के किसी भी राजनीतिक दल में नहीं है, यह तो विपक्ष है, जिसके अंदर यूपीकोका को लेकर घबराहट है, जिसकी राजनीति का मुख्य आधार ही अपराधतंत्र है, उसकी कमर तोड़ने के लिए यह कानून आ रहा है, इसी घबराहट में मीडिया का नाम लेकर विपक्ष के लोग ये सब अनाप-शनाप प्रचार कर रहे हैं।'
भाजपा मुख्यालय पर आपका यह छोटासा रूम है, इसको मैं वार रूम कहूं या इसे क्या नाम दूं, क्योंकि सुना गया है कि ऐसे ही छोटे से रूम में देश के बड़े-बड़े राजनीतिक फैसले हुए हैं, मोदीजी इससे भी छोटे रूम में रहा करते थे, चिंतन किया करते थे, मैं आपका चिंतन जानना चाहता हूं...
मेरे रूम को जनता का आर्शीवाद!
'मेरे उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के कार्यकाल की अभी तो शुरूआत ही है, (जोर से हंसते हुए) फिर भी मै इतना कह सकता हूं कि नगर निगम के मेयरों और स्‍थानीय निकायों के अध्यक्ष पदों के प्रत्याशियों के निर्णय लेने का यही रूम था और इस रूम से जो निर्णय गए, उत्तर प्रदेश की जनता ने उनको अपना सहर्ष आर्शीवाद दिया।'

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