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बजट प्राथमिकताओं का प्राकृतिक ब्‍यौरा-अंसारी

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Monday 18 February 2013 10:02:01 AM

तिरूवनंतपुरम। उप राष्‍ट्रपति एम हामिद अंसारी ने कहा है कि बजट सरकार के केवल वित्तीय आय और व्‍यय का ब्‍यौरा नहीं है, यह सरकारी नीतियों और अर्थव्‍यवस्‍था से जुड़ी प्राथमिकताओं के संबंध में एक महत्‍वपूर्ण प्राकृतिक ब्‍यौरा है। बजट देश या राज्‍य या पंचायत की अर्थव्‍यवस्‍था को परिलक्षित करता है तथा उस दिशा की और इंगित करता है, जिसमें मौजूदा सरकार इसे अपनी नीतियों और प्राथमिकताओं की ओर ले जाना चाहती है।
केरल के तिरूवनंतपुरम स्थित कोचिन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के केएम मणि सेंटर फॉर बजट स्‍टडीज़ के उद्घाटन के बाद उन्‍होंने कहा कि यह कर और उधार के जरिए राजस्‍व इकट्ठा करने हेतु सरकार की योजना को भी इंगित करता है। सरकार द्वारा संचालित वित्तीय संसाधनों का उपयोग अर्थव्‍यवस्‍था और सरकार के विभिन्‍न क्षेत्रों में किया जाता है। वित्तीय संसाधनों की सीमित प्रकृति के तहत बजट निर्माण बजटीय दबाव के तहत प्रतिस्‍पर्धी उद्देश्‍यों और सरकार की प्राथमिकताओं के बीच बेहतर संतुलन प्राप्‍त करने की एक प्रक्रिया है। उप राष्‍ट्रपति ने आशा व्‍यक्‍त की कि यह केंद्र सार्वजनिक वित्‍त अनुसंधान में एक नये अध्‍याय की शुरूआत करेगा।
उन्‍होंने कहा कि भारतीय संविधान में बजट शब्‍द का प्रयोग नहीं है, लेकिन यह वार्षिक वित्तीय ब्‍यौरे को इंगित करता है। अनुच्‍छेद 112 और 102 के अनुसार केंद्र सरकार और राज्‍य सरकारों को संवैधानिक रूप से बजट तैयार करने और उसे प्रस्‍तुत करने का अधिकार है। बजट निर्माण के तकनीकी और राजनीतिक पहलुओं में अनुसंधान और विश्‍लेषण के महत्‍व को इस बात से समझा जा सकता है कि केंद्र और राज्‍य सरकारों के अतिरिक्‍त लगभग 2.4 लाख स्‍थानीय स्‍वयं सरकारी निकायों जिनमें पंचायत और नगर पालिकाएं शामिल हैं, उनके वित्तीय सुलभता तथा सतता के लिए बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है। इस क्षेत्र में आधुनिक अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए वे काफी लाभकारी हो सकते है। विशेषकर उस समय में जब देश में बहुत सारे संस्‍थान बजट निर्माण और उसके प्रबंधन से संबंधित अध्‍ययन और अनुसंधान से नहीं जुड़े हो।

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