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जलवायु परिवर्तन से खेती पर बुरा प्रभाव

कॉरर्पोरेट जगत कृषि क्षेत्र के विकास में निवेश करे

फसल उत्पादकता में अगले वर्षों में भारी कमी

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Friday 18 December 2015 03:49:23 AM

radha mohan singh

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने किसानों के सशक्तीकरण और कल्याण हेतु नवीन प्रसार पद्धति विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कहा है कि पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों से जूझ रहा है और इसका असर कृषि पर भी पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन का अनुमान है कि जनसंख्या में हो रहे बदलाव के दृष्टिगत खाद्य उत्पादन 60 प्रतिशत की दर से बढ़ना चाहिए, जबकि जलवायु परिवर्तन पर गठित अंतराष्ट्रीय पैनल का अनुमान है कि 2050 तक फसल उत्पादकता में दस से बीस प्रतिशत तक की कमी आ सकती है और बढ़ता तापक्रम मछली उत्पादन में 40 प्रतिशत की कमी ला सकता है। उन्होंने कहा कि कृषि प्रसार से यह उम्मीद की जाती है कि ये उत्पादन, सुरक्षा, फसल कटाई के बाद बाजार, बीमा, ऋण एंव अन्य सूचनाएं जैसे कृषि निवेश, मौसम आदि के बारे में किसानों को नियमित रूप से सूचनाएं एवं सलाह प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि किसान स्थल पर जो सूचनाएं जाएं वे संयुक्त रूप से विचार-विर्मश कर उपलब्ध कराई जाएं।
राधामोहन सिंह ने कहा कि कृषि क्षेत्र का प्रदूषण चिंता का विषय है, जिसे दूर करने के लिए किसानों को जागरूक करना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कृषि प्रदूषण में जानवरों से दो तिहाई ग्रीन हाउस गैसों का और 70 प्रतिशत मिथेन गैसों का उत्सर्जन अधिक होता है, जिससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, इससे बचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कॉरर्पोरेट जगत को ग्रामीण क्षेत्र एवं कृषि विकास में अधिक योगदान देने की जरूरत है, जिससे सीमांत, गरीब एंव भूमिहीन किसानों की सामयिक मदद हो सके। तीन दिनों तक चलने वाली इस संगोष्ठी में गैर सरकारी क्षेत्र के अनेक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और कृषि क्षेत्र से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विचार-विर्मश करेंगे। राधामोहन सिंह ने कहा कि विभिन्न कारणों से मिट्टी अपनी गुणवत्ता खो रही है। मिट्टी में असंतुलित उर्वरकों का प्रयोग फसलों का उत्पादन अथवा फसल चक्र के लिए घातक है।
कृषिमंत्री ने कहा कि जोत घट रही है, इसलिए किसानों के लिए ऐसे माडल की जरूरत है, जिससे उनके परिवारों की खाद्य सुरक्षा, पोषण तत्वों की कमी के साथ-साथ नियमित रूप से आमदनी का स्रोत भी सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के अतिरिक्त पोषण सुरक्षा एक चिंता का विषय है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। कुपोषण की अज्ञानता भी बहुतायत क्षेत्रों में है, जबकि वर्तमान में जब विश्व का एक तिहाई उत्पादन प्रतिवर्ष नष्ट होता है, जोकि 200 करोड़ लोगों को एक वर्ष खाना खिलाने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि खाद्य उत्पादों का अधिकतक नुकसान उत्पादन के बाद कटाई, ढोने एवं भंडारण के समय देखने को मिलता है, यह नुकसान आर्थिक, पर्यावरण व सामाजिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है, क्योंकि विश्व में 80 करोड़ लोग भुखमरी से ग्रसित हैं, जबकि 200 करोड़ लोग कुपोषण से ग्रसित हैं, जिनमें आयरन, जिंक एवं विटामिन ए की कमी बहुतायत पाई जाती है। राधामोहन सिंह ने कहा कि कृषि प्रसार को 14 करोड़ कृषक परिवारों तक पहुंचाने के लिए संसाधन समिति हैं, इसलिए जो बहुत दिनों से लंबित मांग थी उसको पूरा करने के लिए किसान चैनल का शुभारंभ किया गया है।
राधामोहन सिंह ने कहा कि भारत में बहुआयामी प्रसाद प्रद्धति है, जो अभी भी सरकारी प्रसार पद्धति पर ही निर्भर है। हाल के वर्षों में कृषि विज्ञान केंद्रों ने नवीन तकनीकी को कृषकों तक पहुंचाने में सरहानीय कार्य किया है, जिसमें स्वायल हैल्थ कार्ड योजना के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता फैलाने में सफलता प्राप्त हुई है। राधामोहन सिंह ने कहा कि कृषि राज्य का विषय है एवं राज्य सरकारें स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न कार्यक्रमों को संचालित कर रही हैं और उन्हें केंद्र सरकार से विभिन्न योजनाओं में अनेक प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, स्वायल हैल्थ कार्ड योजना, राष्ट्रीय खादय सुरक्षा मिशन, परपंरागत कृषि विकास योजना, पूर्वी भारत में हरित क्रांति आदि कृषि को आने वाले दिनों सशक्त करने में विशेष योगदान देंगी। राधामोहन सिंह ने कहा कि किसानों के लिए प्रभावी बीमा योजना भी केंद्र सरकार जल्द लाने जा रही है, यह बिंदु प्रसार के कार्यक्षेत्र के अभिन्न अंग होने चाहिएं।

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