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बैंक हस्तशिल्प को बढ़ावा दें-राष्ट्रपति

राष्‍ट्रपति ने शिल्पकारों को दिए राष्ट्रीय पुरस्कार

भारत में हस्तशिल्पियों का उत्कृष्ट योगदान

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Friday 11 December 2015 02:38:53 AM

pranab mukherjee presenting the national award

नई दिल्ली। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2012, 2013 और 2014 के लिए उत्‍कृष्‍ट दक्ष शिल्‍पकारों को प्रतिष्‍ठित राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार और शिल्‍प गुरू पुरस्‍कार प्रदान किए। राष्‍ट्रपति ने पुरस्‍कार प्राप्‍त करने वाले उत्‍कृष्‍ट शिल्‍पकारों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्‍होंने देश की सांस्‍कृतिक विरासत को समृद्ध करने और भारतीय हस्‍तशिल्‍प परंपराओं के संवर्द्धन और संरक्षण में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बैंकों से हस्तशिल्प को आर्थिक प्रोत्साहन देने का अनुरोध करते हुए कहा कि भारत का स्‍वदेशी हस्‍तशिल्‍प हमारे जीवन का एक पोषित पहलू है, उनकी व्‍यापक श्रेणियां राष्‍ट्र की विविधता और अनंत रचनात्‍मकता को दर्शाती हैं। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि प्रत्‍येक भौगोलिक क्षेत्र और उप-क्षेत्र अपना व्‍यक्‍तिगत अंदाज और परंपरा रखता है, जो इसके समाज की प्राचीन जीवन-लय का आधार है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय शिल्‍पकारों ने सदियों से पत्‍थर और धातु, चंदन और मिट्टी को जीवंत बनाने के लिए अपनी स्‍वयं की तकनीकों, पद्धतियों को विकसित किया। उन्‍होंने बहुत सी शताब्‍दियों पहले ही अपने समय से आगे की पूर्ण वैज्ञानिक और अभियांत्रिकी प्रक्रियाओं को अपनाया। राष्‍ट्रपति ने कहा कि उनकी रचनाएं उनके समृद्ध ज्ञान और उच्‍च विकसित सौंदर्य बोध को प्रकट करती हैं। राष्‍ट्रपति ने कहा कि हस्‍तशिल्‍प मदों का उत्‍पादन ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करता है, हस्‍तशिल्‍प में न्‍यून पूंजी निवेश के साथ-साथ पर्यावरणीय संरक्षण को भी बढ़ावा मिलता है। राष्‍ट्रपति ने कहा कि गुरू शिष्‍य परंपरा हमारी पारंपरिक कलाओं और शिल्‍पों का असाधारण पहलू है। उत्‍कृष्‍ट शिल्‍पियों ने बेहद गरिमा के साथ इन कलाओं को अपनी उत्‍तरवर्ती पीढ़ियों को प्रदान किया।
प्रणब मुखर्जी ने गांधीजी का उद्धरण देते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि यदि हम अपने सात लाख गांवों को जीवंत बनाए रखना चाहते हैं और उनमें भिन्‍नता नहीं लाना चाहते तो हमें अपने गांव के हस्‍तशिल्‍प को जिंदा रखना होगा और यह सुनिश्‍चित करना चाहिए कि यदि हम इन शिल्‍पों को शैक्षिणिक माध्‍यम प्रदान करते हैं तो हम एक क्रांति ला सकते हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत के शिल्पियों के उत्कृष्ट योगदान की पहचान है, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अपने उत्पादों के माध्यम से भारत के लिए अपनी सृजनात्मकता को प्रस्तुत किया है। राष्ट्रपति ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले हस्तशिल्प समुदाय को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने भारतीय हस्तशिल्प परंपराओं के संरक्षण एवं संवर्धन में देश की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध बनाने में उनके अनूठे योगदान की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वदेशी हस्तशिल्प हमारी जीवन शैली के एक गौरवशाली पहलू हैं। स्वदेशी हस्तशिल्पों की व्यापक श्रृंखला हमारे देश की विविधता और असीम रचनाशीलता परिलक्षित करती है। प्रत्येक भौगोलिक क्षेत्र एवं उप क्षेत्र की अपनी विशिष्ट शैली और परंपरा है, जो हमारे समाज के प्राचीन जीवन-लयों से उत्पन्न होती है। उन्होंने कहा कि हमारे शिल्पकारों ने सदियों से अपनी खुद की, अकसर अनूठी प्रणाली और तकनीक विकसित की है और पत्थरों, धातुओं, चंदन की लकड़ियों और मिट्टी में जान फूंकी है। राष्ट्रपति ने कहा कि हस्तशिल्प वस्तुओं का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों को आजीविका का अवसर प्रदान करता है। हस्तशिल्प क्षेत्र में निम्न पूंजी लागत का उपयोग होता है तथा वे पर्यावरण संरक्षण में सहायता करते हैं, वे अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा अल्पसंख्यकों जैसे निर्बल वर्गों को भी अधिकारसम्पन्न बनाते हैं और इस प्रकार विकास को समावेशी और टिकाऊ बनाते हैं। हस्तशिल्प वस्तुओं का उत्पादन ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं के आर्थिक अधिकारिता के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है, इनमें बैंकों तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण की सरल सुविधा और घरेलू तथा विदेशी बाजारों में इन उत्पादों का संवर्धन शामिल है। इस अवसर पर कपड़ा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार और कपड़ा सचिव एस के पांडा उपस्थित थे। संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि पुरस्कार न सिर्फ पुरस्कार प्राप्त करने वाले व्यक्तियों को उनके कौशल को बनाए रखने की पवित्र जिम्मेदारी का एहसास कराता है, बल्कि हस्तशिल्प परंपरा को भी जिंदा बनाए रखता है। उन्होंने उम्मीद जताई की यह पुरस्कार शिल्पियों को दूसरों को प्रशिक्षण देने और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने को प्रोत्साहन देंगे। कपड़ा सचिव डॉ एसके पांडा ने शिल्पियों के योगदान के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हुए हस्तशिल्प क्षेत्र के संवर्धन के लिए सरकार के नए दृष्टिकोणों का उल्लेख किया। इस अवसर पर विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) डॉ के गोपाल और विकास आयुक्त (हथकरघा) आलोक कुमार भी उपस्थित थे। सन् 1965 से प्रारंभ हुए इन पुरस्कारों के लिए 2014 तक कुल 1,193 उत्कृष्ट हस्तशिल्पियों का पुरस्कार के लिए चयन किया जा चुका है, जिनमें 186 महिलाएं भी हैं। पुरस्कार प्राप्तकर्ता को एक लाख रूपए नगद, एक ताम्रपत्र, एक अंगवस्त्रम और एक प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है।

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